अनुभव भरोसा और 2024 चुनाव- आखिर अशोक गहलोत क्यों है सोनिया गांधी की पहली पसंद
अनुभव भरोसा और 2024 चुनाव- आखिर अशोक गहलोत क्यों है सोनिया गांधी की पहली पसंद
सूत्रों का कहना है कि जब सोनिया गांधी की मुलाकात गहलोत से हुई, उस दौरान उन्होंने इस मुद्दे को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी कि कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी संभालने के लिए राजी नहीं हो रहे हैं और उन्हें पार्टी के शीर्ष पद के लिए उम्मीदवार ढूंढ़ने में मुश्किल हो रही है.
कांग्रेस की डूबती नाव का तारणहार कौन होगा, लंबे वक्त से पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव होने है, ऐसे में 28 अगस्त को चुनावों के कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए कांग्रेस की बैठक आयोजित की जा रही है. लेकिन उससे पहले ही भारत की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर चर्चा तेज हो गई है. जबकि बैठक में अभी समय बाकी है, लेकिन एक नाम है जो बार-बार सामने आ रहा है वो है राजस्थान में कांग्रेस की बागडोर संभालने वाले अशोक गहलोत. वैसे भी राहुल गांधी पद संभालने के अनिच्छुक हैं और वह अपनी बात पर अड़े हुए हैं और प्रियंका गांधी वाड्रा के इस दौड़ में शामिल होने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती है.
ऐसे में क्या गहलोत बागडोर संभालेंगे?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस पद के लिए सबसे प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं. गहलोत का प्रशासनिक और संगठन के स्तर पर अनुभव और सबसे लंबे और सफल मुख्यमंत्री होना भी उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. इस वजह से उनकी संभावनाएं सबसे ज्यादा हैं.
सूत्रों का कहना है कि जब सोनिया गांधी की मुलाकात गहलोत से हुई, उस दौरान उन्होंने इस मुद्दे को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी कि कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी संभालने के लिए राजी नहीं हो रहे हैं और उन्हें पार्टी के शीर्ष पद के लिए उम्मीदवार ढूंढ़ने में मुश्किल हो रही है.
हालांकि गहलोत भी अभी तक इस भूमिका को संभालने के लिए कोई खास उत्सुक नहीं हैं, बल्कि वह राज्य के चुनाव में फिर से अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं. हां अगर कांग्रेस के इस दिग्गज नेता को कहीं से यह आभास होता है कि अगले चुनाव में भाजपा राज्य में सरकार बना सकती है तो हो सकता है कि वह इस जिम्मेदारी को स्वीकार कर लें.
गहलत को चुनने की एक अहम वजह भरोसा है. सोनिया गांधी का निजी अनुभव भी कुछ इस तरह का ही है. उन्हें याद होगा कि सीताराम केसरी जब पार्टी के अध्यक्ष थे और उन्होंने सक्रिय राजनीति में प्रवेश नहीं किया था तब किस तरह उन्हें और उनके करीबियों को बाहर रखा गया था. ऐसे में जब पार्टी दो फाड़ होने की स्थिति मे आ गई तब सोनिया गांधी को राजनीति में प्रवेश करना पड़ा. इतिहास से जो कुछ उन्होंने सीखा है वह उसे दोहराना नहीं चाहेंगी, इसलिए राहुल को लेकर उन्हें तनाव है.
हालांकि जब गहलोत से उनकी भविष्य की भूमिका के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस तरह के कदम से इनकार करते हुए कहा कि मुझे भी मीडिया के माध्यम से यह सब सुनने को मिला है लेकिन वह अपने नेताओं की ओर से दी गई जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं.
हालांकि कांग्रेस को अपने वरिष्ठ नेता के होने से एक फायदा और है. उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने पिछले गुजरात के चुनाव में आश्चर्यजनक रूप से बेहदर प्रदर्शन किया था. पार्टी अभी जीत के लिए तरस रही है. ऐसे में गांधी परिवार को लगता है कि गहलोत इस शीर्ष पद के लिए सही उम्मीदवार हो सकते हैं. इसके साथ ही गहलोत के पार्टी अध्यक्ष बनने के साथ गांधी एक तीर से दो शिकार भी कर लेंगे. कांग्रेस को डूबती नैया को किनारे लगाने की उम्मीद के साथ-साथ लंबे वक्त से सचिन पायलट की राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने की इच्छा भी पूरी हो सकती है.
गहलोत नहीं तो कौन
सोनिया गांधी की नजर महिला वोट बैंक पर भी है. जो अब तक भाजपा का अहम आधार हैं. ऐसे में अंबिका सोनी इस पद के लिए अन्य उम्मीदवार हो सकती हैं. पार्टी की वह महिला नेता जिनके पास सालों का अनुभव है और सोनिया गांधी को जिन पर पूरा भरोसा है. हालांकि उम्र और सेहत एक अड़चन हो सकती है, इसके साथ ही उनके करीबी लोगों का कहना है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि सोनी को लेकर पार्टी के अन्य लोग सहमत हों.
कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ राहुल गांधी को शीर्ष पद स्वीकार करने के लिए प्रेरित करने का आखिरी प्रयास हो सकता है, अगर यात्रा सफल होती है तो राहुल गांधी को एक बार फिर से पद स्वीकार करने के लिए मनाया जा सकता है. लेकिन फिलहाल गहलोत ही सबसे आगे चल रहे हैं.
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Tags: Ashok gehlot, CongressFIRST PUBLISHED : August 24, 2022, 16:57 IST