मॉरिशस के वाकये से चौंक गई थीं बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के बचपन का नाम जानें

शारदा सिन्हा की जिंदगी उम्मीदों से भरी जिंदगी रही. बिहार कोकिला ने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव को बड़ी ही जिंदादिली से जिया है और लोकगीतों से लेकर गजल, भजन और बॉलीवुड में तक में अपने काम से इतनी प्रतिष्ठा बटोरी जो असाधारण है. ऐसे तो शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के नाम से जाना जाता है, लेकिन उनको कई उपनाम भी दिये गए हैं. एक और खास बात यह कि शारदा सिन्हा उनका बाद के दौर में दिया गया नाम है न कि बचपन का. उनका बचपन का नाम क्या था आइये आगे जानते हैं.

मॉरिशस के वाकये से चौंक गई थीं बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के बचपन का नाम जानें
हाइलाइट्स शारदा सिन्हा का इंटरव्यू 8 दिसंबर 1991 को एक अखबार में छपा था. बिहार कोकिला ने खुद से संबंधित कई निजी जानकारियां भी बताई थीं. शारदा सिन्हा ने बताया था कि बचपन का नाम क्या था और कहां पढ़ाई की. पटना. शारदा सिन्हा को लोग बिहार कोकिला कहते हैं. इसके साथ ही बिहार की लता मंगेशकर और मिथिला की बेगम अख्तर जैसे उपनाम उनको दिये गए हैं. वहीं, भोजपुरी कोकिला, लोक रत्न, छठ की रानी (छठ गीतों की रानी), छठ सम्राज्ञी, सुरों की रानी, बिहार की शान और छठ गीतों की महारानी जैसे नामों से भी उन्हें पुकारा जाता रहा है. ये उपनाम बताते हैं कि शारदा सिन्हा को उनकी अद्वितीय आवाज और लोक गायिकी और उनके गाये छठ गीतों में उनके योगदान के लिए बहुत सम्मानित किया जाता है. शारदा सिन्हा की संगीत यात्रा के साथ उनके निजी जीवन के बारे में भी लोगों को जानने की उत्सुकता रहती है. ऐसे में एक खास जानकारी हम आपके लिए लाये हैं कि शारदा सिन्हा का यह ओरिजिनल नाम नहीं है बल्कि बचपन में कुछ और नाम था. इस बात का खुलासा उन्होंने एक प्रतिष्ठित अखबार को दिये इंटरव्यू में किया था. झारखंड खलारी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने एक स्थानीय रिपोर्टर को साक्षात्कार दिया था जिसका प्रकाशन 8 दिसंबर 1991 को प्रभात खबर के रविवारीय पत्रिका में हुआ था. इस इंटरव्यू की प्रकाशित प्रतिलिपि उन्हें मिली थी. उन्होंने इसपर खुशी जाहिर की थी और पत्र भेजकर सराहना भी की थी. अखबार के इसी इंटरव्यू में में शारदा सिन्हा ने बताया था कि लोक गायिका शारदा सिन्हा का जन्म रांची जिला के मांडर स्थित मिशन नर्सिंग होम में हुआ था. उनके पिता जी उस समय रांची में एजुकेशन इंस्पेक्टर थे. उनका परिवार रांची कचहरी स्थित डीएसी कार्यालय के पास रहता था. शारदा सिन्हा का नाम उस समय विजया सिन्हा था. इसका खुलासा स्वयं शारदा सिन्हा ने किया था. इस अखबार के कटिंग की तस्वीर आगे दी गई है. 8 दिसंबर 1991 को प्रभात खबर के रविवारीय पत्रिका में शारदा सिन्हा ने अपने इसी इंटरव्यू में बताया है कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा रांची के उर्सलाइन कान्वेंट स्कूल में हुई थी. उस समय उनका नाम विजया था, लेकिन बाद में शारदा सिन्हा हो गया. उन्होंने यह भी बताया कि यह नाम उनका कैसे बदल गया इसका उन्हें ठीक-ठीक याद नहीं है. शारदा सिन्हा ने अपने इसी इंटरव्यू में रांची से जुड़ी कुछ यादों को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, मुझे बहुत याद तो नहीं, लेकिन एक बुजुर्ग महिला की याद मुझे बराबर आती है जो मेरे निवास के बगल में ही रहती थीं. वह हमेशा गाउन पहनती थीं और मुझे बहुत प्यार करती थीं. मेरे गले में तीन धारी (गले में चिन्ह उभरे थे) देखकर वह बुजुर्ग औरत बार-बार कहती थी कि यह बहुत बड़ी गायिका बनेगी. मैं उसे महिला को कभी भी नहीं भूल पाती हूं, 21 जनवरी 2023 को शारदा सिन्हा की पोस्ट की गई वह तस्वीर जब जब मुंबई के “Aspects of bhakti in Indian music tradition” सेमिनार में जा रही थीं. शारदा सिन्हा ने खुद के समस्तीपुर में व्याख्याता होने की बात इस इंटरव्यू में बताई थी और समस्तीपुर में उनके घर होने के बारे में भी जानकारी दी थी. उन्होंने अपने गीत संगीत की शिक्षा के बारे में बताया कि भारतीय नृत्य कला मंदिर पटना से उन्होंने मणिपुर पूरी नृत्य सीखी थी. इसके बाद प्रयाग संगीत समिति से ‘प्रवीण’ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी. गायन में उनका झुकाव कैसे हुआ इस बारे में उन्होंने बताया कि, ‘नृत्य के साथ-साथ गायन का अभ्यास भी किया जाता है और उसी में सफल होती गईं. फिर भी उन्हें नृत्य से बहुत ज्यादा लगाव रहा. उन्होंने मैंने प्यार किया फिल्म में अपने गए गीत- कहे तो से सजना …का भी जिक्र किया और यह भी बताया कि भोजपुरी फिल्म ‘माई’ उन्होंने एक छोटी सी भूमिका निभाई थी. अपने जीवन की एक यादगार घटना के बारे में शारदा सिन्हा ने बताया कि वह एक बार मॉरीशस आजादी की 20वीं वर्षगांठ पर भारतीय संस्कृति मंडली में एक प्रतिनिधि के रूप में गईं थीं. इस प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता शंकर दयाल शर्मा कर रहे थे. जब वे लोग इंदिरा गांधी हवाई अड्डा (मॉरीशस) से कर से अपने आवास पर जा रहीं थीं तो उस का में उनके (शारदा सिन्हा) के गाये गीत बज रहे थे. तब उन्होंने सोचा कि उनकी उपस्थिति में शायद यह गीत उनका ड्राइवर बजा रहा है. लेकिन, उन्होंने बताया कि मॉरीशस ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन से यह गीत बज रहा था तो उन्हें बड़ा सुखद आश्चर्य हुआ. शारदा सिन्हा ने फेसबुक पर 22 जनवरी 2023 को बेटी वंदना भारद्वाज के जन्मदिवस पर तस्वीर पोस्ट की. शारदा सिन्हा ने कहा कि मॉरीशस के क्रियोल मूल के लोग जो हिंदी नहीं जानते हैं. उनसे उनके गीतों के कैसेट मांगने लगे तो उन्होंने पूछा तो आप लोग तो हिंदी नहीं जानते हैं. भोजपुरी के गीत कैसे समझेंगे? तो उन लोगों ने बताया कि गीत हमें बहुत अच्छे लगते हैं और हम लोग यहां खूब सुनते हैं और समझने की कोशिश करते हैं. इसी इंटरव्यू में शारदा सिन्हा ने बताया था कि 1979 में उन्हें ‘बेस्ट ऑफ द ईयर’ से सम्मानित किया गया था. 1986 में सुपर कैसेट की ओर से ‘गोल्डन डिस्क’ मिला. 1987 में ‘बिहार गौरव’ पश्चिम बंग भोजपुरी परिषद द्वारा 1987 में ‘भोजपुरी कोकिला’ की उपाधि दी गई. 1990 में ‘लोक रत्न’ तथा 1991 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. बता दें कि बिहार कोकिला को 2018 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है. Tags: Bihar News, Patna News Update, Ranchi newsFIRST PUBLISHED : November 6, 2024, 15:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed