Opinion: चीन सीमा से लगी सड़कें नए तरीके से बनाने का फैसला देश की सुरक्षा के लिए मोदी सरकार का सराहनीय कदम
Opinion: चीन सीमा से लगी सड़कें नए तरीके से बनाने का फैसला देश की सुरक्षा के लिए मोदी सरकार का सराहनीय कदम
Opinion: देश की सुरक्षा मोदी सरकार की प्राथमिकता है. इसी उद्देश्य से मोदी सरकार बॉर्डर इलाकों की सड़कें नई तकनीक से बनाने जा रही है. इसकी शुरुआत पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश की रही है. देश में पहली बार बॉर्डर इलाकों की सड़कों को स्टील स्लैग से बनाया जाएगा. स्टील स्लैग से बनने वाली ये सड़कें सामान्य सड़कों की तुलना में अधिक मजबूत होंगी.
शरद पाण्डेय
नई दिल्ली. देश की सुरक्षा और मजबूत करने के लिए मोदी सरकार बॉर्डर इलाकों की सड़कें नई तकनीक से बनाने जा रही है. इसकी शुरुआत पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश की रही है. देश में पहली बार बॉर्डर इलाकों की सड़कों को स्टील स्लैग से बनाया जाएगा. स्टील स्लैग से बनने वाली ये सड़कें सामान्य सड़कों की तुलना में अधिक मजबूत होंगी, जल्दी खराब नहीं होंगी. ये सड़कें सामायिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होंगी. इन सड़कों से सेना और रसद को बॉर्डर तक आसानी से पहुंचाया जा सकेगा. सड़क निर्माण के लिए जमशेदपुर टाटानगर से स्टील स्लैग लेकर पहली मालगाड़ी अरुणाचल प्रदेश के लिए रवाना हो चुकी है.
देश की सुरक्षा मोदी सरकार की प्राथमिकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए बॉर्डर के इलाकों की सड़कें नई तकनीक से बनाई जा रही हैं, जल्दी खराब न होंगी. पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश अधिक होने की वजह से तारकोल की सड़कें जल्दी खराब हो जाती हैं. इस वजह से सेना और रसद को बॉर्डर इलाकों में पहुंचाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
बॉर्डर इलाकों की सड़कें सुरक्षा से जुड़ी होती हैं, इसलिए इनका निर्माण स्वयं बॉर्डर रोड आर्गनाइजेशन (बीआरओ) करती है. ये सड़कें टिकाऊ बनें और जल्दी न टूटें, इसलिए बीआरओ ने इन सड़कों को स्टील स्लैग से बनाने का फैसला किया है. अरुणाचल प्रदेश में चीन बॉर्डर से लगी सड़कें रिसर्च संस्थान सीएसआईआर-सीआरआरआई की देखरेख में बनाई जा रही हैं.
पहले हो चुका है सफल प्रयोग
रिसर्च संस्थान CSIR-CRRI गुजरात में स्टील स्लैग रोड का सफल निर्माण कर चुकी है. सूरत से हजीरा पोर्ट की ओर जाने वाली 6 लेन की यह रोड स्टील स्लैग ( बचा हुआ चूरा) से बनायी गयी है. बताया कि स्लैग को प्लांट में प्रोसेस्ड कर उसे सड़क में इस्तेमाल करने लायक सामग्री में तब्दील किया गया है. इसके बाद इसे रोड निर्माण में इस्तेमाल किया जा रहा है. यह रोड पत्थर और पत्थर के मुकाबले अधिक मजबूत है. इतना ही नहीं, इसकी लागत भी सामान्य रोड के मुकाबले 30 फीसदी तक कम है.
ये होंगे बड़े फायदे
. सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख साइंटिस्ट और स्लैग से बनी रोड प्रोजेक्ट के प्रमुख डा. सतीश पांडेय बताते हैं कि इस रोड की थिकनेस 30 फीसदी तक कम की गई है. थिकनेस कम होने से कीमत कम है. इस तरह के मैटेरियल से निर्माण कर सड़क की लागत 30 फीसदी तक कम की जा सकती है.
. स्टील स्लैग की रोड सामान्य रोड के मुकाबले अधिक मजबूत होती हैं. सूरत में इस रोड से रोजाना 18 से 20 टन वजनी 1000 से 1200 वाहन रोज गुजर रहे हैं, पर रोड की क्वालिटी पर किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ा है.
. इस तरह की रोड का निर्माण कर प्राकृतिक संसाधान को बचाया जा सकता है. सामान्य रोड के निर्माण में पत्थर का इस्तेमाल होता है, इसके लिए खनन करना होता है. लेकिन स्टील स्लैग के इस्तेमाल से पत्थरों की जरूरत नहीं पड़ेगी.
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Tags: Narendra Modi GovernmentFIRST PUBLISHED : November 03, 2022, 19:21 IST