यूपी में भेड़ियों का आतंक कैसे बन जाते हैं आदमखोरकरते हैं बच्चों का ही शिकार

यूपी के बहराइच में आदमखोर भेडि़यों का आतंक है, जो सोए हुए बच्चों का शिकार कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में तकरीबन हर साल दो साल पर इस तरह के आदमखोर भेड़ियों का आतंक होता है. ये जानते हैं कि क्यों कम खतरनाक माने जाने वाला भेड़िया ऐसा करने लगता है.

यूपी में भेड़ियों का आतंक कैसे बन जाते हैं आदमखोरकरते हैं बच्चों का ही शिकार
हाइलाइट्स इंटरनेशनल रिपोर्ट्स कहती हैं कि भेड़िए ज्यादा खतरनाक नहीं होते बशर्ते बीमार नहीं हों एक्सपर्ट मानते हैं कि अब भारत में भेड़िए खतरनाक होने लगे हैं खासकर बस्तियों के करीब रहने वाले यूपी में हर साल दो साल पर भेड़ियों के आतंक और आदमखोर हो जाने की खबरें आती हैं यूपी के बहराइच में भेड़िए का आतंक है. खबरें आ रही हैं कि एक महिला समेत 08 मासूम आदमखोर भेड़ियों के शिकार बन चुके हैं. ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या भेड़िया वाकई आदमखोर हो सकता है. दुनियाभर में भेड़ियों पर हुए अध्ययन और रिपोर्ट क्या कहते हैं. क्यों रिपोर्ट्स ये कहती हैं कि भेड़िए द्वारा मनुष्य पर हमला करने से जुड़े जोखिम बहुत कम होते हैं. हालांकि उनके शिकार बच्चे हो सकते हैं. हालांकि एक्सपर्ट्स ये भी कहते हैं कि एक बार अगर इनको बच्चों के शिकार के बाद उसकी खून की लत लग गई तो ये आदमखोर भी हो जाते हैं. यूपी में कई बार इस तरह के मामले हुए हैं. इंटरनेशनल वूल्फ सेंटर की नई रिपोर्ट कहती है कि भेड़िये द्वारा मनुष्य पर हमला करने से जुड़े जोखिम ‘शून्य से ऊपर हैं. 2002 से 2020 के बीच शोधकर्ताओं ने दुनियाभर में 26 घातक हमले पाए. इनमें 14 रेबीज़ के कारण थे. क्या भेड़िये इंसानों के लिए ख़तरनाक हैं? 2002 से 2020 तक के विश्वव्यापी डेटा का अध्ययन करने वाले नवीनतम शोध के अनुसार, भेड़िये के हमले से जुड़े जोखिम “शून्य से बेशक ऊपर हैं, लेकिन गणना करने के लिहाज से बहुत कम हैं.” क्या कहती है रिपोर्ट ये नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट फॉर नेचर रिसर्च के जॉन डीसी लिनेल, एकातेरियन कोवटन और इवे रूआर्ट द्वारा “मानव पर भेड़ियों के हमले: 2002-2020 अध्ययन” की नई रिपोर्ट से ली गई.शोधकर्ताओं ने भेड़ियों द्वारा कम से कम 26 घातक हमलों का पता लगाया, जिनमें से सबसे अधिक 12 तुर्की में हुए. ईरान में छह, भारत में चार और कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, ताजिकिस्तान और कजाकिस्तान में एक-एक घातक हमला हुआ. इंटरनेशनल रिपोर्ट कहती हैं कि भेड़िए आदमियों के लिए ज्यादा खतरनाक नहीं होते लेकिन यूपी में अक्सर गांवों के आसपास भेड़ियों के आतंक की खबरें आती रहती हैं.(image generated by meta ai) रेबीज़ की भूमिका अधिकांश हमलों में रेबीज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मतलब ये कि हमला करने वाले ज्यादातर भेड़िए पागल थे और रेबीज के शिकार थे. तुर्की में 12 घातक हमले हुए, जिनमें से 75 प्रतिशत हमले पागल भेड़ियों के कारण हुए. 2005 के हमले में, एक 22 वर्षीय पुरुष को एक दूरदराज के खनन शिविर के पास मार दिया गया. शिविर में एक खुला कचरा डंप था जहां भेड़िये अक्सर आते थे, जिन्हें मनुष्यों से कोई डर नहीं था. उनके शिकार बच्चे हो सकते हैं एटूजेड़ एनिमल्स डॉट कॉम नाम की साइट कहती है दूसरे खतरनाक जानवरों की तुलना में भेड़िये शायद ही कभी लोगों को मारते हैं. अपनी शिकारी क्षमता और आकार के कारण, भेड़िये सबसे कम खतरनाक मांसाहारी जानवरों में हैं. हालांकि नर भेड़ियों को मादाओं की तुलना में अधिक आक्रामक माना जाता है. वे शिकार के अलावा कई अन्य कारणों से भी हमला कर सकते हैं. गांव के पास रहने वाले भेड़िए अक्सर आदमखोर हो जाते हैं. खासकर वो छोटे बच्चों का ही शिकार करते हैं. (image generated by meta ai) मानव बस्तियों के करीब रहने वाले भेड़िये ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं हालांकि ये बात सही है कि दुर्लभ मामलों में जहां भेड़ियों द्वारा मनुष्यों पर हमला करने की खबरें आई हैं, उनमें अधिकांश शिकार आमतौर पर बच्चे होते हैं. मानव बस्तियों के बहुत करीब रहने के कारण भेड़ियों के आदमखोर हमलों में वृद्धि हुई है. हालांकि ये तब ज्यादा होता है जबकि मनुष्य जानबूझकर उन्हें भोजन देकर लुभाते हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि कैद में रहने वाले भेड़िये जंगली भेड़ियों की तुलना में मनुष्यों के प्रति अधिक साहसी होते हैं. क्या कहते हैं एक्सपर्ट  हालांकि उत्तर प्रदेश में ऐसे मामले पहले भी होते रहे हैं. खासकर गांवों में, जहां बच्चे मां के साथ बाहर सो रहे होते हैं. यूपी से अक्सर ऐसी खबरें जगह जगह से आती रही हैं. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट मृदुल वैभव कहते हैं कि पहाड़ों पर रहने वाले भेड़िए जिनके बड़े बाल होते हैं, वो खतरनाक होते हैं, आकार में भी बड़े होते हैं. लेकिन मैदानों पर रहने वाले भेड़िए कुत्तों की तरह लगते हैं, आकार में छोटे होते हैं. उनका कहना है कि ऐसा लग रहा है कि ये भेड़िए पहले किसी बच्चे को उठा ले गए. उसे मारने के बाद उसके खून और मांस को चखने के बाद उन्हें उसकी लत गई. यही वजह है वो अब कई बच्चों को उठा चुके हैं और शिकार कर चुके हैं. उनका कहना है कि भेड़िए आमतौर पर गर्दन को दबोच कर बच्चों को ले जाते हैं. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भारत में भेड़िए आदमखोर हो रहे हैं. ये झुंड में रहते हैं  बड़े शिकारी जानवरों की तुलना में, भेड़िये काफी छोटे होते हैं. उनके पंजे भी भालू और शेरों सरीखे ताकतवर नहीं होते. भेड़िये सामाजिक जानवर हैं जो झुंड में रहते हैं. वो आमतौर पर अकेले रहने वाले जानवर नहीं होते. स्वस्थ भेड़िये बहुत कम ही लोगों पर शिकारी तरीके से हमला करते हैं. यूपी में हर साल ही भेड़ियों के आतंक की खबरें आती रहती हैं. तब भेड़िए ने 5 महीनों में 33 बच्चों को उठाया  इसमें सबसे भयानक हमले यूपी में 1996 में हुए थे जब भेड़ियों ने पाँच महीनों में 33 बच्चों को उठा लिया था. 20 अन्य को गंभीर रूप से घायल कर दिया. हज़ारों ग्रामीण और पुलिस अधिकारी भेड़ियों के शिकार पर निकले. वो केवल 10 जानवरों को ही मार पाए. इसने काफी आतंक पैदा कर दिया था. भारतीय भेड़ियों का बच्चों को शिकार बनाने का इतिहास रहा है. इसलिए इसे “बच्चा चोर” भी कहा जाता है. नवजात भेड़िए को पूरा झुंड पालता है भारतीय भेड़िये एक जीवनसाथी के साथ जीवन निभाते हैं. जीवनभर साथ रहते हैं. उनकी मादाएं बिलों या गड्ढों में एकसाथ 5-6 शावकों को जन्म देती हैं. गर्भधारण अवधि आमतौर पर लगभग 62-75 दिनों तक चलती है. शावक अंधे पैदा होते हैं. जन्म के 9-12 दिनों के बाद उनकी आँखें खुलती हैं. पूरा झुंड आमतौर पर नवजात शिशुओं की देखभाल में मदद करता है. जब शावक करीब 3 महीने के हो जाते हैं तो वे मांद छोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं. भारतीय भेड़िये लगभग 2 वर्ष की आयु के बाद प्रजनन के लिए परिपक्व हो जाते हैं. भारतीय भेड़ियों को ग्रे कहते हैं. ये दुर्लभप्राय प्राणियों में माने जाते हैं. भारत में इनकी संख्या 2000 के आसपास होगी. इनकी उम्र 5 से 13 वर्ष की होती है तो वजन करीब 25 किलो के आसपास. Tags: Animal Cruelty, Bahraich news, Wild animalsFIRST PUBLISHED : August 28, 2024, 18:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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