अंग्रेजों का बनवाया यह घंटाघर रहा है आंदोलन का गवाह महात्मा गांधी से लेकर

Bahraich clock tower: बुजुर्गों की मानें तो घंटाघर का घंटा बजने से ही लोगों को समय की जानकारी मिलती थी. यहां से क्षेत्र के लोग देश को आजाद कराने के लिए मशाल लेकर निकलते थे....

अंग्रेजों का बनवाया यह घंटाघर रहा है आंदोलन का गवाह महात्मा गांधी से लेकर
बिन्नू बाल्मिकि/बहराइच: उत्तर प्रदेश के बहराइच शहर के बीचोबीच चौक बाजार स्थित घंटाघर अपने आप में ही एतिहासिक है. ब्रिटिश काल में घंटाघर का निर्माण अंग्रेजों द्वारा कराया गया था. यहां से महात्मा गांधी ने आजादी के लिए संबोधन किया था. यह घंटाघर परिसर प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ अन्य नेताओं के आंदोलन का भी गवाह रहा है. आज भी सीना ताने खड़ा है घंटाघर बुजुर्गों की मानें तो घंटाघर का घंटा बजने से ही लोगों को समय की जानकारी मिलती थी. यहां से क्षेत्र के लोग देश को आजाद कराने के लिए मशाल लेकर निकलते थे. इसे पूरा देखने के लिए आपको लगभग 100 मीटर तक पीछे जाना पड़ेगा. ऐसे हुआ आंदोलन का सफर शुरू राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस शहर का दौरा किया था. इसके बाद देश की आजादी के लिए बिगुल फूंका था. इसे याद कर जिले के लोग खुद को सौभाग्यशाली मान रहे हैं. चौक बाजार में ऐतिहासिक इस घंटाघर  का निर्माण ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने कराया था. घंटाघर पर अंग्रेजों का कब्जा था, लेकिन जब देश आजाद हुआ तो घंटाघर को भी आजादी मिली. शहर के बुजुर्गों के अनुसार घंटाघर परिसर से ही सत्याग्रह का बिगुल बजता था जिसमें जिले के सैकड़ों लोग देश की आजादी के लिए दिल्ली गए थे. महात्मा गांधी की अगुवाई सभी स्वतंत्रता सेनानी कदम से कदम मिलाकर अंग्रेजों से लोहा लिए तब जाकर काफी मशक्कत और त्याग के बाद सभी को आजादी मिली थी. इसके अलावा घंटाघर में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेई समेत अन्य बड़े नेताओं का दौरा हो चुका है. शहर निवासी हेमंत मिश्रा और बच्चे भारती ने बताया कि घंटाघर मैदान में पूर्व प्रधानमंत्रियों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, देवराज अर्थ, नारायणदत्त तिवारी, विश्वनाथ प्रताप, यूनुस सलीम, डॉ. फारुक अब्दुल्ला भी दौरा कर चुके हैं. घंटाघर अपने में काफी ऐतिहासिक है.शहर के चौक बाजार में स्थित घंटाघर प्रदेश का सबसे बड़ा घंटाघर है. बुजुर्गों की मानें तो वर्ष 1947 से पूर्व में शहर की आबादी काफी कम थी. ऐसे में घंटाघर में लगे घड़ी की आवाज से शहर के लोगों को समय की जानकारी होती थी. सभी अपने-अपने काम पर जाते थे. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : July 31, 2024, 16:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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