जज की नौकरी छोड़ बन गए महान संत गोमुख से लेकर गंगासागर तक की पैदल यात्रा

बलिया के प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि इस स्थान की स्थापना स्वामी मुनीश्वरानंद सरस्वती ने किया था जो खपड़िया बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए.

जज की नौकरी छोड़ बन गए महान संत गोमुख से लेकर गंगासागर तक की पैदल यात्रा
बलिया: कहते हैं जीवन कब किस मोड़ को अपना लेगा यह कोई नहीं जानता…. परिवर्तन तो संसार का नियम है. लेकिन कब जीवन का पूरा तरकीब ही बदल जाएगा यह शायद किसी को पता नहीं होता. हम बात करें बलिया के एक महान सिद्ध संत की जिन्होंने जज की नौकरी छोड़ कठोर तपस्या कर सिद्ध संत बन गए. आज उनकी मूर्ति एक आस्था का बड़ा केंद्र ही नहीं बल्कि लाखों लोगों का कल्याण कर रही है. जिले के बैरिया तहसील में स्थित संकीर्तन नगर श्रीपालपुर स्थित जिले का एक ऐसा मनोहरी पर्यटन स्थल है जो अध्यात्म के साथ जुड़ा हुआ है. बंगाल प्रांत में जन्मे इस महान संत की शुरू हुई बलिया जनपद से असली कहानी बड़ी रोचक है. आगे पढ़ें… बलिया के प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि इस स्थान की स्थापना स्वामी मुनीश्वरानंद सरस्वती ने किया था जो खपड़िया बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए. इनका जन्म बंगाल प्रांत में 1830 में किसी क्षत्रिय परिवार में हुआ था. इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त किया था. जज की नौकरी छोड़ बने सिद्ध संत, सेवा की जगाई भावना… खपड़िया बाबा 8 वर्षों तक न्यायाधीश भी रहे. इनकी पत्नी का नाम राजराजेश्वरी देवी था. न्यायिक सेवा के दौरान 42 वर्ष की आयु में इन्हें वैराग्य हुआ और आपने जज की नौकरी छोड़ दिया और संन्यासी हो गए. खपड़िया बाबा ने दो बार गोमुख से लेकर गंगासागर तक गंगा नदी के किनारे-किनारे पैदल यात्रा की थी. इस यात्रा के दौरान इन्हें अनुभव आया की वाराणसी से लेकर भागलपुर बिहार तक के गंगा तटीय गृहस्थो में अतिथि सेवा साधु संतों की सेवा की भावना कम हो रही है. जिसको पुनर्स्थापित करने के लिए बाबा ने बलिया के श्रीपालपुर में यह आश्रम स्थापित किया था. अनवरत होता आ रहा है संकीर्तन… 23 जनवरी 1986 को खपड़िया बाबा का देहांत हो गया. बाबा के शिष्य विद्वान संत स्वामी हरिहरानंद जी महाराज वर्तमान समय में संकीर्तन नगर स्थित समाधि स्थल पर सेवा कर रहे हैं. इस आश्रम में संपूर्ण राम कथा को और स्वामी खपड़िया बाबा के जीवन चरित्र को प्रतिमाओं के माध्यम से बहुत ही सुरुचि पूर्ण ढंग से सजाया गया है, जिसको देखने के लिए हजारों लोग हर महीने यहां आते हैं. इस स्थान पर अनवरत द्वादश अक्षरीय मंत्र – “हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे…हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे…” का संकीर्तन कई वर्षों से यहां हो रहा है. Tags: Ballia news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : July 19, 2024, 10:02 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed