जयशंकर की इस चाल से ड्रैगन बेचैन पड़ोसियों को मनाने निकले चीनी विदेश मंत्री
जयशंकर की इस चाल से ड्रैगन बेचैन पड़ोसियों को मनाने निकले चीनी विदेश मंत्री
विदेश मंत्री एस जयशंकर मालदीव और विदेश सचिव विक्रम मिसरी नेपाल क्या गए, चीन बेचैन हो गया. हालात ये हो गया कि पड़ोसियों को मनाने के लिए विदेश मंत्री वांग यी को निकलना पड़ा. आइए जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है.
चीन हमें चारों ओर से घेरने की कोशिश करता है. कभी श्रीलंका तो कभी नेपाल, कभी पाकिस्तान तो कभी मालदीव…इतना ही नहीं, भूटान से लेकर बांग्लादेश तक, हर देश में उसने अपने पांव जमा रखे हैं. भारत की लाख कोशिशों के बावजूद वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता. लेकिन इस बार विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऐसी चाल चल दी कि बाजी पलटती नजर आ रही है. हालात देखकर ड्रैगन इतना घबरा गया कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी भागे-भागे पड़ोसियों को मनाने पहुंच गए. म्यांंमार और थाइलैंड को साधने चले गए. आइए जानते हैं कि आखिर ये सब हुआ कैसे और वांग यी का ये दौरा अहम क्यों है?
एक वक्त मालदीव, नेपाल आंखें दिखा रहे थे. लेकिन दो दिन पहले जब जयशंकर मालदीव पहुंचे तो उनका भव्य स्वागत किया गया. दोनों देश एक बार फिर तब करीब होते दिखे जब मालदीव ने यूपीआई से पेमेंट की सुविधा का ऐलान किया. 28 द्वीपों को भारत के हवाले कर दिया, ताकि वहां पानी और नाले से जुड़े प्रोजेक्ट पूरे किये जा सकें. कभी चीन की शह पर उछलने वाले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पीएम मोदी और जयशंकर की तारीफों के पुल बांधते नजर आए. चीन की मीडिया ने इसे जयशंकर का मास्टर स्ट्रोक तक बता दिया. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, चीन के एक्सपर्ट मानते हैं कि चीन मालदीव के साथ बहुत खास संबंध नहीं रखना चाहता, जबकि भारत इस इलाके में अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है.
जब चीन एक्सपर्ट विक्रम मिसरी नेपाल पहुंचे
ठीक इसी समय एक दूसरी घटना हुई. भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी नेपाल पहुंच गए और नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री ओली से मुलाकात की. विक्रम मिसरी को भी चीन मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है. इसलिए जब वे नेपाल गए तो खास चर्चा हुई. वो भी इसलिए क्योंकि यही ओली जब पिछली बार सत्ता में आए थे, तो भारत को लगातार धमकियां दे रहे थे. सीमा विवाद का मुद्दा इतना गरमाया कि भारत को जवाब तक देना पड़ा, लेकिन अब ओली के सुर नरम पड़ गए हैं.
नेपाल ने आखिर कहा गया, जो चीन चिढ़ जाएगा
विक्रम मिसरी से मुलाकात के बाद नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने साफ शब्दों में कहा कि नेपाल के क्षेत्र का प्रयोग अपने पड़ोसियों के खिलाफ किसी भी तरीके की गतिविधि के लिए नहीं किया जाएगा. नेपाल भारत के साथ डटकर खड़ा रहेगा. इस बयान ने चीन की टेंशन बढ़ा दी होगी. उधर, श्रीलंका ने साफ कर दिया है कि उसकी जमीन से भारत के खिलाफ कोई गतिविधि नहीं हो सकती. चीन के जासूसी जहाज को भी उसने नहीं आने दिया था.
चीनी विदेश मंत्री क्यों भागे म्यांमार
इन दोनों दौरों ने ड्रैगन को परेशान कर दिया. इसलिए वह अपने पड़ोसी देशों की ओर भागा. चीनी विदेश मंत्री वांग यी म्यांमार इसलिए पहुंचे, क्योंकि म्यांमार के सैनिक शासन को वहां के थ्री ब्रदरहुड अलायंस से कड़ी चुनौती मिल रही है. हथियारबंद ये आंदोलनकारी उनकी कई पोस्ट पर कब्जा करते जा रहे हैं. म्यामांर की सैनिक सरकार जुंटा को यकीन है कि ये सबकुछ चीन के इशारे पर हो रहा है. विद्रोहियों को चीन भड़का रहा है. उसे शह दे रहा है. जुंटा नेता वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने 5 अगस्त इसका साफ-साफ संकेत दिया था. ऐसे में म्यांमार कहीं हाथ से न निकल जाए, इसलिए वांग यी को भागना पड़ा. इसके बाद वांग यी को थाइलैंड जाना है. जहां वे लाओ पीडीआर, म्यांमार और थाईलैंड के विदेश मंत्रियों से बातचीत करेंगे.
म्यांमार भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण
म्यांमार रणनीतिक रूप से दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच पुल के रूप में स्थित है. भारत की भी इस देश पर नजर रहती है क्योंकि यह दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान के लिए भारत का प्रवेश द्वार भी है. अगर म्यांमार चीन के हाथ से निकल गया, तो उसे काफी मुश्किल हो जाएगी.
Tags: China india, China news, India china tension, Maldives, Nepal News, S JaishankarFIRST PUBLISHED : August 14, 2024, 09:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed