Bihar Politics: लालू यादव का वो डर जिस कारण कांग्रेस से कर रहे किनारा!
Bihar Politics: लालू यादव का वो डर जिस कारण कांग्रेस से कर रहे किनारा!
Bihar Politics News: लालू यादव ने जब इंडिया अलायंस के नेतृत्व को लेकर ममता बनर्जी के नाम का समर्थन किया तो एकबारगी लोग यह नहीं समझ पाये कि अचानक क्या हुआ जो आरजेडी, कांग्रेस से दूरी बनाने लगी. लेकिन, जानकारों ने जब गहराई से अध्ययन किया तो यह निचोड़ निकाल लिया कि लालू यादव को आखिर किस बात का डर है.
हाइलाइट्स ममता बनर्जी का सपोर्ट कर लालू प्रसाद यादव ने चला बड़ा दांव. इंडिया अलायंस में कांग्रेस को चित करने के लिए बड़ी रणनीति. मुस्लिम यादव समीकरण को आरजेडी में इंटैक्ट रखने की कोशिश.
पटना. लालू प्रसाद यादव आने वाले समय में कौन सा राजनीतिक दांव चलेंगे यह कहना मुश्किल है. लेकिन, फिलहाल जो राजनीतिक परिदृश्य उभर रहे हैं इससे लगता है कि अब तक कंग्रेस के साथ ‘दांत काटी रोटी’ वाली दोस्ती को छोड़ने के लिए वह तैयार हैं. लालू यादव ने साफ तौर पर कह दिया कि इंडिया अलायंस की कमान ममता बनर्जी को मिले तो आरजेडी उसका समर्थन करेगी. साफ है कि राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता पर लालू यादव और तेजस्वी यादव को अब भरोसा नहीं रहा…..लेकिन, क्या ऐसा ही है? दरअसल, इस राजनीति के अंदरखाने लालू यादव का वो डर है जो उन्हें कांग्रेस से किनारा करने को मजबूर कर रहा है. कांग्रेस को लालू यादव तवज्जो नहीं दे रहे और बिहार विधानसभा चुनाव के लिए आरजेडी अकेले आगे बढ़ने को तैयार है, मगर क्यों?
राजनीति के जानकार बताते हैं कि हाल के दिनों में राहुल गांधी के संविधान की पुस्तक हाथों में लहराना और देश के की सियासत का नरेटिव सेट करना इंडिया अलायंस के अन्य सहयोगी दलों के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है. यूपी में जिस तरह अखिलेश यादव को कांग्रेस से ‘सियासी डर’ लगने लगा है बिहार की राजनीति के संदर्भ में भी यही बात लालू यादव-तेजस्वी यादव की आरजेडी के साथ लागू होती दिख रही है. राजनीति के जानकारों की नजर में लालू यादव इस बात से डरे हुए हैं कि क्या कांग्रेस फिर से उभर सकती है? दरअसल, इसके पीछे एक सियासी पेंच है जो मुस्लिम परस्त दिखने और होने की राजनीति के आधार पर कांग्रेस को लेकर आरजेडी को उलझा रही है.
हालांकि, आरजेडी के नेता इस बात से इनकार कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि अगर ऐसा नहीं है तो लालू यादव ने कांग्रेस से दूरी बनाने क्यों शुरू कर दी? राजद ने क्यों अकेले लड़ने की तैयारी शुरू कर दी? राजनीति के जानकार कहते हैं कि जाहिर तौर पर हाल के दिनों में जिस तरह से मुस्लिम मतों का झुकाव कांग्रेस की ओर हुआ है, लालू यादव इससे परेशान रहे हैं. यह बात तेलंगाना के चुनाव, वायनाड लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस के पक्ष में मौलानाओं के ऐलान के साथ ही आगे बढ़ती है और बिहार तक पहुंच जाती है. इसको गहराई से देखें तो बीते बिहार विधानसभा उपचुनाव में भी दिखा जब चारों सीटों पर महागठबंधन की हार हो गई. इस इलेक्शन में आरजेडी ने अपनी बेलागंज और रामगढ़ की दो सीटें गंवा दीं जो परंपरागत रूप से वह बीते तीन दशकों से जीतती रही है.
पप्पू फैक्टर से कांग्रेस में जोश!
इसी तरह पूर्णिया लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतों का निर्दलीय (अघोषित रूप से कांग्रेस) पप्पू यादव की ओर झुक जाना लालू यादव को टेंशन दे गया था. तेजस्वी यादव वहां हाथ पैर मरते रह गए, यहां तक कह दिया कि एनडीए कैंडिडेट को जितवा दीजिये, लेकिन पप्पू यादव के सामने तेजस्वी की एक न चली और सारे मुस्लिम मत पप्पू यादव के पक्ष में गोलबंद हो गए और कांग्रेस के अघोषित प्रत्याशी पप्पू यादव के पक्ष में हो गए. इसी तरह रुपौली विधानसभा उपचुनाव में भी यही बात उभरकर सामने आई जब मुसलमानों ने महागठबंधन की प्रत्याशी आरजेडी की बीमा भारती को करारी हार झेलनी पड़ी. यहां निर्दलीय शंकर सिंह के पक्ष में अधिकांश मुस्लिमों ने अपना मतदान किया.
आरजेडी को अपने गढ़ की चिंता!
बड़ी राजनीति सीमांचल की भी है जो परंपरागत रूप से आरजेडी का गढ़ है. लेकिन, सीमांचल की सियासत में कांग्रेस अपनी दावेदारी और दखल बढ़ाने के मूड में है. यही कारण रहा जब राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के क्रम में सीमांचल के चारों जिलों-पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज को कवर किया. हाल के दिनों में जिस तरह से पप्पू यादव ने सीमांचल में अपनी सक्रियता दिखाई है और मुस्लिमों के पक्ष में अपने कई बयान दिये हैं. स्थानीय जानकार मानते हैं कि उनकी लोकप्रियता मुस्लिमों के बीच बढ़ी है. पप्पू यादव फैक्टर का असर रूपौली विधानसभा उपचुनाव में भी दिखा था और पप्पू यादव के कारण ही मुस्लिम वोटर शंकर सिंह के पक्ष में और जोर से गोलबंद हो गए थे.
कांग्रेस की रणनीति का काट खोज रहे लालू
पप्पू यादव फिलहाल निर्दलीय सांसद के तौर पर जरूर हैं, लेकिन हाल में ही झारखंड में उन्होंने कांग्रेस के पक्ष में काफी चुनाव प्रचार किया. अब पप्पू यादव कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ने या फिर महागठबंधन में लीड की भूमिका में आने की वकालत कर चुके हैं. जाहिर तौर पर आरजेडी पर प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा हो सकता है, लेकिन कांग्रेस की तैयारी से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे में लालू यादव ने पहले से ही कांग्रेस के आगे कमजोर नहीं दिखने और मजबूती से मुस्लिम राजनीति के संकेत दिये हैं. लालू यादव के बारे में ऐसे भी कहा जाता है कि वह बिहार की राजनीति के हर नब्ज को पढ़ना जानते हैं. वर्ष 2015 में उन्होंने जिस तरह से आरक्षण पर मोहन भागवत के बयान को जिस तरह से मुद्दा बना लिया था और बड़ी जीत हासिल की थी, इसी तरह मुस्लिम-यादव गठजोड़ को इंटैक्ट रखने के लिए भी वह कोई न कोई रणनीति पर जरूर काम कर रहे होंगे.
ओवैसी और पीके ने दोगुना किया टेंशन
दरअसल, लालू यादव की चिंता कांग्रेस ही नहीं बिहार के सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी का फैक्टर एक बड़ा ही चैलेंज है, जो आरजेडी के समक्ष चुनौती के तौर पर है. असदुद्दीन ओवैसी उस बात का बदला लेने के लिए भी आतुर हैं कि आरजेडी ने उनके चार विधायकों को तोड़ लिया था. राजनीति के जानकार कहते हैं कि एक ओर कांग्रेस तो दूसरी ओर ओवैसी फैक्टर से लालू यादव परेशान हैं और आरजेडी अपनी नई रणनीति पर चलने को तैयार हो रही है. वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस को यह पता है मुस्लिमों का रुझान कांग्रेस पार्टी की ओर हो चला है, वहीं लालू यादव भी इस बात को भांप चुके हैं. वह यह भी जानते हैं आने वाले समय में मुस्लिमों में यह संदेश देना चाहते हैं कि कांग्रेस नहीं आरजेडी ही मुस्लिमों का सच्चा साथी है.
लालू यादव ने चली दोहरी चाल, होगी कामयाब!
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि असदुद्दीन ओवैसी के अतिरिक्त प्रशांत किशोर मुस्लिम मतों में जिस तरह से सेंध लगाते जा रहे हैं यह लालू यादव के मुस्लिम- यादव समीकरण यानी ‘माय’ (M-Y) समीकरण को पूरे तरह से ध्वस्त करने के लिए काफी है. वहीं, बड़ा कोण कांग्रेस का है जो मुस्लिम मतों को अपने पक्ष में करने के लिए तमाम कवायद कर रही है. अब लालू यादव पसोपेश में हैं कि कांग्रेस के साथ रहे तो क्या होगा, हट जाएं तो क्या होगा? ऐसे में लालू यादव ने एक रणनीतिक चाल चली है और यह साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस से दूरी बनाते दिख रहे हैं. दरअसल, लालू यादव को डर मुसलमानों के ‘माय’ समीकरण से निकल जाने का और फिर से कांग्रेस की ओर शिफ्ट कर जाने का डर जाने का है. लालू यादव के कांग्रेस को किनारे करने के दांव से दो बातों की संभावना अधिक दिखती है, पहला यह कि राजद कांग्रेस पर दबाव बना रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अधिक सीटें न मांगे. दूसरा यह कि वह ममता बनर्जी के करीब होकर और अधिक मुस्लिम परस्त दिख सकें जिससे सियासी समीकरण सध सके.
Tags: Asaduddin owaisi, Bihar politics, INDIA Alliance, Lalu Prasad Yadav, Lalu Yadav News, Mamta Banarjee, Muslim Voters, Pappu Yadav, Prashant Kishore, Rahul gandhi latest newsFIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 12:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed