गोपालगंज जहरीली शराब कांड पर SC पहुंची बिहार सरकार कोर्ट जल्द सुनवाई को तैयार
गोपालगंज जहरीली शराब कांड पर SC पहुंची बिहार सरकार कोर्ट जल्द सुनवाई को तैयार
2016 में बिहार के गोपालगंज के खजूरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी और 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. गोपालगंज स्पेशल कोर्ट ने 26 फरवरी 2021 को 9 आरोपियों को फांसी और 4 महिलाओं को उम्रकैद की सजा सुनाई. लेकिन पटना हाईकोर्ट ने 9 की फांसी रद्द कर दी और उम्रकैद की सजा पाई 4 महिलाओं को भी बरी कर दिया. अब सुप्रीम कोर्ट इस पर जल्द सुनवाई को तैयार हो गया है.
नई दिल्लीः बिहार के गोपालगंज जहरीली शराब कांड मामले को लेकर बिहार सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई करने की बात कही है. बिहार सरकार ने पटना हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें 9 गुनहगारों की फांसी की सजा को रद्द कर दिया गया था और 4 की उम्रकैद का फैसला पलट दिया था. ये मामला साल 2016 का है. गोपालगंज के खजूरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी और 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी.
2016 में खजूरबानी में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों को लेकर नगर थाने में एफआईआर संख्या 347/16 के तहत मामला दर्ज किया गया था. इसमें जहरीली शराब बनाने और जान लेने का आरोप था. इसके बाद नगर थाना पुलिस ने खजुरबानी गांव के नगीना पासी, रुपेश शुक्ला सहित कुल 14 लोगों को अभियुक्त बनाया. छानबीन के बाद पुलिस ने 14 अक्टूबर 2016 को कोर्ट में चार्जशीट दायर की. 19 अक्टूबर 2016 को कोर्ट ने चार्जशीट का संज्ञान लिया. 25 मई 2017 को चार्ज फ्रेम किया गया. इसके बाद प्रक्रिया आगे बढ़ी और अभियोजन पक्ष से 7 लोगों की गवाही दर्ज की गई. एक आरोपी की ट्रायल के दौरान मौत हो गई.
120 दिनों तक चली बहस के बाद गोपालगंज के उत्पाद विशेष कोर्ट सह एडीजे लवकुश कुमार ने 26 फरवरी 2021 को सभी 13 आरोपियों को दोषी करार दिया. इन 13 नामजद अभियुक्तों में छट्ठू पासी, नगीना पासी, राजेश चौधरी, संजय पासी, संजय पासी, मुन्ना पासी, कन्हैया पासी, लालबाबू पासी और सनोज पासी को फांसी की सजा सुनाई गई. जबकि रीता देवी, इंदु देवी, लालझड़ी देवी और कैलाशो देवी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. सभी आरोपियों पर 10-10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया.
उत्पाद विशेष कोर्ट के फैसले के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में अपील की गई. हाल ही में 13 जुलाई को पटना हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले को पलटते हुए 9 दोषियों की फांसी की सजा को रद्द कर दिया और उम्रकैद की सजा पाई 4 महिलाओं को भी बरी कर दिया. जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह और जस्टिस हरीश कुमार की बेंच ने अभियुक्तों की अपील और राज्य सरकार की तरफ से दाखिल डेथ रेफरेंस पर एक साथ सुनवाई के बाद यह आदेश दिया.
89 पन्नों के फैसले में हाईकोर्ट ने लिखा कि गोपालगंज थाने के SHO ने जानकारी के बावजूद FIR दर्ज नहीं की. ज्यादातर जांच FIR से पहले ही पूरी कर ली गई. बिना वजह देर से FIR दर्ज किए जाने से भी कई सवाल खड़े होते हैं. कोर्ट ने ऑर्डर में लिखा कि गवाहों में से कोई भी पूछताछ के दौरान किसी मृतक का नाम नहीं बता पाया. अभियोजन पक्ष पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश करने में भी नाकाम रहा, जिससे साबित हो सके कि मृत्यु जहरीली शराब से हुई. जब्त सामग्री को भी कोर्ट में पेश नहीं किया गया. हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम जल्द मामले की सुनवाई करेंगे.
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Tags: Illegal liquor, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : July 19, 2022, 14:18 IST