हिमाचल में 13 साल से क्यों नहीं बनी सेंट्रल यूनिवर्सिटी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताई वजह
हिमाचल में 13 साल से क्यों नहीं बनी सेंट्रल यूनिवर्सिटी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताई वजह
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के पुनर्निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी. उन्होंने कहा कि भारत के विद्यार्थियों को शिक्षा, ज्ञान, परंपरा एवं कला के साथ-साथ तकनीक एवं कौश्ल विकास में निपुण बनाने की दृष्टि से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सरकार द्वारा लाया गया है.
देहरा (कांगड़ा). हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में चुनाव हैं और केंद्रीय शिक्षा व कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी हिमाचल प्रदेश के दौरे पर हैं. वहीं, कांगड़ा में लगभग 13 साल पहले केंद्र से स्वीकृत सेंट्रल यूनिवर्सिटी अभी तक धरातल पर नजर नहीं आ रही है. 13 वर्षों से ही धर्मशाला और देहरा में लोग संघर्ष की राह पर हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर एक मंच पर ही सेंट्रल यूनिवर्सिटी को लेकर लड़ते दिखे हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भी मिलने देहरा से सेंट्रल यूनिवर्सिटी संघर्ष मोर्चा भी 14 पन्नों का ज्ञापन लेकर पहुंचा.
उन्होंने अपनी मांग रखी कि 13 वर्षों से राजनीतिक भेंट चढ़ रही सेंट्रल यूनिवर्सिटी कभी देहरा तो कभी धर्मशाला के पालने में झूल रही है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी इसका सारा ठीकरा फॉरेस्ट पर फोड़ दिया. प्रधान ने कहा फॉरेस्ट से क्लियरेंस लेना मुश्किल काम है. इसकी बजह से ही सेंट्रल यूनिवर्सिटी के निर्माण में देरी हो गई. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा अब काम जल्दी होगा, क्योंकि अब हम आ गए हैं. सेंट्रल यूनिवर्सिटी है, जिसके नाम पर वोट बटोरकर कई नेता विधायक, मंत्री तो कई नेता सांसद से केंद्रीय मंत्री तक बन गए. लेकिन नहीं बनी तो वह है, सेंट्रल यूनिवर्सिटी.
सीयू संघर्ष मोर्चा देहरा के प्रधान जोगिंदर पॉल, जनकल्याण व उत्थान मंच के प्रधान करनैल पटियाल व ओएसए के प्रधान सतीश ठाकुर ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के समक्ष सीयू देहरा के निर्माण में हो रही देरी को लेकर 14 पन्नों का ज्ञापन सौंपा है और हिमाचल आने पर स्वागत भी किया. लोकसभा चुनावों के समय देहरा और धर्मशाला में महज वोटों की खातिर शिलान्यास किया गया, लेकिन मई 2022 में टेंडर हुआ और अब उसका आवंटन होगा.
476 करोड़ रुपए से सीयू के धर्मशाला और देहरा में बनेंगे कैम्पस
सेंट्रल यूनिवर्सिटी देहरा और धर्मशाला के जदरांगल में 476 करोड़ रुपये से कैंपस बनेंगे. दोनों के निर्माण के लिए सीयू प्रशासन ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है. 19 मई तक निविदाएं भरी गई हैं, और अब टेंडर आवंटित होना है. कैंपस बनाने में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) मुख्य भूमिका निभाएगा, क्योंकि इनके बीच पहले ही एमओयू साइन हो चुका है.
टेंडर आवंटित होने की अवधि के बाद 30 माह के भीतर काम पूरा हो जाएगा. दोनों कैंपस का निर्माण कार्य केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की ओर से करवाया जा रहा है. बीते दिनों सेंट्रल यूनिवर्सिटी के साथ इसके लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए थे. देहरा में 115 और जदरांगल में 90 हेक्टेयर जमीन पर इसका निर्माण होगा.
समझौता ज्ञापन के अनुसार केंद्रीय लोक निर्माण विभाग बुनियादी ढांचे के पूरा होने के बाद एक वर्ष की अवधि के लिए परिदृश्य और बागवानी परियोजनाओं को बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार होगा. इसके अलावा उपकरण, फर्नीचर व फिक्स्चर इत्यादि सहित सिविल, इलेक्ट्रिकल, मेकेनिकल, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स एचवीएसी कार्यों आदि के लिए गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रियाओं और चेक लिस्ट स्थापित करके परियोजना की गुणवत्ता और सुरक्षा प्रबंधन सुनिश्चित करेगा.
केंद्रीय शिक्षा व कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय को जल्द से जल्द अपने परिसर मिलें, इसके लिए हरसंभव प्रयास किए गए हैं. अब तमाम बाधाओं को पार करते हुए तकनीकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. देहरा और धर्मशाला में परिसरों का निर्माण कार्य जल्द शुरू हो, इसके लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं. टेंडर आवंटित होने के बाद 30 महीनों के भीतर दोनों परिसरों का काम पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा पहले फॉरेस्ट की बाधाएं दूर करने में समय लगा है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के पुनर्निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी: धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के पुनर्निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी. उन्होंने कहा कि भारत के विद्यार्थियों को शिक्षा, ज्ञान, परंपरा एवं कला के साथ-साथ तकनीक एवं कौश्ल विकास में निपुण बनाने की दृष्टि से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सरकार द्वारा लाया गया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से पूरे देश में शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्र विकसित होंगे जिसके फलस्वरूप भारत का युवा अपनी रूचि और स्वभाव के अनुरूप अपनी शिक्षा ग्रहण कर जीवन को सार्थक बना सकेगा.
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FIRST PUBLISHED : June 20, 2022, 12:11 IST