वर्क लाइफ बैलेंस के बिना नहीं चलेगी जिंदगी काम के साथ मौज भी है जरूरी

Work Life Balance Management: ज्यादातर लोग पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में बैलेंस नहीं बना पाने से परेशान हैं. कोई घर में भी ऑफिस का काम करता है तो कोई काम-काज के बीच में झपकियां लेता है. इन चीजों से बचने के लिए वर्क लाइफ बैलेंस बनाना बहुत जरूरी है. इससे आप अपनी मेंटल हेल्थ का भी ख्याल रख सकते हैं.

वर्क लाइफ बैलेंस के बिना नहीं चलेगी जिंदगी काम के साथ मौज भी है जरूरी
नई दिल्ली (Work Life Balance Management). घर और काम की दोहरी जिम्मेदारियों को संभाल पाना आसान नहीं है. इसके लिए सही टाइम मैनेजमेंट करना जरूरी है. अगर आप घर में भी ऑफिस का काम करते हैं या ऑफिस टाइमिंग में घर की बातों से परेशान रहते हैं तो अब खुद को बदलने की जरूरत है. हर लाइफ कोच वर्क लाइफ बैलेंस पर फोकस जरूर करता है. वर्क लाइफ बैलेंस से मेंटल हेल्थ भी बेहतर रहती है. फील्ड चाहे जो भी हो, काम का प्रेशर हर जगह रहता है. टीचर्स घर आकर स्टूडेंट्स की आंसर कॉपी चेक करती हैं, वकील अगले दिन की हियरिंग के लिए केस स्टडी करते हैं, एक्टर्स डायलॉग रिहर्सल में व्यस्त रहते हैं, पत्रकार नई कहानियों पर काम करते हैं… लिस्ट बहुत लंबी है. इन दिनों 9-10 घंटे की नौकरी सिर्फ ऑफिस तक सीमित नहीं रह गई है. लेकिन अगली जेनरेशन वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर काफी सजग है और वह पुराने ढर्रे पर काम करने के बजाय स्मार्ट वर्क पर फोकस कर रही है. वर्क लाइफ बैलेंस कैसे करें? ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में प्रोफेशनल्स के लिए राइट टु डिसकनेक्ट की घोषणा की थी. इसका साफ मतलब है कि ऑफिस के घंटे पूरे हो जाने के बाद प्रोफेशनल्स के लिए बॉस की कॉल रिसीव करना जरूरी नहीं माना जाएगा. वह चाहें तो उस कॉल को इग्नोर कर सकते हैं. ऐसा कई जगहों पर होता है. इससे पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच में लिमिट तय करना आसान हो जाता है. अगर आप भी वर्क लाइफ बैलेंस से जूझ रहे हैं तो ये टिप्स आपके काम आ सकते हैं- लिमिट्स पर दें ध्यान: काम और निजी जीवन के बीच स्पष्ट सीमाएं निर्धारित करें. समझें अपनी प्राथमिकताएं ऑफिस और पर्सनल लाइफ में अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करें. टाइम मैनेजमेंट से बनेगी बात: घर और ऑफिस, दोनों जगहों पर टाइम मैनेजमेंट के लिए शेड्यूल बनाएं. मी टाइम भी है जरूरी: घर, ऑफिस, दोस्तों के साथ ही पर्सनल स्पेस यानी मी टाइम का भी ध्यान रखें. हेल्थ पर करें फोकस: फिजिकल और मेंटल हेल्थ और फिटनेस का ख्याल रखें. सोशल हेल्प को करें मंजूर: वर्क लाइफ बैलेंस के लिए एक्सटर्नल हेल्प लेनी पड़े तो मना मत करें. बीच में लें काम से ब्रेक: टाइम टु टाइम काम से ब्रेक लेकर कहीं घूमने निकल जाएं. शौक को दें टाइम: ऑफिस वर्क और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच हॉबीज के लिए भी टाइम निकालें. स्ट्रेस मैनेजमेंट पर करें काम: घर या ऑफिस, कहीं पर भी ज्यादा स्ट्रेस हो रहा है तो उस पर फोकस करें. बदलाव है जरूरत: अपने अंदर बदलाव के लिए फ्लेक्सिबिलिटी रखें. यह भी पढ़ें- ऑफिस में छेड़खानी होने पर क्या करें? दिमाग में नोट करें जरूरी गाइडलाइंस ऑफिस से भी मिल सकती है मदद हर एंप्लॉई वर्क लाइफ बैलेंस कर पा रहा है या नहीं, इसकी जिम्मेदारी कंपनियों के हाथ में भी होनी चाहिए. इससे एंप्लॉइज अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस दे पाएंगे. जानिए वर्क लाइफ बैलेंस के लिए ऑफिस से क्या मदद मिल सकती है- जब भी पॉसिबल हो, ऑफिस और पर्सनल स्पेस के बीच बाउंड्री यानी हदें निर्धारित करें. ऐसा करने के लिए अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से मैनेज करना जरूरी है. वर्कप्लेस पर सभी के लिए साइकोलॉजिकल सपोर्ट सेंटर उपलब्ध होने चाहिए. इससे लोग कोई भी परेशानी होने पर साइकोलॉजिस्ट से कंसल्ट कर सकते हैं. तनाव भरे माहौल में काम करने से प्रोडक्टिविटी और मेंटल हेल्थ, दोनों को नुकसान पहुंचता है. इसलिए एम्प्लॉइज और बॉस के बीच रेगुलर मीटिंग होनी चाहिए. इससे अपनी बात को खुलकर रख पाएंगे. कंपनी में नए एंप्लॉइज के लिए मेंटरशिप प्रोग्राम होना चाहिए. इसमें उन्हें सीखने और बढ़ने के लिए एक मंच भी दिया जा सकता है. उन्हें पता होना चाहिए कि परेशानी के समय किससे संपर्क करना है. Tags: Career Tips, Job and career, LifestyleFIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 12:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed