300 साल पुराना शिव मंदिर है चमत्कारिक दर्शन मात्र से दूर हो जाता है रोग
300 साल पुराना शिव मंदिर है चमत्कारिक दर्शन मात्र से दूर हो जाता है रोग
Shiva Mandir in Chitrakoot: चित्रकूट में एक 300 साल पुराना प्राचीन शिव मंदिर है. कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से रोग ग्रसित लोगों के रोग तो ठीक हो ही जाते हैं. इसके साथ ही अल्पायु लोगों की अल्पायु भी कट जाती है. हालांकि अब यह मंदिर धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रहा है.
विकाश कुमार/ चित्रकूट: सावन का महीना चल रहा है. ऐसे में शिव भक्त तमाम शिव मंदिरों में जाकर उनकी पूजा अर्चना कर रहे हैं. साथ ही उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की इच्छा कर रहे हैं. ऐसे में हम आपको चित्रकूट के एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो शिव मंदिर आज से लगभग 300 साल पुराना है. अगर इस मंदिर के इतिहास की बात की जाए तो इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग काफी प्राचीन है, मान्यता है कि यहां शिव की पूजा अर्चना करने से रोग ग्रसित लोगों के रोग कट जाते हैं और लोगों की मुरादे भी पूरी होती हैं.
300 साल पुराना है मंदिर
हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड के चित्रकूट के मानिकपुर तहसील के अगरहुंडा ने बने प्राचीन शिव मंदिर की. जहां स्थापित मूर्ति लगभग 300 साल पुरानी है. वहीं, इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से रोग ग्रसित लोगों के रोग तो ठीक हो ही जाते हैं. इसके साथ ही अल्पायु में लोगों की भी अल्पायु भी कट जाती है.
हालांकि की अब यह मंदिर धीरे-धीरे खंडहर होने की स्थिति में बना हुआ है. क्योंकि इस ओर कोई भी प्रशासनिक अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा है. इसको संरक्षित करने के लिए ध्यान नहीं दे रहा है. लेकिन आज भी सावन के दिनों में भक्त इस मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति भगवान शिव से करवाते हैं.
इतिहासकार ने दी जानकारी
वहीं, चित्रकूट के इतिहासकार अनुज हनुमत ने बताया की यह मंदिर आज से लगभग 300 साल पुराना है. इस मंदिर का निर्माण स्थानीय पूर्वजों द्वारा करवाया गया था, लेकिन अब यह खंडहर में तब्दील हो रहा है. यहां जो शिवलिंग विराजित है. वह बेहद प्राचीन है. यहां पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
इतिहासकार ने बताया कि पुरातत्व विभाग द्वारा इसको संरक्षित कर इसका विकास कराया जाना चाहिए. इस मंदिर की विशेषताएं हैं कि जो चित्रकूट का शिव सर्किट है. उस शिव सर्किट में यह स्थान बेहद महत्वपूर्ण है. इसके नजदीक में ही सोमनाथ का मंदिर है. पास में ही लौरी गुफा में शिव विराजित हैं और रामनगर में भी शिव मंदिर है. उसके पास में ही यह मंदिर पड़ता है.
वन गमन मार्ग से जुड़ा है मंदिर
उनका कहना है इस संपर्क मार्ग के किनारे से वन गमन मार्ग गया था. इसलिए भगवान राम की आस्था से भी यह स्थान जुड़ा हुआ है. कहा यह भी जाता है कि भगवान शिव से कोई भी मनोकामनाएं मांगी जाए, खास कर किसी को रोग से ग्रसित कोई समस्या है और उसकी अल्पायु है. वह यहां आकर दर्शन करता है तो उसकी अल्पायु भी कट जाती है.
FIRST PUBLISHED : August 9, 2024, 10:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed