Air Pollution: कोरोना से कमजोर हुए फेफड़े खराब हवा बन सकती है खतरा

डॉ. नीरज कहते हैं क‍ि प्रदूषण का प्रभाव रेस्पिरेटरी संबंधी बीमारियों के मरीजों पर ज्‍यादा पड़ता है, ऐसे में उन्‍हें प्रदूषण के सीधे संपर्क में आने से मना किया जाता है और ज्‍यादा से ज्‍यादा समय घर के अंदर रहने के लिए कहा जाता है. हालांकि जब से कोरोना महामारी आई है, अन्‍य स्‍वस्‍थ लोगों के लिए भी प्रदूषण किसी खतरे से कम नहीं है.

Air Pollution: कोरोना से कमजोर हुए फेफड़े खराब हवा बन सकती है खतरा
नई दिल्‍ली. दिवाली से पहले एक बार फिर दिल्‍ली-एनसीआर की हवा खराब हो गई है. हवा में बढ़े प्रदूषण की वजह से राजधानी के अधिकांश इलाकों में स्‍मॉग भी देखने को मिल रहा है. वहीं एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स 250 के आसपास पहुंच चुका है. हर बार ही इस मौसम में रेस्पिरेटरी संबंधी बीमारियों जैसे दमा, अस्‍थमा, फेफडों के संक्रमण, ब्रोन्‍काइटिस या सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है, हालांकि स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की मानें तो इस बार सिर्फ इन मरीजों को ही नहीं बल्कि खुद को स्‍वस्‍थ मान रहे लोगों को भी इस प्रदूषण के संपर्क में आने से बचना जरूरी है. दिल्‍ली स्थित सफदरजंग अस्‍पताल के रेस्पिरेटरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीरज गुप्‍ता न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीज में कहते हैं कि पिछले कई सालों से हर बार ही दिल्‍ली-एनसीआर में रह रहे लोग दिवाली के आसपास अचानक से बढ़ जाने वाले प्रदूषण से प्रभावित होते हैं. इस बार भी दिवाली से कुछ दिन पहले दिल्‍ली की हवा खराब श्रेणी में पहुंच चुकी है और लोगों को ब्रीदिंग डिस्‍कंफर्ट यानि सांस लेने में दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है. स्‍वस्‍थ लोग भी हो सकते हैं प्रदूषण से प्रभावित डॉ. नीरज कहते हैं क‍ि प्रदूषण का प्रभाव रेस्पिरेटरी संबंधी बीमारियों के मरीजों पर ज्‍यादा पड़ता है, ऐसे में उन्‍हें प्रदूषण के सीधे संपर्क में आने से मना किया जाता है और ज्‍यादा से ज्‍यादा समय घर के अंदर रहने के लिए कहा जाता है. हालांकि जब से कोरोना महामारी आई है, अन्‍य स्‍वस्‍थ लोगों के लिए भी प्रदूषण किसी खतरे से कम नहीं है. खासतौर पर उन लोगों को जो कोरोना से संक्रमित होने के बाद गंभीर हालत में अस्‍पताल या आईसीयू में भर्ती हुए थे लेकिन अभी स्‍वस्‍थ हैं. इसके अलावा वे लोग भी प्रदूषण से खासे प्रभावित हो सकते हैं जो अभी भी पोस्‍ट कोविड प्रभावों से लड़ रहे हैं. डेल्‍टा वेरिएंट के पोस्‍ट कोविड प्रभाव वाले अभी भी करीब 10 फीसदी मरीज अस्‍पतालों में इलाज के लिए आ रहे हैं. फिर उभर सकते हैं ये लक्षण डॉ. नीरज कहते हैं कि कोरोना के दौरान जिन लोगों को फेफड़ों और सांस संबंधी समस्‍या हुई थी या ऑक्‍सीजन स्‍तर कम हो गया था, इस प्रदूषित हवा के संपर्क में आने के बाद रेस्पिरेटरी संबंधी कुछ लक्षण उनमें फिर से उभर सकते हैं. लोगों को सांस लेने में परेशानी, अस्‍थमा का अटैक, सांस फूलना, सीने में भारीपन, फेफडों में संक्रमण, लंबे समय तक दमघोंटू खांसी, एलर्जी, त्‍वचा और आंखों में जलन आदि की समस्‍या हो सकती है. प्रदूषण से बचने का ये है उपाय डॉ. नीरज कहते हैं कि इस प्रदूषण के प्रभाव का एक ही प्रभावी रास्‍ता है और वह है मास्‍क पहनना. कोरोना के मामले कम होने के कारण अब मास्‍क पहनने को लेकर सख्‍ती भी नहीं हो रही है साथ ही लोग भी अब सार्वजनिक रूप से बिना मास्‍क के घूम रहे हैं. भले ही कोरोना के मामले कम हो गए हैं लेकिन प्रदूषण से बचने के लिए भी मास्‍क बेहद जरूरी है. इसलिए ज्‍यादा से ज्‍यादा समय लोग घरों में रहें. वहीं अगर बाहर जाना ही है तो बिना मास्‍क के बाहर न निकलें. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Air pollution, Air Pollution AQI Level, CoronaFIRST PUBLISHED : October 19, 2022, 16:40 IST