हाइलाइट्स दिल्ली शराब घोटाले के मामले में अरविंद केजरीवाल आरोपी हैं. अरविंद केजरीवाल रविवार को तिहाड़ जेल में सरेंडर करेंगे. दिल्ली सीएम ने बेल के लिए कोर्ट में याचिका लगाई है.
नई दिल्ली. अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर शनिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में जमकर बहस हुई. ईडी की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू एक साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए. इस दौरान उन्होंने दिल्ली की सीएम की याचिका को गुमराह करने वाला करार दिया. कोर्ट रूम में जमकर ड्रामा देखने को मिला.
ईडी की तरफ से पहले ASG एसवी राजू ने कहा कि PMLA के सेक्शन 45 के तहत जमानत की दोहरी शर्त का प्रावधान अंतरिम जमानत पर भी लागू होता है. यहां भी कोर्ट को जमानत देने से पहले इस पहलू पर संतुष्ट होना होगा कि केजरीवाल के खिलाफ केस बनता ही नहीं है. अरविंद ने इस कोर्ट को इस बाबत अपनी याचिका में नहीं बताया है कि उन्होंने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी लेकिन रजिस्ट्रार जरनल ने जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने इस तथ्य को अदालत से छुपाया.
ASG राजू ने कहा कि अरविंद जिस टेस्ट को लेकर 7 दिनों की अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग कर रहे है, दरअसल उसके जरिए अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे है. तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था की अरविंद केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करना है. क्या ये अदालत सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मोडीफाई कर सकती है. मेरी जानकारी के मुताबिक नही, केवल सुप्रीम कोर्ट ही कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी तब भी इनकी तरफ से तारीख को बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने मना कर दिया था. अरविंद ने कल जनता के सामने कहा की वो 2 जून को सरेंडर करेंगे. ये बात उन्होंने अपनी वकील से भी छुपाई. अरविंद मेडिकल टेस्ट कराने की बजाए लगातार रैलियां कर रहे थे. इसका मतलब है की वो बीमार नहीं है. 7 KG वजन कम होने का दावा गलत है बल्कि अरविंद का वजन एक किलो बढ़ गया था.
पहले हमें संतुष्ट करें…
अदालत ने अरविंद के वकील को बहस करने को कहा. अदालत इन कहा की पहले ये तय करेंगे कि सीएम की याचिका सुनवाई योग्य भी है या नही? अदालत ने केजरीवाल के वकील से कहा की आप हमें संतुष्ट करें की याचिका सुनवाई योग्य है. हरिहरन ने कहा कि क्या ईडी यह सुझाव देना चाह रही हैं कि जो व्यक्ति बीमार है या जिसकी मेडिकल कंडीशन खराब है, उसे कोई उपचार नहीं मिलेगा? यह मेरा अनुच्छेद 21 का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट इन हमें जमानत अर्जी दाखिल करने की छूट दी थी, उसी आधार पर हमनें नियमित और अंतरिम जमानत मांगी है.
सुप्रीम कोर्ट को इस बात का एहसास…
मैं 1994 से शुगर का मरीज हूं, पिछले 30 साल से मेरा शुगर डाउन रहता है. मैं 54 यूनिट इंसुलिन रोज लेता हूं. मेरा स्वास्थ सही नहीं है. अपने स्वास्थ्य का इलाज करवाना मेरा अधिकार है. सारी रिपोर्ट हमने कोर्ट के समक्ष रखी हैं। आर्टिकल 21 मुझे जीने का अधिकार देता है. मेरा मेडकिल कंडीशन सही नही है. ऐसे में ईडी का कहना कि मेरी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है यह गलत है. ये अदालत जमानत पर विचार कर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट को इस बात का अहसास है और इसीलिए उन्होंने मुझे जमानत के लिए इस अदालत में जाने की छूट दी है. सुप्रीम कोर्ट को इस बात का अहसास है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो मैं किसी भी तरह के उपाय से वंचित रह जाऊंगा.
अरविंद केजरीवाल के वकील ने कहा कि संविधान कहता है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होने चाहिए. मेरी पार्टी छह राष्ट्रीय पार्टियों में से एक है. मैं स्टार प्रचारक हूं, मुझे देश के अलग-अलग हिस्सों में जाना पड़ता है. जमानत प्रचार के लिए मिली थी, अगर मैंने ऐसा नहीं किया होता तो वे कहते कि तुमने एक दिन भी प्रचार नहीं किया. इसलिए मैंने इस स्थिति में भी प्रचार किया. चुनाव प्रचार के बाद शुगर के स्तर में उतार-चढ़ाव हो रहा है. यह बहुत खतरनाक हो सकता है. चिंताजनक बात यह थी कि कीटोन का स्तर भी शरीर मे बढ़ गया. यह इस बात का संकेत है कि किडनी सामान्य रूप से काम नहीं कर रही है.
जिम्मेदारी कौन लेगा?
हरि हरण ने आगे कहा कि जिस तरह डॉक्टर की रिपोर्ट है और जिस तरह मेरा स्वास्थ है, ऐसे में कल को मुझे कुछ हो जाएगा, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, क्या जांच एजेंसी लेगी. ऐसे में मुझे 7 दिन की अंतरिम जमानत मिलना चाहिए . ताकि मैं अपना इलाज करवा सकूं. मेरा कीटोन का स्तर 15+ है. यह नेगेटिव में होना चाहिए और इसीलिए हम कहते हैं कि शरीर में कुछ बहुत बड़ा बदलाव हो रहा है, जिसकी जांच की जरूरत है. ऐसा नहीं है कि मैं आत्मसमर्पण नहीं करना चाहता. आज केजरीवाल का वजन 64 किलोग्राम है. जब उन्हें हिरासत में लिया गया था, तब उसका वजन 69 किलोग्राम था. 20 दिनों तक जेल में केजरीवाल को इंसुलिन नहीं दी गई. इसके लिए अप्लीकेशन देना पड़ा और एक विशेषज्ञ की नियुक्ति की गई. विशेषज्ञ के सहमत होने के बाद ही इंसुलिन दी गई.
केजरीवाल अलग-अलग हिस्सों में प्रचार कर रहे: ASG
इसपर एएसजे राजू ने कहा कि अरविंद केजरीवाल देश के अलग अलग हिस्सों में प्रचार कर रहे है. यहां स्वास्थ्य का मसला है. हम यह नहीं कह रहे हैं कि अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती. हम यह कह रहे हैं कि धारा 45 PMLA के पालन के बिना, यह अदालत अंतरिम ज़मानत नहीं दे सकती. ये सुप्रीम कोर्ट में भी स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मांग सकते थे. इनका वजन कम हुआ है, ये गलत बात है. इसका वजन जबकि बढ़ा है. वो अदालत को गुमराह कर रहे है. उनकी जांच एक घंटे या उससे भी कम समय में हो सकती है. ये जांच कई दिनों तक नहीं चलती है। अरविंद के खून की जांच नही कराई है, केवल यूरिन की जांच कराई है. अरविंद कह रहे है मेरी स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन आप देखिए वो लगातार चुनाव प्रचार कर रहे है. कई कई घंटों का चुनाव प्रचार कर रहे है.
झूठ बोल रहे हैं केजरीवाल…
एएसजे एसवी राजू ने कहा कि उनका कहना है कि उनका कीटोन लेवल बढ़ गया है. कीटोन लेवल बढने का एकमात्र कारण सिर्फ़ किडनी ही नहीं है. अगर यूरीन के रास्ते में संक्रमण है तो यह बढ़ सकता है. उन्हें किडनी की बीमारी नहीं है. किडनी की बीमारी मे डायलिसिस की जरूरत होती. यह सब उनकी कल्पना है. यह सब झूठ है। यूरिन की रिपोर्ट 20 मई की है. डॉक्टर से परामर्श 24 मई का है. उन्होंने चार दिन तक डॉक्टर से परामर्श नहीं लिया. हम अरविंद को जेल में हर तरह की चिकित्सा सुविधा देंगे और अगर एम्स ले जाने की जरूरत हुई तो वहां भी ले जायेंगे।
इतनी बीमारी में प्रचार कैसे किया?
ASG राजू ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जांच में देरी करके कोर्ट को धोखा देना चाहते है. उन्होने अर्जी दाखिल करने में भी देरी की. उन्होंने कहा कि होल्टर परीक्षण के लिए सात दिन लगते हैं. यह बिल्कुल चौंकाने वाला तथ्य है. अगर कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार है तो वह इस तरह से प्रचार नहीं कर सकता. अगर केजरीवाल वाकई बीमार हैं, तो हम उनका अच्छे से खयाल रखेंगे। उन्होंने पूरे भारत में प्रचार किया लेकिन उन्हें कुछ नहीं हुआ. जो व्यक्ति बीमारी का बहाना बनाकर, मनगढ़ंत कारण बता रहा है, उसे अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती.
SG तुषार मेहता ने कहा कि अरविंद केजरीवा को अचानक कोई बीमारी नहीं हुई है. शुगर उन्हें पहले से था. अगर उन्हें वाकई अपने स्वास्थ्य की चिंता होती तो पहले ही जांच करा लेते। यह कोई बहुत असामान्य बात नहीं है. भारत में लगभग 50 परसेंट लोग शुगर की बीमारी से पीड़ित हैं. चुनाव प्रचार 29 मई को खत्म हो गया. 25 मई को उनका टेस्ट हुआ. जमानत मिलने के दिन से लेकर 25 मई तक क्या हुआ, इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं है.
कोर्ट ने पूछा- 7 दिन क्यों?
कोर्ट ने केजरीवाल के वकील हरिहरन से पूछा कि इन सभी टेस्ट में कितना समय लगता है और 7 दिन का क्या औचित्य है. हरिहरन ने कहा कि होल्टर टेस्ट कराना है, फिर PET-CT और कई अन्य टेस्ट कराने है. एसजी मेहता-यह काल्पनिक बात है कि उनका वजन अचानक कम हो गया है. वैसे भी 5 फीट 5 इंच वाले व्यक्ति के लिए 64 किलोग्राम वजन सामान्य है. हरिहरन ने कहा कि मान लीजिए अगर PET स्कैन में कुछ खतरनाक बात सामने आती है तो तुरंत कदम उठाने होंगे और इसीलिए मैंने सात दिन का समय मांगा है. अगर कोर्ट को लगता है कि 5 दिन या 4 दिन काफी हैं तो कोई बात नहीं. हमें कोई पूर्वाग्रह नहीं है. ऐसे व्यक्ति के प्रति सहानुभूति रखें जो अस्वस्थ है. अगर आपको लगता है कि सात दिन बहुत ज़्यादा हैं तो कोर्ट 5 दिन का अंतरिम जमानत कर सकती हैं.
Tags: Arvind kejriwal, Delhi liquor scam, Enforcement directorate, Tushar mehtaFIRST PUBLISHED : June 1, 2024, 22:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed