इस संत के चमत्कार के आगे नतमस्तक हो गए थे मुगल शासक जानिए इनका बलिया कनेक्शन
इस संत के चमत्कार के आगे नतमस्तक हो गए थे मुगल शासक जानिए इनका बलिया कनेक्शन
बलिया के प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि स्वामी शिवनारायण महाराज को दु:ख हरण बाबा के नाम से जाना जाता है. इनका जन्म विक्रम संवत 1773 में बलिया जिले के चंद्रवार गांव में हुआ था. 11 वर्ष की उम्र में सत्य की खोज और छुआछूत मिटाने को लेकर घर छोड़ दिया था. इनके द्वारा कुल 13 ग्रंथों की रचना भी की गई. इनके अनुयाशी विश्व के 105 देशों में फैले हुए हैं.
बलिया. उत्तर प्रदेश का बलिया धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है. बलिया में ही भृगु मुनि को मोक्ष मिला और कई महान संतों ने जन्म लिया. एक ऐसे ही महान संत के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिन्हें शिवनारायण महाराज के नाम से जाना जाता है.
महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां 105 देशों के अनुयायी नतमस्तक होते हैं. तमाम ग्रंथों के रचयिता इस महान संत की कहानी ना केवल रोचक है बल्कि आज भी लोगों के मन में जीवंत है. यह वही सिद्ध संत थे, जिनके चमत्कार के सामने क्रूरता के लिए मशहूर मुगल शासक शाह मोहम्मद रंगीला ने भी हार मान लिया.
1773 में स्वामी शिवनारायण महाराज का हुआ था जन्म
बलिया के प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने लोकल 18 को बताया कि यह जनपद के वही सिद्ध महात्मा थे, जिनकी तमाम घटनाएं प्रचलित है. इन्हें स्वामी शिवनारायण महाराज उर्फ दु:ख हरण बाबा के नाम से जाना जाता है. इनका जन्म विक्रम संवत 1773 में बलिया जिले के सिकंदरपुर तहसील स्थित चंद्रवार गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम बाबू बाग राय एवं गुरु का नाम रूदुख:हरण था. शिवनारायण महाराज ने 11 वर्ष की उम्र में सत्य की खोज और छुआछूत मिटाने को लेकर घर छोड़ दिया था. इनके द्वारा कुल 13 ग्रंथों की रचना भी की गई.
इस मुगल शासक को मानना पड़ गया था हार
स्वामी जी की एक आज भी लोगों के मन में जीवंत है. क्रूरता के लिए चर्चित मुगल शासक शाह मो. रंगीला ने स्वामी शिवनारायण महाराज को परेशान करने के लिए एक बार जेल में डाल देता है, उसके बाद जो घटना घटित होती है, उसका प्रभाव मुगल शासक पर इतना पड़ता है. मुगल शासक ने महात्मा के आगे शीश झुका कर हार मान लेता है. मुगल शासक से स्वामी जी ने भरे दरबार में कहा कि आप सकुशल संपन्न हैं, किसानों से लगान मत लीजिए. परिणाम ये हुआ कि मो. रंगीला ने स्वामी को कारागार में बंद कर 10 किलो गेहूं पीसने के लिए चक्की दे दिया. अन्य कैदियों के बीच कमजोर शरीर वाले इस स्वामी का जमकर मजाक उड़ाया गया. लेकिन, जब कुछ ही मिनट में बिना चक्की छुए 10 किलो गेहूं से कई क्विंटल आटा स्वामी जी ने पीस दिया तो ना केवल कैदी हैरान हुए बल्कि मुगल शासक ने स्वामी जी को रिहा भी कर दिया.
चमत्कारिक संत थे स्वामी शिवनारायण महाराज
मुगल शासक ने स्वामी जी का परीक्षा लेने के लिए भोजन में मांस परोसा तो स्वामी जी ने यह कहकर खाने से इनकार कर दिया कि हम कौवे का भोजन नहीं बल्कि हंस का भोजन करते हैं. अब मुगल शासक ने हंस का भोजन मोती परोसा, जिसको खाना भी मुश्किल था. जिसमें अन्य संत भी शामिल थे. स्वामी जी ने सबको मोती को ढककर आंख बंद करने को कहा. कुछ मिनटों में वह मोती एक से एक खाने योग्य व्यंजन में बदल गया. इसको देख मुगल शासक बहुत प्रभावित हुआ और स्वामी जी के आगे घुटने टेक दिया. देश-विदेश में प्रचार-प्रसार के लिए स्वामी जी को एक विशेष मुहर भी प्रदान किया.
105 देश से से आते हैं स्वामी जी के अनुयायी
स्वामी शिवनारायण महाराज ने बलिया जनपद के बेल्थरारोड के ससनाबहादुरपुर गांव में अपना आसन जमा कर कठिन तपस्या कर महान सिद्ध संत हुए. उक्त घटना के बाद इन्होंने देश के कोने-कोने में मानवता, इंसानियत, प्रेम और जीवों की रक्षा का संदेश दिया. वर्तमान में इनके समाधि स्थल पर नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका जैसे विश्व के करीब 105 देश से लाखों अनुयायी आते हैं. ऐसी मान्यता है कि इनकी समाधि स्थल हर किसी की मनोकामना पूरी करने के साथ मन को शांति और सुकून प्रदान करती है.
Tags: Ballia news, Local18, Sadhu Sant, UP newsFIRST PUBLISHED : September 23, 2024, 14:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed