रेवड़ी कल्चर: CJI ने पूछा-सरकार सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाती नई बेंच को भेजा गया मामला
रेवड़ी कल्चर: CJI ने पूछा-सरकार सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाती नई बेंच को भेजा गया मामला
Poll Freebies Matter Hearing: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमणा ने आगे कहा कि सवाल यह है कि फ्रीबीज चुनाव के पहले के वादे का मसला एक है, जबकि कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा के खिलाफ भी याचिकाएं दाखिल हुईं तो फिर क्या होगा. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पोस्ट पोल वादा या योजना अलग मसला है. एक आवेदक की ओर से प्रशांत भूषण ने फ्रीबीज पर तर्क देना शुरू किया. सीजेआई ने कहा कि यहां पर दो सवाल हैं कि चुनाव से पहले के वादे और उनके खिलाफ चुनाव आयोग कोई एक्शन ले सकता है.
नई दिल्ली. चुनाव के दौरान फ्रीबीज, रेवड़ी कल्चर और मुफ्तखोरी मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बुधवार को सुनवाई हुई. इस मामले पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एनवी रमणा (NV Ramana)ने कहा कि केंद्र सरकार इस मसले पर विचार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन क्यों नहीं करती. सरकार ऑल पार्टी मीटिंग क्यों नहीं बुलाती है? इस पर सॉलिसिटर जनरल एसजी मेहता ने कहा, ‘मामला आपके पास है. सरकार हरेक पहलू पर सहायता करने को तैयार है.’ चुनाव में मुफ्त की घोषणाओं पर नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की गठन कौन करेगा, इसको लेकर सॉलिसिटर जनरल ने पूर्व सीएजी विनोद राय का नाम सुझाया. जबकि याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज आरएम लोढा का नाम सुझाया. इसके बाद सीजेआई ने ये मामला नई बेंच को भेज दिया.
बुधवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एनवी रमणा के साथ जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता ने कहा कि पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज के नेतृत्व में समिति बना दी जाए, जबकि एसजी तुषार मेहता ने कहा कि पूर्व कैग के नेतृत्व में समिति बनाई जाए. इस पर सीजेआई ने कहा कि जो रिटायर हो गया उसकी क्या वैल्यू रहती है. सीजेआई ने कहा, ‘मैं नई पीठ को यह मामला भेज रहा हूं, जो मैनिफेस्टो मामले में दिए गए पूर्व के फैसलों पर गौर करेगी.’ इसके साथ ही यह तय हो गया है कि तीन जजों की पीठ आगे फ्रीबीज मामले पर सुनवाई करेगी.
सीजेआई ने आगे कहा कि सवाल यह है कि फ्रीबीज चुनाव के पहले के वादे का मसला एक है, जबकि कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा के खिलाफ भी याचिकाएं दाखिल हुईं तो फिर क्या होगा. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पोस्ट पोल वादा या योजना अलग मसला है. एक आवेदक की ओर से प्रशांत भूषण ने फ्रीबीज पर तर्क देना शुरू किया. सीजेआई ने कहा कि यहां पर दो सवाल हैं कि चुनाव से पहले के वादे और उनके खिलाफ चुनाव आयोग कोई एक्शन ले सकता है.
पार्टियां वोटर को रिझाने के लिए चुनाव से पहले वादा करती हैं- तुषार मेहता
इस पर भूषण ने कहा कि मेरी राय में मुख्य समस्या यह है कि चुनाव से तत्काल पहले वादा करना एक तरह से मतदाता को रिश्वत देना है. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव से पहले ऐसे वादों से वित्तीय संकट खड़ा होता है, क्योंकि वह आर्थिक हालात को ध्यान में रखकर नहीं किए जाते. इसका जवाब देते हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि पार्टियां वोटर को रिझाने के लिए चुनाव से पहले वादा करती हैं. जैसे बिजली फ्री देंगे या कुछ और तो इस प्रथा को इस रवैये को बंद करना चाहिए.
केंद्र इस पर सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाता- सीजेआई
सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार ने कहा कि अगर घोषणापत्र में कुछ है, तो उसे मुफ्तखोरी कहा जा सकता है. मुफ्त उपहारों के आर्थिक प्रभाव का आकलन करने के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है. इस मामले पर सीजेआई ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर विचार करने के लिए सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाती है. इस पर एसजी ने कहा कि अब यह होना चाहिए कि कौन इसे देख सकता है और रूपरेखा को परिभाषित कर सकता है, तो समिति इस मुफ्तखोरी को देख सकती है.
समिति का नेतृत्व कौन करेगा ?
सीजेआई ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि समिति का नेतृत्व कौन करेगा और यह एक विशाल कैनवास है. अंतत: यह राजनीतिक दल है जो वादे करता है न कि व्यक्ति. जैसे अगर मैं चुनाव लड़ता हूं तो मुझे 10 वोट भी नहीं मिलेंगे. वर्तमान व्यवस्था में पार्टी महत्वपूर्ण है. सीजेआई ने कहा कि जो आज विपक्ष में है वह कल सत्ता में आ सकता है और इसलिए वे आएंगे और इसे मैनेज करना होगा. इसलिए मुफ्त उपहार आदि जैसी चीजें, जो अर्थव्यवस्था को नष्ट कर सकती हैं, उन्हें देखना होगा और मैं सिर्फ एक परमादेश पारित नहीं कर सकता. इसलिए चर्चा करने की जरूरत है. (एजेंसी इनपुट के साथ)
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Tags: Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 24, 2022, 13:34 IST