प्रयागराज में यहां है महेश योगी का आश्रम देश-विदेश में है इनके अनुयायी

अरल घाट पर स्थित महेश योगी का आश्रम लगभग 4 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है. इसका विस्तार भारत ही नहीं बल्कि 137 देश में है. महर्षि योगी सिद्ध संत थे, जो समाधि में रहते हुए खुद को जमीन से ऊपर उठा लेते थे. 1990 में उन्होंने नीदरलैंड में अपना आश्रम बनाया और अंत समय तक इसी आश्रम में रहे और अध्यात्म की नई धारा की खोज की.

प्रयागराज में यहां है महेश योगी का आश्रम देश-विदेश में है इनके अनुयायी
dप्रयागराज. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज संगम पर आने वाले श्रद्धालुओं को संगम के उस पार एक सोने के रंग में रंगी हुई भव्य इमारत दिखती है. इस इमारत को देखकर लोग चर्चा करते हैं कि आखिर वह इमारत क्या हो सकती है. लोगों के मन में इसको देखकर ख्याल आता है कि यह कोई बड़ा मंदिर हो सकता है, लेकिन यह मंदिर नहीं है बल्कि भारत के एक महर्षि का आश्रम है. जो भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में लोकप्रिय हुआ करते थे. उनका इलाहाबाद से भी गहरा नाता रहा है. पढ़ाई के दौरान ही पकड़ ली थी अध्यात्म की राह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग के प्रो. ऋषिकांत पांडे बताते हैं कि संगम से दिखने वाला यह भव्य इमारत कोई मंदिर नहीं बल्कि प्रयागराज के एक महान संत महर्षि महेश योगी का आश्रम है और अपने गुरु के आशीर्वाद से महेश प्रसाद से महर्षि महेश योगी बन गए. आजादी से पहले उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी भौतिकी में शिक्षा ग्रहण की. महर्षी महेश योगी मेधावी छात्र हुआ करते थे. वे आरोपी बाग स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती के आश्रम से जुड़ गए. वहीं उन्होंने शंकराचार्य के प्रवचन से प्रभावित होकर आध्यात्म की राह पकड़ ली. आध्यात्म में उनकी रुचि इतनी लग गई कि वह महेश प्रसाद श्रीवास्तव से महर्षि महेश योगी बन गए. चार किलोमीटी में फैला हुआ है यह आश्रम यमुना किनारे अरल घाट का यह आश्रम दूर से ही दिखने में मनभावन लगता है. यहां पर प्रत्येक दिन हजारों लोग इस खूबसूरत आश्रम को देखने आते हैं. अरल घाट पर स्थित महेश योगी का आश्रम लगभग 4 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है. इस आश्रम का विस्तार भारत ही नहीं बल्कि 137 देश में है. महर्षि योगी सिद्ध संत थे जो समाधि में रहते हुए खुद को जमीन से ऊपर उठा लेते थे. 1990 में उन्होंने नीदरलैंड में अपना आश्रम बनाया और अंत समय तक इसी आश्रम में रहे. उन्होंने अध्यात्म की नई धारा को खोजने का काम किया. यह आश्रम सुबह 8 बजे से लेकर रात्रि में 8 बजे तक सभी के लिए खुला रहता है. यहां प्रवेश का कोई शुल्क नहीं लगता है. यहां आने वाले लोगों से इस आश्रम की साफ-सफाई एवं खूबसूरती को लेकर फीडबैक भी लिया जाता है. Tags: Dharma Aastha, Local18, Prayagraj News, UP newsFIRST PUBLISHED : August 24, 2024, 12:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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