Bihar Politics: लोकसभा चुनाव के लिए सेमीफाइनल क्यों माना जा रहा कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव का परिणाम
Bihar Politics: लोकसभा चुनाव के लिए सेमीफाइनल क्यों माना जा रहा कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव का परिणाम
Bihar News: कुढ़नी की जनता ने किसे जीत का सेहरा पहनाया है; इस पर से पर्दा 8 दिसंबर की दोपहर तक उठ जाएगा. लेकिन, इसके पहले चुनाव लड़ रही पार्टियों की तरफ से जीत के दावे होने लगे हैं. मगर; लाख टके का सवाल यही है की आखिर कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव को लोकसभा चुनाव के लिए सेमीफाइनल क्यों माना जा रहा है?
हाइलाइट्सकुढ़नी विधान सभा उपचुनाव को क्यों कहा जा रहा लोकसभा का सेमीफाइनल? गुरुवार दोपहर तक कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव का परिणाम आने की संभावना. कुढ़नी उपचुनाव को बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं कई विशेषज्ञ.
पटना/मुजफ्फरपुर. लोकसभा चुनाव के पहले कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव को बिहार की राजनीति में सेमीफाइनल माना जा रहा है. यही वजह है कि इस चुनाव को अपने पाले में करने के लिए तमाम सियासी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी थी. दरअसल, इन दलों को भी पता है कि कुढ़नी का चुनाव परिणाम आनेवाले समय में सियासी समीकरण बनाने में बेहद मददगार हो सकती है कि कौन से समीकरणों और मोर्चे पर ज्यादा काम करना है; या फिर किस पाले को मजबूती से पकड़ कर रखना है.
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव को बिहार के सियासत के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं. वे कहते हैं, ये चुनाव सरकार लड़ रही थी. खासकर नीतीश कुमार ने ये सीट राजद से मांग कर लड़ी है, वो भी तब जब ये सीट राजद के पास थी. इस वजह से भी जदयू के लिए ये सीट महागठबंधन से ज्यादा जदयू के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है. यही वजह है कि जदयू के तमाम शीर्ष नेताओं ने कुढ़नी में जीत के लिए दिन रात मेहनत की है. खुद ललन सिंह ने कुढ़नी में कैंप किया था. इसके साथ ही चुनाव प्रचार के आखिरी दिन महागठबंधन के तमाम बड़े नेता भी कुढ़नी में मौजूद थे.
अरुण पांडे कहते हैं, गोपालगंज और मोकामा उपचुनाव में बीजेपी और राजद ने अपनी सीट बचा ली थी. अब जदयू के सामने चुनौती है कि वो कुढ़नी सीट कैसे बचाती है. कुढ़नी चुनाव अगर जदयू जीत जाती है तो आनेवाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए परेशानी बढ़ सकती है. यह इसलिए कि, बिहार में बीजेपी की नजर चालीस लोकसभा सीटों पर है. जब पिछली बार जदयू के साथ मिलकर 39 सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन, कुढ़नी में हार के बाद महागठबंधन पूरी ताकत से लोकसभा चुनाव लड़ेगा और बीजेपी को कड़ी टक्कर देगा. वहीं, अगर बीजेपी जीत जाती है तो उसका मनोबल भी काफी बढ़ जाएगा. इसका यह भी एक कारण है कि भाजपा नीतीश कुमार के साेय से बाहर निकलकर लोकसभा चुनाव लड़ेगी. आपके शहर से (पटना) बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तराखंड हरियाणा झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र पंजाब पटना पटना गया मुजफ्फरपुर भागलपुर अररिया अरवल औरंगाबाद कटिहार किशनगंज खगड़िया गोपालगंज जमुई जहानाबाद दरभंगा नवादा नालंदा पश्चिमी चंपारण पूर्णिया पूर्वी चंपारण बक्सर बांका बेगूसराय भोजपुर मधुबनी मधेपुरा मुंगेर मोतिहारी राजगीर रोहतास लखीसराय वैशाली शेखपुरा समस्तीपुर सहरसा सारण सीतामढ़ी सीवान सुपौल कैमूर
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वहीं, बीजेपी की जीत के बाद बिहार में महागठबंधन की मुश्किल भी बढ़ सकती है. जब सात दल मिलकर भी अपनी सीटिंग सीट नहीं बचा सकते तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कैसे टक्कर देंगे? साथ ही नीतीश कुमार की राष्ट्रीय राजनीति में मजबूती से उतरने की तैयारियों पर भी झटका लग सकता है. वहीं कुढ़नी में दो राजनीतिक पार्टियां VIP और AIMIM की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है. दोनों का दावा अपने-अपने खास वोट बैंक पर है. ऐसे में कुढ़नी के चुनाव परिणाम से उनके दावे की भी जांच हो जाएगी.
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं, कुढ़नी विधान सभा उपचुनाव ये तय भी करेगा कि मुकेश सहनी का जादू सहनी वोटर पर कितना है, जो ये दावा करते हैं कि सहनी समाज वहीं वोट देता है जिधर VIP के उम्मीदवार खड़े होते हैं या समर्थन देती है. ऐसा इसलिए भी कि कुढ़नी में सहनी वोटर भी निर्णायक माने जाते हैं.
कुछ ऐसा ही दावा AIMIM की तरफ से भी किया जा रहा है जिसने गोपालगंज उपचुनाव में अपनी ताकत दिखाई थी और इसकी वजह से राजद उम्मीदवार की हार हो गई थी. अब मुस्लिम वोटरों पर उसकी पकड़ उतनी ही मजबूत है या गोपालगंज में कुछ स्थानीय फैक्टर की वजह से वोट मिले थे, इस पर से भी तस्वीर साफ हो जाएगी. बहरहाल जीत के दावे तो तमाम दल कर रहे हैं, लेकिन कुढ़नी की जनता ने किसे ताज पहनाने के लिए वोट किया है, जो अभी ईवीएम में कैद है.
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Tags: Assembly by election, Bihar Elections, Bihar News, Bihar politicsFIRST PUBLISHED : December 07, 2022, 17:45 IST