दिल्ली की जहरीली हवा में पराली जलाने का बड़ा हाथ प्रदूषण में हिस्सेदारी बढ़कर 32% हुई
दिल्ली की जहरीली हवा में पराली जलाने का बड़ा हाथ प्रदूषण में हिस्सेदारी बढ़कर 32% हुई
दिल्ली के पीएम2.5 प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी बुधवार को बढ़कर 32 प्रतिशत हो गई, जो अब तक इस वर्ष सबसे अधिक है. पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि और अनुकूल परिवहन-स्तरीय हवा की गति के कारण ऐसा हुआ है.
नई दिल्ली: दिल्ली के पीएम2.5 प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी बुधवार को बढ़कर 32 प्रतिशत हो गई, जो अब तक इस वर्ष सबसे अधिक है. पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि और अनुकूल परिवहन-स्तरीय हवा की गति के कारण ऐसा हुआ है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने बुधवार को पंजाब में पराली जलाने की 3,634 घटनाओं की सूचना दी, जो इस साल अब तक का सबसे अधिक है. पंजाब में मंगलवार को यह संख्या 1,842, सोमवार को 2,131, रविवार को 1,761, शनिवार को 1,898 जबकि शुक्रवार को 2,067 थी.
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाली एक पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ ने कहा कि अनुकूल परिवहन-स्तरीय हवा की गति के कारण दिल्ली के पीएम2.5 प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी बढ़कर 32 प्रतिशत हो गई. परिवहन-स्तर की हवाएं वातावरण की सबसे निचली दो परतों – क्षोभमंडल और समताप मंडल में चलती हैं और खेतों में पराली जलाने से निकलने वाले धुएं को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लाती हैं. मौसम विज्ञान के विशेषज्ञों ने कहा कि मध्यम रूप से अनुकूल सतह-स्तरीय हवा की गति (8 किमी प्रतिघंटे तक) ने प्रदूषकों को तेजी से जमा नहीं होने दिया.
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वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर) के अनुसार मंगलवार को दिल्ली के पीएम2.5 प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत थी, सोमवार को यह 22 प्रतिशत, रविवार को 26 प्रतिशत जबकि शनिवार को यह 21 प्रतिशत थी. पीएम2.5 महीन कण होते हैं जो 2.5 माइक्रोन या उससे कम व्यास के होते हैं और श्वास नली में गहराई तक जा सकते हैं, फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं और रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर सकते हैं. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पिछले हफ्ते कहा था कि इस साल पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं ‘‘गंभीर चिंता का विषय’’ हैं.
गौरतलब है कि पिछले वर्ष सात नवंबर को दिल्ली में पीएम2.5 प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी बढ़कर 48 प्रतिशत हो गयी थी. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक विश्लेषण के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में लोग एक नवंबर से 15 नवंबर के बीच सबसे खराब हवा में सांस लेते हैं. क्योंकि इस दौरान पराली जलाने की घटनाएं काफी अधिक होती हैं. दिल्ली में एक नवंबर से 15 नवंबर तक पीएम2.5 का स्तर औसतन 285 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया जाता है.
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Tags: Delhi-NCR News, Delhi-NCR Pollution, Stubble BurningFIRST PUBLISHED : November 02, 2022, 23:11 IST