धान में डाल दिया ये जैविक खाद तो भूलकर भी न करें DAP और NPK का प्रयोग
धान में डाल दिया ये जैविक खाद तो भूलकर भी न करें DAP और NPK का प्रयोग
खेत में 8 से 10 किलोग्राम एजोटोबैक्टर को 20 से 25 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग में लाया जाता है. किसानों को इसका उपयोग करते समय यह ध्यान देना होगा कि इस दौरान किसी भी रासायनिक उर्वरक का प्रयोग नहीं करना है.
रायबरेली. यूपी में मानसून ने दस्तक दे दी है. ऐसे में धान की फसल की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर खुशी नजर आ रही है. किसानों ने धान की रोपाई को लेकर तैयारियां तेज कर दी है. खरीफ के सीजन में धान की फसल मुख्य फसल मानी जाती है. किसान धान की फसल से अधिक पैदावार के लिए विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं. जिससे कि उन्हें फसल की अधिक पैदावार मिल सके. परंतु रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का ज्यादा प्रयोग करने से खेत की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है.
आज हम उन्हें एक ऐसे जैविक उर्वरक के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसका प्रयोग किसान अपने खेतों में करके कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. साथ ही उन्हें रासायनिक उर्वरकों की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. यह एक ऐसा उर्वरक है जो फसलों में नाइट्रोजन की निर्भरता को काम करती है. दरअसल हम बात कर रहे हैं एजोबैक्टर,एजोला,और एजोस्प्रेलम की जो खेतों में नाइट्रोजन की कमी को दूर करता है .तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं .इस खास उर्वरक के बारे में .
नाइट्रोजन की कमी होगी पूरी
कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्राविधिक सहायक कृषि विवेक कुमार ( Msc Ag इलाहाबाद विश्वविद्यालय ) बताते हैं कि जून से जुलाई का महीना धान की बुवाई के लिए सबसे सही माना जाता है. धान की अच्छी पैदावार के लिए किसान यूरिया यानी नाइट्रोजन और डीएपी का इस्तेमाल करते हैं. जिससे की खेत में नाइट्रोजन की कमी ना हो. साथ ही फसल को अन्य पोषक तत्व भी आसानी से मिल सके. परंतु यह रासायनिक उर्वरक खेत की मिट्टी को नुकसान पहुंचाते हैं. इसीलिए जरूरी है कि किसान खेतों में रासायनिक उर्वरकों की जगह एजोटोबैक्टर ,एजोला, एजोस्प्रेलम का खेत में प्रयोग करें. जो खेत में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करता है.
ऐसे करें एजोटोबैक्टर का प्रयोग
विवेक कुमार बताते हैं कि एजोटोबैक्टर एक जैव रासायनिक खाद है. खेत में 8 से 10 किलोग्राम एजोटोबैक्टर को 20 से 25 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग में लाया जाता है. किसानों को इसका उपयोग करते समय यह ध्यान देना होगा कि इस दौरान किसी भी रासायनिक उर्वरक का प्रयोग नहीं करना है. इसका प्रयोग धान की फसल की रोपाई करने से पहले जब खेत की अंतिम जुताई के बाद किया जाता है.
Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 24, 2024, 14:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed