नाग वासुकी का मंदिर तोड़ने आया था औरंगजेब हुआ कुछ ऐसा कि भाग खड़ी हुई सेना
नाग वासुकी का मंदिर तोड़ने आया था औरंगजेब हुआ कुछ ऐसा कि भाग खड़ी हुई सेना
NagVasuki Temple: प्रयागराज के दारागंज में स्थित नागों के राजा नाग वासुकी का मंदिर है. मंदिर के पुजारी पंडित श्याम बिहारी मिश्र बताते हैं कि मुगल काल में जब औरंगजेब अकबर के किले में आया था. उस दौरान उन्होंने प्रयागराज में स्थित दो प्रमुख शिव मंदिरों पर आक्रमण किया, जिसमें पहला मंदिर नागवासुकी का था. वहीं दूसरा मंदिर दश्मेघेश्वर है.
रजनीश यादव/ प्रयागराज: सावन माह जबसे शुरू हुआ है, तबसे शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है. बम-बम भोले के जयकारों की गूंज मंदिरों के बाहर तक आ रही है. ऐसा ही एक मंदिर नागों के राजा वासुकी का है, जहां इन दिनों भक्तों का तांता लगा हुआ है. आइए इस मंदिर के इतिहास को जानते हैं.
प्रयागराज के दारागंज में स्थित नागों के राजा नाग वासुकी का मंदिर है. मंदिर के पुजारी पंडित श्याम बिहारी मिश्र बताते हैं कि मुगल काल में जब औरंगजेब अकबर के किले में आया था. उस दौरान उन्होंने प्रयागराज में स्थित दो प्रमुख शिव मंदिरों पर आक्रमण किया, जिसमें पहला मंदिर नागवासुकी का था. वहीं दूसरा मंदिर दश्मेघेश्वर है.
यहां नहीं चली औरंगजेब की तलवार
पुजारी पंडित श्याम बिहारी मिश्र आगे बताते हैं कि औरंगजेब को मूर्ति भंजक के रूप में जाना जाता है. इसलिए उसने इस मंदिर पर आक्रमण तो कर दिया, लेकिन यहां की शक्तियों के आगे उसने घुटने टेक दिए. उसकी तलवार यहां नहीं चल सकी. जैसे ही उसने नागवासुकी के मंदिर पर आक्रमण करना चाहा, तो वह बेहोश हो गया. हताश और निराश होकर अंत में उसे वापस लौटना पड़ा. तब से लेकर आज तक इस प्राचीन मंदिर की महिमा का गुणगान चारों दिशाओं में हो रहा है.
नागवासुकी प्राप्त हैं तीन वरदान
पंडित श्याम बिहारी मिश्र बताते हैं कि जब देवताओं एवं राक्षसों को समुद्र मंथन के लिए बड़ी रस्सी की जरूरत थी. तब नागों के राजा नागवासुकी रस्सी बने थे. इनको भगवान विष्णु के द्वारा तीन वरदान प्राप्त हैं, जिनमें से पहला वरदान है कि संगम में स्नान करने के बाद बिना इनके दर्शन के स्नान पूरा नहीं होगा. वहीं दूसरा वरदान है कि इनके दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष खत्म होता है. तीसरे वरदान में खुद नगर देवता बेदी माधव प्रत्येक वर्ष इनकी पूजा करने आते हैं. यही वजह है कि सावन में इस मंदिर में भारी भीड़ होती है.
Tags: Dharma Aastha, Dharma Culture, Local18, Prayagraj NewsFIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 10:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed