मेरे ससुर भारत सरकार पति बिहार सरकार और मैंदीपा मांझी की जीत के फैक्टर
मेरे ससुर भारत सरकार पति बिहार सरकार और मैंदीपा मांझी की जीत के फैक्टर
Imamganj Upchunav Result: इमामगंज विधानसभा सीट से दीपा मांझी ने 6 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की है. उन्होंने आरजेडी के रोशन मांझी को नजदीकी मुकाबले में मात दी है, लेकिन दीपा मांझी की जीत का एक और बड़ा फैक्टर है जो सबको चौंका रहा है.
हाइलाइट्स इमामगंज उपचुनाव में दीपा मांझी की जीत के कई कारण. आरजेडी के रोशन मांझी मांझी को दीपा मांझी ने हरा दिया. पीके की जन सुराज के जितेंद्र पासवान को मिले 37000 वोट.
गया. दीपा मांझी जब भी जनता के बीच जातीं तो एक बात जरूर दोहराती कि- मेरे ससुर भारत सरकार में हैं, मेरे पति बिहार सरकार में हैं और मैं जीत गई तो जनता के बीच में आपके साथ रहूंगी… शायद दीपा मांझी कि यह बात लोगों को अपील कर गई और उन्होंने 6000 से अधिक मतों के अंतर से राजद के रोशन मांझी को इमामगंज सीट पर हरा दिया. ऐसे तो दीपा मांझी की पहचान सियासी तौर पर बहुत अधिक चर्चित नहीं रही है, लेकिन उनके ससुर जीतन राम मांझी से उनका नाम जुड़ता है तो निश्चित तौर पर विरासत परिवार से जुड़ जाता है. अब सवाल यह है कि दीपा मांझी ने राजनीति में एंट्री के साथ ही जीत कैसे हासिल कर ली तो उसके पीछे एक बड़ी वजह प्रशांत किशोर की जन सुराज का फैक्टर सामने आता है.
दरअसल, इमामगंज में जन सुराज पार्टी के जितेंद्र पासवान ने 37090 वोट लिए. जाहिर तौर पर यह विधानसभा के लिहाज से बहुत बड़ा आंकड़ा है, क्योंकि अगर राजद के रोशन मांझी से उनकी तुलना करें तो आरजेडी के कैंडिडेट को 47, 352 वोट मिले, वहीं दीपा मांझी को 53,141 वोट अब सवाल उठता है कि अगर इमामगंज से जन सुराज का कैंडिडेट नहीं होता तो क्या दीपा मांझी जीत जातीं तो यह वोटों के समीकरण से इस सवाल का जवाब वोटों के समीकरण से जुड़ता है.
जितेंद्र पासवान एक बहुत ही साफ सुथरी छवि के डॉक्टर रहे हैं. इलाके में उन्होंने कोरोना संकट के दौरान जबरदस्त काम किया था. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने उनकी समाज सेवा काफी सुर्खियों में रही थी. ऐसे में लोगों ने उन्हें अपने सिर माथे पर बिठाया. जन सुराज का उनको कैंडिडेट बनाना काम कर गया. भले जितेंद्र पासवान जीत नहीं पाए हों, लेकिन जितेंद्र पासवान ने जो अपनी सियासी धमक दिखाई उसने जन सुराज के लिए राह दिखा दी है. दरअसल जितेंद्र पासवान को सर्वसमाज का वोट मिलने की बात सामने आ रही है जो आने वाली राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण हो सकता है.
वहीं, दीपा मांझी की जीत के फैक्टर की बात करें तो मांझी वोटों का बिखराव हुआ और बहुत बड़ा हिस्सा आरजेडी के रोशन मांझी की ओर भी गया. लेकिन, एनडीए का जो कोर वोट था, पिछड़े और अति पिछड़े समाज के साथ ही सवर्णों का, वह दीपा मांझी की ओर गया. जितेंद्र पासवान को मिले सवर्ण वोटों के अतिरिक्त सारे वोट दीपा मांझी को गए. वोटों के समीकरण के लिहाज से देखें तो जितेंद्र पासवान ने दीपा मांझी की जीत की राह आसान कर दी क्योंकि पासवान जाति के वोट उन्हें भारी मात्रा में मिले जो परंपरागत रूप से आरजेडी की ओर जाते रहे हैं.
वहीं, रोशन मांझी की हार इसलिए भी हुई क्योंकि स्थानीय होने के कारण उन्होंने मांझी वोट तो लिया, लेकिन उनके भी कुछ वोट जैसे- यादव समाज का कुछ वोट दीपा मांझी के पाले में चला गया. जबकि, जन सुराज के कैंडिडेट ने सभी समाज का वोट लिया. स्थानीय जानकार बताते हैं कि अगर जन सुराज फैक्टर ना होता तो आरजेडी यह सीट निकाल लेती. निश्चित तौर पर दीपा मांझी की जीत में जन सुराज कारक ने बहुत बड़ा काम किया है और राजद के लिए यह एक बड़ा सेटबैक साबित हुआ.
FIRST PUBLISHED : November 23, 2024, 14:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed