UP में 62 से सीधा 33 पर कैसे आ गई BJP राजनीति के चाणक्य ने बता दी असली वजह
UP में 62 से सीधा 33 पर कैसे आ गई BJP राजनीति के चाणक्य ने बता दी असली वजह
इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा कि बीजेपी को पार्टी में अंदरूनी खींचतान के चलते उत्तर प्रदेश में हार का सामना करना पड़ा है. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी की राज्य इकाई और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कोऑर्डिनेशन की कमी के कारण भी यह परिणाम आने की संभावना है.
लखनऊः नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत हो चुकी है. मंत्रियों ने अपने-अपने मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया है. लेकिन अभी तक चुनावी नतीजों को लेकर लगातार चर्चा हो रही है और आखिर हो भी क्यों ना एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी ने 400 पार का नारा दिया था. वहीं दूसरी तरफ पूरा एनडीए गठबंधन 291 सीटों पर सिमट कर रह गया. हालांकि इस बार कुल सीटों से ज्यादा उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनावी नतीजों ने हर किसी को हैरान कर दिया. क्योंकि जिस यूपी में बीजेपी अकेले 62 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहां महज 33 सीटों पर सिमट कर रह गई. दरअसल, राम मंदिर के उद्घाटन के बाद से सभी यही अटकलें लगा रहे थे कि यूपी में बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर क्लीन स्विप करेगी. लेकिन चुनावी नतीजे ठीक इसके उलट आए और करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. वहीं यूपी में बीजेपी की इस हार पर राजनीति के रणनीतिकार और जन सुराज के अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू के दौरान टिप्पणी की.
‘अंदरूनी खींचतान के चलते बीजेपी की हार’
इंडिया टुडे ग्रुप के इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा कि बीजेपी को पार्टी में अंदरूनी खींचतान के चलते उत्तर प्रदेश में हार का सामना करना पड़ा है. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी की राज्य इकाई और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कोऑर्डिनेशन की कमी के कारण भी यह परिणाम आने की संभावना है. बता दें कि उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 33 और उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक दल ने 2 और अपना दल (सोनेलाल) ने एक सीट पर जीत हासिल की. वहीं इंडिया गठबंधन में समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर जीत हासिल की. इसके अलावा कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके साथ ही इंडिया गठबंधन की कुल सीटों की संख्या 43 हो गई.
‘BJP को अपनी हार का करना होगा विश्लेषण’
प्रशांत किशोर ने इंटरव्यू में कहा, “यूपी में भाजपा की जो भी स्थिति है, उसमें उसकी आंतरिक खींचतान की भूमिका हो सकती है. संभवतः संगठन और नेतृत्व के बीच शायद तालमेल सही नहीं बैठा होगा. उन्हें इसका विश्लेषण करना होगा.” उन्होंने यह भी बताया कि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उत्तर प्रदेश में यूपी के लड़के अभियान को फिर से शुरू करना इस बार भाजपा के लिए एक वास्तविक चुनौती साबित हुई.
‘आप राहुल-अखिलेश के साथ कैसे लड़ सकते हैं?’
प्रशांत किशोर ने कहा. “मैं कह रहा हूं कि यूपी के लड़के एक साथ आ रहे हैं. अब, जनता कह रही है कि यदि आप योगी को हराना चाहते हैं, तो अखिलेश और राहुल कर सकते हैं, अगर दोनों एक साथ आ जाएं तो. वे 2017 (विधानसभा चुनाव) में एक साथ लड़े और यही है मेरी ओर से सबसे बड़ी गलती. आप इन दोनों से कैसे लड़ सकते हैं?”
‘पीएम मोदी का वोट केवल 2 प्रतिशत कम हुआ’
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भाजपा समर्थक थोड़े ओवर कॉन्फिडेंट या कहिए कि निश्चिंत हो गए क्योंकि उन्हें लगा कि वे वैसे भी जीतने वाले हैं. प्रशांत किशोर ने कहा, ‘दूसरी ओर, भाजपा के विरोधी आक्रामक अभियान पर चले गए क्योंकि उनका उद्देश्य भाजपा को 400 सीटें जीतने से रोकना था. मैं आपको वाराणसी का उदाहरण देता हूं. पीएम मोदी की अपनी सीट पर, 2014 की तुलना में उनका वोट शेयर केवल 2 प्रतिशत कम हुआ है. लेकिन अंतर बहुत कम हो गया है क्योंकि उनके प्रतिद्वंद्वी का वोट शेयर 20.9 प्रतिशत से बढ़कर 41 प्रतिशत हो गया है.’
2014 और 2019 में पीएम मोदी ने बड़े अंतर से जीता था चुनाव
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट से 6.12 लाख वोट और 54.24 फीसदी वोट शेयर हासिल कर जीत हासिल की. उन्होंने कांग्रेस के अजय राय को करीब डेढ़ लाख वोटों के अंतर से हराया. 2019 और 2014 की तुलना में 2024 में पीएम मोदी की जीत का अंतर बहुत कम था. 2019 के लोकसभा चुनावों में, मोदी ने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को 4.79 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. 2014 में पीएम मोदी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को लोकसभा क्षेत्र में 3.71 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया था.
Tags: BJP, Prashant KishoreFIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 14:27 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed