पांडवों ने कौरवों को पराजित करने लिए डूंगरपुर के इस गांव में किया था यज्ञ जानें पूरी कहानी 

बताया जाता है कि पांडवों ने डूंगरपुर जिले के छापी गांव में वनवास के दौरान रह कर कौरवों को हराने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महायज्ञ किया था. इसके अवशेष आज भी यहां मौजूद हैं जिसे पांडवों की धुनी के नाम से जाना जाता है. आज भी पांडव धुनी में हवन कुंड, शिवलिंग और नंदी की प्रतिमाएं द्वापर युग को वर्तमान समय से जोड़े हुए है

पांडवों ने कौरवों को पराजित करने लिए डूंगरपुर के इस गांव में किया था यज्ञ जानें पूरी कहानी 
जुगल कलाल डूंगरपुर. महाभारत काल में कौरवों और पांडवों के बीच हुए चौसर के खेल में हार मिलने के बाद पांडवों को 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास मिला था. पांडव अपने वनवास का समय बिताने के लिए राजस्थान के डूंगरपुर जिले के छापी गांव में रहे. बताया जाता है कि पांडवों ने छापी गांव में वनवास के दौरान रह कर कौरवों को हराने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महायज्ञ किया था. इसके अवशेष आज भी यहां मौजूद हैं जिसे पांडवों की धुनी के नाम से जाना जाता है. आज भी पांडव धुनी में हवन कुंड, शिवलिंग और नंदी की प्रतिमाएं द्वापर युग को वर्तमान समय से जोड़े हुए है. वनवास के समय युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव ने छापी गांव में कुछ दिनों के लिए निवास किया था. उस समय उन्होंने कौरवों से जीतने के लिए अपने हाथों से हवन कुंड, शिवलिंग और नंदी बनाया था और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महायज्ञ किया था. इसके अवशेष आज भी यहां मौजूद हैं जिसको पांडवों की धुनी के नाम से जाना जाता है. वर्तमान समय में भी धुनी प्रज्वल्लित है. बताया जाता है कि पांडवों ने यहां यज्ञ करने के बाद ही कौरवों पर विजय हासिल की थी. हवन कुंड, दो शिवलिंग व एक नंदी के अवशेष मौजूद पांडवों की धुनी में उनके द्वारा यहां पर किये गए यज्ञ के लिए बनाये गए हवनकुंड, दो शिवलिंग एक नंदी और मूर्तियों के अवशेष बरगद के पेड़ के नीचे मौजूद हैं. इनको देखने से यह प्रतीत होता है कि यह अवशेष हजारों साल पुराने हैं. यहां रहने वाले लोग पांडवों की इस धुनी का रख-रखाव करते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि आज भी पांडवों की धुनी वैसी ही है, जैसा कि उस समय में हुआ करती होगी. बस समय के साथ धुनी के खंडित हुए भाग का मरम्मत करवाया गया है. धुनी का रख-रखाव करने वाले नयनेश व्यास बताते हैं कि पांडवों की धुनी प्राचीन समय का एक स्थान है. जब पांडवों को 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास मिला था तब वो अपना वनवास काटने के लिए छापी गांव आये थे. उन्हों उस समय यहां मंदिर बनाया था. पांडवों ने भगवान शिव की पूजा करने के लिए शिवलिंग और हवनकुंड भी बनाया था. इसके बाद उन्होंने कौरवों को पराजित करने लिए यहां पर यज्ञ किया था. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Dungarpur news, Mahabharat, Rajasthan news in hindiFIRST PUBLISHED : November 14, 2022, 17:30 IST