अंडों से बाहर निकले घड़ियाल के 900 बच्चे किलकारियों से गूंज रही चंबल नदी

चंबल नदी में पिछले 45 सालों से लगभग लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई घड़ियालों की प्रजाति का संरक्षण किया जा रहा है. पहले यहां से घड़ियालों के अंडे लखनऊ के कुकरैल प्रजनन केंद्र में भेज दिए जाते थे.

अंडों से बाहर निकले घड़ियाल के 900 बच्चे किलकारियों से गूंज रही चंबल नदी
हरिकांत शर्मा/ आगराः एशिया की सबसे बड़ी घड़ियाल सेंचुरी बाह रेंज में घड़ियालों के नन्हे मेहमानों की किलकारियां गूंज रही हैं. ये नवजात बच्चे नन्ही आंखों से इस संसार को झांकने को आतुर हैं. महुआशाला, नंदगवां, हथकांत ये वो घाट हैं, जिन पर घड़ियालों के घोसले हैं. जिनसे निकले करीब 900 नन्हे घड़ियाल नर घड़ियाल की पीठ पर सवार होकर चंबल नदी में किलकारियां कर रहे हैं. वन विभाग की टीम घोसलों से आई सरसराहट की आवाज पर पहुंची. मादा घड़ियाल के बालू कुरेदने पर अंडों से बच्चे निकले. जो नदी में मौजूद नर घडियाल की पीठ पर बैठकर नदी में उतर गए. करीब एक हफ्ते तक घड़ियालों की हैचिंग चलेगी. 45 सालों से लुप्त प्रजाति को बचाने की हो रही है कोशिश चंबल नदी में पिछले 45 सालों से लगभग लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई घड़ियालों की प्रजाति का संरक्षण किया जा रहा है. पहले यहां से घड़ियालों के अंडे लखनऊ के कुकरैल प्रजनन केंद्र में भेज दिए जाते थे. 14 साल से चंबल नदी में प्राकृतिक हैचिंग हो रही है. मार्च के आखिर से अप्रैल तक बालू में बने घोसलों में घड़ियालों ने 35 से 60 तक अंडे दिए थे. 65 से 80 दिन बाद हैचिंग पीरियड शुरू होने पर वन विभाग ने घोंसलों पर लगी जाली हटा दी थी. जन्म के बाद 5 प्रतिशत घड़ियाल बच्चे ही बच पाते हैं बाह रेंज में घड़ियालों की हैचिंग शुरू हो गयी है. बाह के रेंजर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि बाह में घड़ियालों की हैचिंग लंबे वक्त से हो रही है. अंडों से निकले करीब 900 से ज्यादा बच्चे अब नदी में पहुंच चुके हैं. जो कि भविष्य में स्वस्थ घड़ियाल बनेंगे. घड़ियालों के अंडे का वजन तकरीबन 112 ग्राम होता है. जन्म के तीन माह तक भोजन की जरूरत नहीं होती. उन्होंने बताया कि जन्म लेने वाले पांच प्रतिशत घड़ियाल शिशु ही बच पाते हैं .घड़ियाल शिशुओं को बड़ी मछली, बगुले जैसे पक्षी खा लेते हैं. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 11:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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