आखिर ऐसा क्‍या हुआ CJI हो गए देश भर की HC से नाराज बोले- इनको 48 घंटे चाहिएं

मुख्य न्यायाधीश डीवाय चंद्रचूड़ ने कहा कि हाईकोर्ट और जिला अदालतों के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए नवंबर 2023 और 31 मार्च, 2024 के बीच 850 करोड़ रुपये खर्च किए गए. सभी हाईकोर्ट ने उस राशि का 94% खर्च किया. उम्मीद है, अब हाईकोर्ट में बुनियादी ढांचे को वास्तव में उन्नत किया जाएगा.

आखिर ऐसा क्‍या हुआ CJI हो गए देश भर की HC से नाराज बोले- इनको 48 घंटे चाहिएं
नई दिल्‍ली. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने गुरुवार को खुलासा किया कि कुछ स्‍टेट हाईकोर्ट अभी भी वीडियो कॉन्फ्रेंस से सुनवाई को सभी के लिए न्याय तक पहुंच प्रदान करने की दिशा में आधुनिक न्यायपालिका द्वारा एक कदम आगे नहीं बल्कि एक भोग मानते हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि कुछ हाईकोर्ट (वकीलों और वादकारियों को) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग लिंक प्रदान करने के लिए 48 घंटे की अग्रिम सूचना चाहते हैं. कुछ लोगों ने कहा है कि आपको वीसी लिंक तभी मिल सकता है जब आपकी उम्र 60 वर्ष से अधिक हो. लिंक कॉज़लिस्ट में होने चाहिए. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने नौ-न्यायाधीशों की संविधान पीठ की सुनवाई की शुरुआत में खुली अदालत में कहा कि किसी को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग लिंक के लिए दो दिन पहले आवेदन करने या 60 वर्ष से अधिक उम्र का होने के लिए क्यों कहा जाना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि हाईकोर्ट और जिला अदालतों के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए नवंबर 2023 और 31 मार्च, 2024 के बीच ₹850 करोड़ खर्च किए गए. “सभी हाईकोर्ट ने उस राशि का 94% खर्च किया. उम्मीद है, अब हाईकोर्ट में बुनियादी ढांचे को वास्तव में उन्नत किया जाएगा.”उन्होंने कहा कि यह पैसा न्यायपालिका को ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण के लिए आवंटित ₹7,000 करोड़ का हिस्सा था. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मुकदमो में आएगी गति… सीजेआई ने कहा कि आभासी सुनवाई और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) से आपराधिक मुकदमों में होने वाली लंबी देरी में मदद मिलेगी. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “मुकदमा स्थगित करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जांच अधिकारी कहीं और तैनात है. हम जिला अदालतों, जेलों, फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं, अस्पतालों में उन्नत वीसी पर विचार कर रहे हैं, जहां चिकित्सा साक्ष्य दिए जाने हैं. मौत से पहले दिए गए बयान को साबित करने के लिए डॉक्टर को अदालत में क्यों आना पड़ता है? कल्पना कीजिए कि इससे चिकित्सा समय का कितना नुकसान हुआ है” अब राज्‍यों द्वारा पैसा नहीं देने का सवाल ही नहीं… मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हाईकोर्ट अब धन आवंटन के लिए राज्यों पर निर्भर नहीं हैं. इनमें से कुछ राज्य इस उद्देश्य के लिए एक पैसा भी नहीं छोड़ते. पैसा भारत सरकार से सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी से लेकर हाईकोर्ट तक जाता है. अब राज्यों द्वारा पैसा आवंटित नहीं किए जाने का कोई सवाल ही नहीं है.” अदालत में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री की ओर से सभी को न्याय तक पहुंच प्रदान करने के लिए डिजिटलीकरण को पहली प्राथमिकता देने का निर्देश है.”उन्होंने कहा कि नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में वैध, स्वीकार्य साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक रूप से दिए गए बयान की अनुमति दी गई है. . Tags: DY Chandrachud, Justice DY Chandrachud, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : April 25, 2024, 16:54 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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