क्या रूसी सेना में सैनिक की कमी हो गई क्यों लामबंदी के बाद देश छोड़ कर भाग रहे हैं लोग
क्या रूसी सेना में सैनिक की कमी हो गई क्यों लामबंदी के बाद देश छोड़ कर भाग रहे हैं लोग
रूसी प्रशासन का कहना है कि केवल उन्ही लोगों को सैन्य बुलावा यानी कॉलअप भेजा गया है जो सैन्य सेवा दे चुके हैं या जिनके पास युद्ध का अनुभव और विशेष कौशल है. दावे के उलट लोगों का कहना है कि ऐसा नहीं है और उन लोगों के पास भी बुलावा पहुंचा है जो किसी तरह का कोई सैन्य अनुभव नहीं रखते हैं.
हाइलाइट्सलोग पड़ोसी देश जाने के लिए लगी लंबी कतारों से बचने के लिए पैदल या साइकिल के जरिये सीमा पार कर रहे हैंलामबंदी की घोषणा के बाद रूस से बाहर जाने वाली फ्लाइट की टिकट के दाम आसमान छू रहे हैं जर्मनी के गृहमंत्री ने देश छोड़ कर जा रहे रूसियों को शरण देने की बात कही है
मास्को. रूस की सीमाओं पर इन दिनों युवाओं की लंबी कतार लगी हुई है, सभी देश छोड़ कर जाने की हड़बड़ी में नजर आ रहे हैं. दरअसल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने बुधवार को आंशिक सैन्य लामबंदी की घोषणा की थी. जिसका मतलब है कि 3 लाख लोगों को लड़ने के लिए बुलाया जा सकता है. हालांकि युवाओं के देश छोड़कर भागने की बात से रूस ने इनकार किया है. लेकिन जॉर्जिया से सटी रूस की सीमा पर मीलों लंबी वाहनों की कतार दूसरी ही कहानी बयान कर रही है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ लोग पड़ोसी देश में जाने के लिए लगी लंबी कतारों से बचने के लिए पैदल या साइकिल के जरिये सीमा पार कर रहे हैं. बहुत से युवा तो इसलिए देश छोड़ रहे है क्योंकि उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखनी है और आंशिक लामबंदी के तहत उन्हें युद्ध में झोंका जा सकता है. इसलिए वह 12-12 घंटे कतार में खड़े होकर सीमा पार जाने का इंतजार कर रहे हैं.
जॉर्जिया रूस के उन कुछ पड़ोसी देशों में से है जहां जाने के लिए रूस को वीजा लेने की जरूरत नहीं पड़ती है. इसी तरह फिनलैंड जो रूस के साथ करीब 1300 किमी की सीमा साझा करता है, वहां यात्रा करने के लिए वीजा की जरूरत पड़ती है. लेकिन वहां भी रातभर में ट्रैफिक काफी बढ़ गया है. हालांकि यहां स्थिति इतनी खराब नहीं है. इसी तरह कुछ जगह जहां हवाई रास्ते से जाया जा सकता है, जैसे इस्तांबुल, बेलग्राद या दुबई में सैन्य बुलावे की घोषणा यानी कॉल अप के बाद फ्लाइट के दाम आसमान छू रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद कुछ जगह पूरे टिकट बिक चुके हैं.
तुर्की मीडिया ने जानकारी दी है कि एकतरफा टिकट की बिक्री में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई है. वहीं गैर वीजा वाली जगह पर जाने वाली फ्लाइट के दाम हजार यूरो से ज्यादा तक पहुंच गए हैं. जहां एक तरफ जर्मनी के गृहमंत्री ने देश छोड़ कर जा रहे रूसियों के स्वागत की बात कही है. वहीं लिथुआनिया, लातविया, इस्टोनिया और चेक रिपब्लिक के स्वर बदले हुए हैं और उन्होंने रूसी शरणार्थियों को शरण देने से इनकार किया है.
रूसी प्रशासन का कहना है कि केवल उन्हीं लोगों को सैन्य बुलावा यानी कॉलअप भेजा गया है जो सैन्य सेवा दे चुके हैं या जिनके पास युद्ध का अनुभव और विशेष कौशल है. दावे के उलट लोगों का कहना है कि ऐसा नहीं है और उन लोगों के पास भी बुलावा पहुंचा है जो किसी तरह का कोई सैन्य अनुभव नहीं रखते हैं. कॉल-अप के विरोध में रूस के मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसे बड़े शहरों में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं जिसमें करीब 1300 लोगों के गिरफ्तार किए जाने की खबर है. साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उन्हें पुलिस स्टेशन में सैन्य बुलावे से जुड़ा मसौदा थमा दिया गया है.
सैन्य लामबंदी को लेकर रूस के भीतर लोगों की प्रतिक्रिया काफी नकारात्मक रही है. इसके साथ रूस के भीतर लोगों को अंदेशा है कि सैन्य लामबंदी के लिए जो घोषणा की गई है यह उससे कहीं गुना बड़े स्तर पर भर्ती होगी. यूके के रक्षा मंत्री का कहना है कि रूसी जनता के बीच सैन्य बुलावा बुरी तरह विफल रहा है. इससे साफ जाहिर होता है कि रूस के पास अब सैन्यबल नहीं रहा है.
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Tags: Russia ukraine warFIRST PUBLISHED : September 23, 2022, 17:10 IST