अयोध्‍या: कौन हैं अवधेश जिन्‍होंने MP लल्‍लू नहीं बल्कि BJP को मात दे दी

Who is SP Awadhesh Prasad : सबसे चौंकाने वाला नतीजा अयोध्‍या में था, जहां भाजपा के मौजूदा सांसद लल्‍लू सिंह ही हार गए. उन्‍हें समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने 54000 से ज्‍यादा वोटों से मात दे दी. नतीजे के बाद सभी हैरान रह गए कि भला भाजपा अयोध्‍या में कैसे हार सकती है? उन्‍हें हराने वाले अवधेश प्रसाद के बारे में लोग जानना चाह रहे हैं. आइये जानते हैं उनके बारे में..

अयोध्‍या: कौन हैं अवधेश जिन्‍होंने MP लल्‍लू नहीं बल्कि BJP को मात दे दी
अयोध्‍या : 2 जनवरी 2024 को जब उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की मूर्ति विराजित की गई, तब यह पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना. भाजपा ने राम मंदिर का मुद्दा पूरा किया और कयास लगाए जाने लगे कि भाजपा को पूरे देश में प्रचंड जीत मिलेगी. लेकिन लोकसभा चुनाव में हुआ इसके उलट. भाजपा की सीटें देश के साथ यूपी में तो कम हुईं. सबसे चौंकाने वाला नतीजा अयोध्‍या में था, जहां भाजपा के मौजूदा सांसद लल्‍लू सिंह ही हार गए. उन्‍हें समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने 54000 से ज्‍यादा वोटों से मात दे दी. नतीजे के बाद सभी हैरान रह गए कि भला भाजपा अयोध्‍या में कैसे हार सकती है? उन्‍हें हराने वाले अवधेश प्रसाद के बारे में लोग जानना चाह रहे हैं. आइये जानते हैं उनके बारे में.. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और अभूतपूर्व विकास के बावजूद सपा उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने फैजाबाद लोकसभा सीट पर जीत हासिल की. समाजवादी पार्टी के लंबे समय से सदस्य रहे प्रसाद मुलायम सिंह यादव के करीबी सहयोगी रहे हैं और कई वर्षों तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे हैं. अवधेश प्रसाद ने 1977 में जनता पार्टी के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और अयोध्या के सोहावल से विधानसभा के लिए अपना पहला चुनाव जीता. इसके बाद उन्होंने 1985 से 2022 के बीच विधानसभा के लिए आठ और चुनाव जीते. विधायक के तौर पर यह उनका नौवां कार्यकाल था. अवधेश प्रसाद दलित समुदाय से आते हैं और दलित वोट बैंक के साथ अपने मजबूत संबंधों के लिए जाने जाते हैं. वह अखिलेश यादव के करीबी सहयोगी भी रहे हैं और अक्सर विधानसभा में उनके बगल में बैठते रहे हैं. दलित वोट बैंक के साथ उनके संबंध और यादव और मुस्लिम समुदायों के वोटों के साथ इसे संतुलित करने की उनकी क्षमता ने उन्हें इस चुनाव में एक मजबूत उम्मीदवार बना दिया. इस चुनाव में प्रसाद ने 54,567 मतों के अंतर से जीत हासिल की और भाजपा उम्मीदवार लालू सिंह को 54,000 मतों से हराया. जिस अयोध्या से जीतने चले थे पूरा चुनाव, वहीं क्यों हार गई भाजपा, राम मंदिर तो मिल गया फिर क्या चाहते थे लोग दरअसल, अयोध्‍या में सबसे बड़ी दलित बिरादरी पासी समुदाय है और अखिलेश ने भी इसे भांपते हुए अपने सबसे मजबूत पासी चेहरे को यहां से उम्‍मीदवार बना दिया. लल्‍लू सिंह का वो बयान भी उन पर भारी पड़ गया, जिसमें उन्‍होंने विपक्ष को संविधान बदलने जैसा ज्‍वलंत मुद्दा थमा दिया. लल्‍लू ने ही कहा था कि मोदी सरकार को 400 सीट इसलिए भी चाहिए, क्‍योंकि संविधान को बदलना है. jharkhabar.com Hindi से बातचीत में स्थानीय निवासी लोकनाथ सिंह ने भी कहा कि उत्तर प्रदेश की राजनीतिक जाति और धर्म के इर्द-गिर्द घूम रही है. इस चुनाव में जातिवादी हावी रहा. न मंदिर का मुद्दा चल ना विकास का मुद्दा चला, ना महंगाई का मुद्दा चला, केवल धर्म और जातिवाद इस चुनाव में हावी रहा. वहीं दूसरी तरफ मेराज खान ने लल्‍लू सिंह क्‍यों हारे, इस पर कहा कि, ‘लल्लू सिंह ने कभी जनता की आवाज नहीं सुनी, जब भी जनता उनके पास गई लल्लू सिंह ने उनकी आवाज नहीं सुनी, उनकी आवाज को अनसुना कर दिया गया, राम पथ निर्माण के दौरान जब दुकान और मकान तोड़े गए तो मुआवजे के लिए जब अपने जनप्रतिनिधि के पास जनता जाती है तो यह कहकर नकार देते हैं कि यह मामला सरकार का है तो फिर सरकार के पास कौन जाएगा, जनता या जनप्रतिनिधि.’ Tags: Ayodhya, BJP, Faizabad lok sabha election, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Samajwadi partyFIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 18:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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