बलिया: जनपद में जन्म लिए एक महान संत जिनकी मृत्यु के बाद भक्त मूर्ति को रख भगवान की तरह पूजा याचना करते हैं. एक ऐसा सिद्ध संत जिसने सरयू और तमसा नदी के किनारे घनघोर जंगल में अपनी साधना पूरी की. ऐसा माना जाता है की महान संत पशुपति नाथ भूत, वर्तमान और भविष्य घोर तपस्या के बाद बताने लगे थे. आज भी उनका यह स्थान लोगों के लिए बड़ा आस्थावान है. आइए जानते हैं क्या रहा इनका अद्भुत इतिहास…
प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने लोकल 18 को बताया कि यह गुफा स्वामी पशुपतिनाथ बाबा की है, जो यही पर गंगा और तमसा नदी के किनारे इस गुफा में तपस्या किया करते थे. स्वामी पशुपतिनाथ बाबा का जन्म बलिया जिले के बैरिया तहसील के शुभनथही गांव में हुआ था.
यहां से शुरू हुई इस महात्मा की कहानी…
पशुपति नाथ शंकराचार्य संप्रदाय से करपात्री (बिना बर्तन हाथ से भोजन करना) जी महाराज के शिष्य परंपरा में दीक्षा प्राप्त कर अपनी साधना शुरू की थी. कालांतर में यह त्रिकालदर्शी सिद्ध संत के रूप में प्रख्यात हुए.
तपस्या के बाद हुए सिद्ध संत
यहां से तपस्या करने के उपरांत जब यह भूत भविष्य वर्तमान को जानने वाले सिद्ध संत हो गए, तब वह बिहार की राजधानी पटना में कैलाश मंदिर पुनाई चक में निवास करने लगे. स्वामी जी से अपना भविष्य जानने के लिए देश के बड़े-बड़े उद्योगपति और राजनेता मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री कैबिनेट मंत्री स्तर तक के राजनेताओं का भी दरबार लगता था. यह गुफा आज भी स्वामी जी के भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करती है.
महान संत का पार्थिव शरीर गंगा को समर्पित…
प्रतिवर्ष यहां श्रावणी उपाक्रम पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. स्वामी जी का जन्म कार्तिक कृष्ण सप्तमी सन 1910 में हुआ था. स्वामी जी के पिताजी का नाम पंडित धनराज मिश्र एवं माता का नाम श्रीमती यशोदा देवी था. पटना के पुनाइ चक में ही 11 जुलाई 2004 ई. को स्वामी जी के शरीर की यात्रा पूरी हो गई. इनके पार्थिव शरीर को केदार घाट वाराणसी में जल समाधि दी गई थी.
Tags: Ballia news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : July 11, 2024, 14:52 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed