नोएडा ट्विन टॉवर: 9 सेकेंड में धूल में मिल जाएंगे 300 करोड़ रुपये 50 लाख लोगों की मेहनत जानें लागत

सुपरटेक ट्विन टॉवर: इन दोनों टॉवरों के निर्माण में ईंट का इस्‍तेमाल नहीं किया गया है. इनकी दीवारें लोहे के पिलर के सहारे सीमेंट-बदरपुर रोड़ी के घोल से बनाई गई हैं. वहीं टावरों के निर्माण का प्‍लान तैयार करने से लेकर, नक्‍शा बनाने, पास होने, फ्लैट खरीदने वाले आवेदकों को जोड़ने से लेकर फ्लैटों के निर्माण तक इन दोनों टॉवरों को बनाने में करीब 300 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं.

नोएडा ट्विन टॉवर: 9 सेकेंड में धूल में मिल जाएंगे 300 करोड़ रुपये 50 लाख लोगों की मेहनत जानें लागत
नोएडा. सुपरटेक की दोनों गगनचुंबी इमारतों को 28 अगस्‍त को आखिरकार गिरा दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महज 9 सेकेंड में ये ट्विन टॉवर्स ध्‍वस्‍त कर दिए जाएंगे. गौतमबुद्धनगर के एमेराल्‍ड कोर्ट में सुपरटेक लिमिटेड की ओर से 30 और 32 मंजिल में खड़ी की गईं ये विशाल इमारतों को गिराना किसी चुनौती से कम नहीं होने वाला है क्‍योंकि यह पहली बार है कि भारत में इतनी ऊंची दो इमारतों को एक साथ गिराया जा रहा है. ये इमारतें अवैध तरीके से तैयार की गई हैं, इसलिए गिराई ही जाएंगी लेकिन सबसे बड़े कौतुहल की बात ये भी है कि महज 9 सेकेंड में लाखों मजदूरों, इंजीनियरों, आर्किटेक्‍ट, कर्मचारियों की कई साल की मेहनत के साथ-साथ इन्‍हें बनाने में पानी की तरह खर्च किया गया पैसा भी मिट्टी में मिल जाएगा. खास बात है कि इन टॉवरों के निर्माण में ईंट का इस्‍तेमाल नहीं किया गया है. इनकी दीवारें लोहे के पिलर के सहारे सीमेंट-बदरपुर रोड़ी के घोल से बनाई गई हैं. वहीं टावरों के निर्माण का प्‍लान तैयार करने से लेकर, नक्‍शा बनाने, पास होने, फ्लैट खरीदने वाले आवेदकों को जोड़ने से लेकर फ्लैटों के निर्माण तक इन दोनों टॉवरों को बनाने में करीब 300 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इतना ही नहीं इन टॉवरों को बनाने में करीब 50 लाख लोगों ने लगातार 8 साल तक अपना योगदान दिया है. ये इमारतें साल 2004 से 2012 तक बनी हैं. जिनमें बड़ी संख्‍या में मजदूरों से लेकर आर्किटेक्‍ट, इंजीनियर, प्‍लंबर, इलेक्ट्रिशियन, ठेकेदार आदि शामिल हैं. गौरतलब है कि इन टॉवरों के निर्माण में 12 हजार टन से ज्‍यादा लोहे की सरिया, साढ़े चार लाख ज्‍यादा बैग सीमेंट और 25 करोड़ रुपये से ज्‍यादा की बदरपुर रोड़ी लगाई गई है. जिनसे इमारत का स्‍ट्रक्‍चर तैयार किया गया है. इन इमारतों में पानी की फिटिंग आदि भी हो चुकी हैं. प्‍लंबिंग और अग्निशमन यंत्रों को लगाने में ही 26 करोड़ रुपये के आसपास खर्च हो चुके हैं. इतना ही नहीं इंजीनियरों से लेकर मजदूरों और अन्‍य कामगारों को दिया गया वेतन, मजदूरी और पारिश्रमिक अलग है. क्‍या इमारत ढहने के बाद काम आएगा मलबे का लोहा नोएडा में रियल एस्‍टेट संबंधी गतिविधियों के जानकार महेश गुप्‍ता बताते हैं कि इमारतों को ध्‍वस्‍त करने के बाद सिर्फ मलबा मिलेगा. जो करीब 55 हजार टन के आसपास होगा. हालांकि ट्विन टॉवर में धमाका होने के बाद इमारतें पूरी तरह मिट्टी हो जाएंगी. इनमें लगा हुआ सीमेंट, बदरपुर रोड़ी सब मिट्ठी हो जाएगा. जबकि इसमें लगा हुआ खनिज यानि लोहे की सरिया बाद में भी काम आ जाएंगी. इनमें से करीब 4,000 हजार टन से ज्‍यादा लोहा और इस्‍पात सही सलामत मिलने की संभावना है. जिसे इमारतों को ध्‍वस्‍त करने वाली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग ध्‍वस्‍तीकरण की लागत वसूलने के लिए इस्‍तेमाल करेगी. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Noida news, Supertech Emerald Tower, Supertech twin towerFIRST PUBLISHED : August 24, 2022, 13:12 IST