किस राजा से छीनी गई वो जमीन जो कहलाती है नजूल भूमि यूपी में इसी पर विवाद

UP Government Nazool Land Bill: उत्तर प्रदेश का नजूल भूमि विधेयक चर्चा में है. इस बहाने यूपी बीजेपी की तकरार भी सतह पर आ गई. हालिया लोकसभा चुनाव में अयोध्या में बीजेपी की हार के पीछे भी नजूल भूमि एक वजह थी.

किस राजा से छीनी गई वो जमीन जो कहलाती है नजूल भूमि यूपी में इसी पर विवाद
Nazool Land Bill: उत्तर प्रदेश सरकार का नजूल भूमि विधेयक सुर्खियों में है. विधानसभा में यह बिल पास हो गया लेकिन विधान परिषद में पेश करने के बाद इसे प्रवर समिति को भेजना पड़ा. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने खुद इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे सभापति ने मान लिया. यूपी सरकार के लैंड बिल को लेकर बीजेपी के तमाम नेता तो नाराज बताए ही जा रहे हैं, सहयोगी पार्टियां भी इससे खुश नहीं हैं. बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) और इसकी नेता अनुप्रिया पटेल ने भी इस बिल का विरोध किया है. यूपी सरकार के नजूल विधेयक में कहा गया है इसके लागू होने के बाद नजूल की जमीन फ्री होल्ड नहीं की जा सकेगी. इसके साथ ही नजूल की जमीन पर मालिकाना हक के लिए कोर्ट में जो भी मामले लंबित हैं, सब खारिज माने जाएंगे. बिल में प्रावधान है कि अगर किसी नजूल जमीन का सरकार को सही समय पर किराया मिल रहा है, तो इसकी लीज बढ़ाई जा सकती है, वरना लीज पूरी होने से पहले कैंसिल की जा सकती है. बिल में यह भी कहा गया है कि नजूल की जमीन का किसी को मलिकाना हक नहीं मिलेगा, बल्कि सार्वजनिक कार्यों के लिए ही इसका इस्तेमाल होगा. क्या होती है नजूल की भूमि? तो आखिर नजूल भूमि होती क्या है? आपने देश के तमाम राज्यों, शहरों और कस्बों में ऐसे बोर्ड देखे होंगे जिस पर लिखा होता है ‘यह नजूल की जमीन है’. ब्रिटिश शासन काल के दौरान भारत में 550 से ज्यादा देसी रियासत हुआ करती थीं. इसमें कुछ रियासतें ऐसी थीं, जिनकी अंग्रेजों से बनती थी. तो कुछ ऐसी भी रियासतें थीं, जिन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया. कई राजा, महाराजा, नवाब और निजामों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ खुलेआम मोर्चा खोल दिया या अंग्रेजों से लोहा लेने वाले क्रांतिकारियों की मदद की. ब्रिटिश फौज और इन रियासतों के बीच लड़ाई हुई. किस राजा से छीनी गई नजूल भूमि? इन लड़ाईयों में जो राजा हार गया, अंग्रेजों ने उनकी जमीनें छीन ली और अपने कब्जे में ले ली. 15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ तो अंग्रेजों ने जो नजूल की जमीन अपने कब्जे में ली थी, उसे भी खाली कर दिया. उस समय ज्यादातर रियासतें ऐसी थीं, जिनके पास इन जमीनों पर अपना स्वामित्व साबित करने के लिए जरूरी दस्तावेज ही नहीं थे. एक तरीके से राजा-महाराजा अंग्रेजों द्वारा कब्जाई गई अपनी जमीन का कागज ही नहीं दिखा पाए. ऐसे में सरकार ने इन जमीनों को ‘नजूल भूमि’ (Nazool Land) नाम देते हुए अपने कब्जे में ले लिया. चूंकि अंग्रेजों के खिलाफ देश के हर हिस्से में विद्रोह हुआ, इसलिए नजूल की जमीन भी करीबन हर राज्य में है. कौन होता है इसका मालिक? नजूल की जमीन पर संबंधित राज्य सरकारों का स्वामित्व होता है. हालांकि ऐसी जमीनों को सीधे राज्य की संपत्ति के तौर पर प्रशासित नहीं किया जाता. सरकार ऐसी जमीन को सार्वजनिक काम, जैसे- स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन और डिस्पेंसरी के लिए एक निश्चित अवधि के पट्टे पर देती है, जिसे लीज भी कहते हैं. यह लीज 15 से 99 साल तक की हो सकती है. संबंधित राज्य सरकारें नजूल भूमि को वापस लेने, लीज कैंसिल करने या रिन्यू करने के लिए स्वतंत्र हैं. वैसे तो देश के हर राज्य में नजूल भूमि से संबंधित अपने-अपने कायदे कानून हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में नजूल भूमि (स्थानांतरण) कानून 1956 लागू होता है. यूपी में कितनी नजूल जमीन? उत्तर प्रदेश उन राज्यों में शुमार है, जहां सबसे ज्यादा नजूल भूमि है. यूपी में 25000 हेक्टेयर नजूल की जमीन है. जिन लोगों के पास सालों से नजूल जमीन थी, उन्हें उम्मीद थी कि यह फ्री होल्ड हो जाएगी, लेकिन अब उत्तर प्रदेश सरकार के नए विधेयक से यह नहीं हो सकेगा. अयोध्या में हार से क्या कनेक्शन? हाल में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. अयोध्या तक की सीट गंवानी पड़ी. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अयोध्या में बीजेपी की हार के पीछे एक बड़ी वजह नजूल की जमीन भी थी. जब रामपथ और परिक्रमा मार्ग के लिए सरकार ने जमीन का अधिग्रहण शुरू किया तो ज्यादातर जमीनें नजूल की निकलीं. ऐसे में जिनका घर चौड़ीकरण के लिए तोड़ा गया, उन्हें सिर्फ घर का मुआवजा मिला, जमीन का नहीं. चूंकि ज्यादातर मकान बहुत पुराने थे, इसलिए मुआवजा भी बहुत कम मिला. इससे बहुत सारे वोटर नाराज हुए. Tags: CM Yogi Adityanath, Keshav Maurya, UP GovernmentFIRST PUBLISHED : August 5, 2024, 10:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed