क्या किसान भी उतरेंगे अग्निपथ भर्ती योजना के विरोध में रिटायर्ड सेनाधिकारी क्यों हैं खफा
क्या किसान भी उतरेंगे अग्निपथ भर्ती योजना के विरोध में रिटायर्ड सेनाधिकारी क्यों हैं खफा
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार को अग्निपथ योजना को लेकर अपना इरादा जता दिया है. टिकैत ने अग्निपथ योजना को वापस लेने और युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की है. टिकैत ने बताया कि अग्निपथ योजना के विरोध में देश के सभी जिला मुख्यालयों पर 30 जून को विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. इधर सेना के कई रिटायर्ड अधिकारियों ने इसका राजनीतिकरण किए जाने की निंदा की है. इनका कहना है कि आर्मी को क्या जरूरत है, यह बाहर बैठे लोग तय नहीं कर सकते.
नई दिल्ली. अग्निपथ भर्ती योजना (Agnipath Recruitment Scheme) के खिलाफ सोमवार को कुछ संगठनों के द्वारा भारत बंद बुलाया गया है. पिछले कुछ दिनों से देश के कई राज्यों खासकर बिहार, यूपी, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पंजाब के युवा इस योजना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. बिहार और यूपी के कई जिलों में तो इसके विरोध में हिंसक प्रदर्शन भी हुए हैं. बीते दो सालों से आर्मी (Army) में भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को लगता है कि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, लेकिन ज्यादातर रक्षा विशेषज्ञों के साथ-साथ तीनों सेनाध्यक्षों ने इसे सेना के लिए जरूरी बताया है. इस योजना को लेकर नौजवानों की केंद्र सरकार से कई मांगें और सवाल हैं, लेकिन इस बीच इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार को अग्निपथ योजना को लेकर अपना इरादा जता दिया है. टिकैत ने अग्निपथ योजना को वापस लेने और युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की है. टिकैत ने बताया कि अग्निपथ योजना के विरोध में देश के सभी जिला मुख्यालयों पर 30 जून को विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. इधर सेना के कई रिटायर्ड अधिकारियों ने इसका राजनीतिकरण किए जाने की निंदा की है. इनका कहना है कि आर्मी को क्या जरूरत है, यह बाहर बैठे लोग तय नहीं कर सकते. यह सेना के अंदर बैठे अधिकारियों और केंद्र सरकार का काम है.
अग्निपथ योजना के विरोध में सोमवार को कुछ संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है. (फाइल फोटो)
क्यों हो रहा है देश में अग्निपथ योजना का विरोध?
इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा है कि अपने हक के लिए किसान, मजदूर और नौजवान अब जाग जाएं. केंद्र सरकार को इन लोगों के हकों की अनदेखी करना अब आसान नहीं होगा. भारतीय किसान यूनियन इन युवा बेरोजगारों के साथ है. कोरोना के कारण सेना में बीते दो सालों से कोई भी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है और अब केंद्र सरकार को इन युवाओं के जख्मों पर मरहम लगाने की बजाय उन्हें कुरेदने का काम किया है.
किसान संगठनों की भूमिका क्या होगी?
इधर, अग्निपथ योजना के विरोध में सोमवार को कुछ संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है. इसके चलते राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. यूपी, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, झारखंड के बड़े-बड़े शहरों में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गई है. आपको बता दें कि बीते दिनों ही बिहार में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचाया था.
क्या कहते हैं सेना के रिटायर्ड अधिकारी
सेना के कई पूर्व वरिष्ठ अधिकारी अग्निवीर पर अपनी राय दे रहे हैं. रिटायर्ड मेजर जनरल एस पी सिन्हा ने न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में अग्निवीर पर अपनी राय रखी. सिन्हा ने कहा, ‘देश में राजनीतिक साजिश रची जा रही है. ये उपद्रवी लोग सेना में जाने लायक ही नहीं हैं. ये लोग अगर आर्मी, एयर फोर्स या नौसेना में जाते हैं तो वहां विद्रोह करवा देंगे. भारतीय सेना और सैनिक का मतलब ही है अनुशासन. मैं ऐसे लोगों के आर्मी में जाने के खिलाफ हूं. आपको मैं पूर्व के कई उदाहरणों से समझाना चाहता हूं, जिससे स्थिति साफ हो जाएगी. 60 के दशक में राष्ट्रीय रायफल बनाने की परिकल्पना उस समय के चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ जनरल जोशी ने की थी, लेकिन उनकी अचानक मौत हो जाने से यह योजना कई सालों तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही. परंतु जनवरी 1995 में राष्ट्रीय रायफल्स का गठन हुआ और जून 1995 में इसको आतंकवाद विरोधी अभियान में लगा दिया गया. आरआर के डिप्लॉयमेंट के बाद ही जम्मू-कश्मीर में आंतकवाद पर काबू पाया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि 1996 में वहां पर शांति से चुनाव संपन्न हुआ. इसी तरह की बात अग्निवीर को लेकर भी कुछ लोग बोल रहे हैं, लेकिन यह भविष्य के लिए बहुत अच्छा है.’
बिहार में अग्निपथ बवाल को लेकर 145 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं.
हालांकि, सेवानिवृत्त विंग कमांडर प्रफुल्ल बख्शी कहते हैं कि अग्निपथ योजना की पहल अच्छी हो सकती है, लेकिन इसमें बहुत कुछ किया जाना अभी भी बाकी है. फिलहाल इसे पायलट बेस पर शुरू किया जाना चाहिए था और फिर इसके असर को देखते हुए इसे लागू किया जाना चाहिए. मेरी समझ से सबसे पहले इसे पैरामिलिट्री फोर्स में लागू किया जाए और वहां पर नतीजे आने के बाद ही आर्मी, एयरफोर्स या नेवी में इसका इस्तेमाल किया जाए.
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दूसरे किसान संगठनों का क्या रुख होगा?
किसान नेता राकेश टिकैत भी अग्निपथ योजना के खिलाफ देशव्यापी विरोध का ऐलान कर चुके हैं. एक तरफ भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि इसे रोकने के लिए एक देशव्यापी आंदोलन की आवश्यकता है. वहीं कुछ किसान संगठन सेना के राजनीतिकरण के खिलाफ है. किसान शक्ति संघ अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, ‘देश जय जवान और जय किसान से चल रहा है. एक खेत में पसीना बहाता है तो दूसरा बॉर्डर पर अपने खून से मां भारती की रक्षा करता है. मेरी सरकार से बस इतनी मांगें है कि युवाओं के हित का ख्याल रखा जाए और उनको उनकी मर्जी पर छोड़ देना चाहिए कि वह चार साल के बाद सेना में रहना चाहते हैं या नहीं. अग्निवीर भर्ती योजना को लेकर मेरे तीन सुझाव हैं, पहला, 50 प्रतिशत अग्निवीर जवानों को चार साल के बाद भी सेना में ही रखा जाए. दूसरा, बाकी 50 प्रतिशत जवानों को पैरामिलिट्री फोर्स या पुलिस में भर्ती की गारंटी दी जाए. तीसरी, जो जवान अपनी मर्जी से छोड़ना चाहें उन्हें 15 लाख का पैकेज दे देना चाहिए.’
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Tags: Agneepath, Agniveer, Army Bharti, Army recruitment, Narendra Modi GovtFIRST PUBLISHED : June 20, 2022, 14:20 IST