धान की रोपाई के बाद किसान कर लें यह काम नहीं पड़ेगी अलग से नाइट्रोजन की जरूरत

कृषि एक्सपर्ट डॉक्टर एनपी गुप्ता ने बताया कि नील हरित शैवाल वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन को अवशोषित करके पौधों को ग्रहण कराता है. पौधे समय पर नाइट्रोजन लेते रहते हैं. धान की रोपाई के 7 दिन बाद 5 किलोग्राम नील हरित शैवाल एक एकड़ में बिखेर दें.

धान की रोपाई के बाद किसान कर लें यह काम नहीं पड़ेगी अलग से नाइट्रोजन की जरूरत
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: नाइट्रोजन पौधों की वृद्धि और प्रकाश संश्लेषण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. कृषि फसलों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. नाइट्रोजन पौधों की वृद्धि, पत्तियों के आकार और फसल में दानों की मात्रा को बढ़ाता है. लेकिन अब किसानों को नाइट्रोजन के लिए अतिरिक्त खर्च करने की जरूरत नहीं. क्योंकि हम एक ऐसे शैवाल के बारे में बताने जा रहे हैं. जिससे किसानों को धान की फसल में नाइट्रोजन का छिड़काव नहीं करना पड़ेगा. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि धान की फसल में करीब 120 किलोग्राम से 125 किलोग्राम नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है. नाइट्रोजन वायुमंडल में भी मौजूद रहता है. लेकिन वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन को पौधे ले नहीं पाते. जिसकी वजह से किसानों को अलग से नाइट्रोजन देना होता है. जिससे किसानों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है. लेकिन अगर किसान नील हरित शैवाल का बेहतर इस्तेमाल कर लें, तो वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन को पौधे आसानी से अवशोषित कर सकेंगे. किसानों को अलग से नाइट्रोजन नहीं देगा पड़ेगा. नील हरित शैवाल कैसे करें इस्तेमाल डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि नील हरित शैवाल वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन को अवशोषित करके पौधों को ग्रहण कराता है. पौधे समय पर नाइट्रोजन लेते रहते हैं. धान की रोपाई के 7 दिन बाद 5 किलोग्राम नील हरित शैवाल एक एकड़ में बिखेर दें. उसके बाद खेत में नमी बरकरार रखें. ऐसा करने से किसानों को अलग से नाइट्रोजन नहीं देना होगा. पौधे वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन को धीरे-धीरे लेते रहेंगे. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 13, 2024, 08:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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