थका देने वाली 12 घंटे की ड्यूटी फिर भी नहीं मानीं हार ऐसे बनीं IAS अफसर

Dr. Anjali Garg IAS Success Story: एमबीबीएस की पढ़ाई भारत के सबसे कठिन कोर्सेस में शामिल है. इसके लिए दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक नीट पास करना अनिवार्य है. हमारे पास एक ऐसी काबिल लड़की का उदाहरण है, जिसने नीट परीक्षा पास कर एमबीबीएस किया, डॉक्टर बनी, फिर सरकारी हॉस्पिटल में प्रैक्टिस करने के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और आईएएस अफसर बन गई. पढ़िए डॉ. अंजलि गर्ग आईएएस की सक्सेस स्टोरी.

थका देने वाली 12 घंटे की ड्यूटी फिर भी नहीं मानीं हार ऐसे बनीं IAS अफसर
नई दिल्ली: भारत और रूस की दोस्ती यूं ही पक्की नहीं है. यूक्रेन पीस समिट में भारत ने ऐसी चाल चली कि पुतिन भी खुश हो गए होंगे. भारत किसी भी जंग में शांति का पक्षधर रहा है. रूस-यूक्रेन जंग में भी भारत का यही स्टैंड रहा है. मगर पूरी दुनिया तब चौंक गई, जब भारत ने स्विटजरलैंड में यूक्रेन शांति दस्तावेज पर साइन नहीं किया. भारत ने यह दांव तब चला, जब दुनिया के 80 से अधिक देशों ने इस शांति दस्तावेज पर साइन किए. पर भारत अपने दोस्त रूस के साथ किसी तरह की गद्दारी नहीं चाहता था. भारत इस शांति दस्तावेज के खिलाफ नहीं है. मगर उसके साइन न करने की एकमात्र वजह भी रूस ही है. भारत चाहता है कि किसी भी शांतिपूर्ण समाधान के लिए दोनों पक्षों यानी रूस और यूक्रेन का एक मंच पर होना जरूरी है. साथ ही दोनों की राय भी जरूरी है. दरअसल, स्विटजरलैंड में यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया. रूस-यूक्रेन जंग में शांति के लिए भारत समेत कुछ देशों ने शांति दस्तावेज वाले संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए. भारत ने संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए रूस और यूक्रेन के बीच ईमानदारी और व्यावहारिक भागीदारी की जरूरत को रेखांकित किया. भारत का मानना है कि किसी भी शांति दस्तावेज पर साइन करने से पहले दोनों पक्षों की भागीदारी और राय जरूरी है. भारत ने कहा कि शांति के लिए सभी हितधारकों को एक साथ लाना जरूरी है. यही वजह है कि भारत ने शिखर सम्मेलन से जारी होने वाले किसी भी संयुक्त बयान अथवा शांति दस्तावेज से खुद को अलग कर लिया. भारत ने क्यों नहीं किया साइन अब सवाल उठता है कि आखिर भारत ने यह स्टैंड क्यों अपनाया? तो इसकी सबसे बड़ी वजह है भारत और रूस की दोस्ती. भारत शांति तो चाहता है, मगर एकतरफा शर्तों पर नहीं. क्योंकि यूक्रेन पीस समिट में रूस शामिल नहीं था. इस वजह से भारत को यह स्टैंड अपनाना पड़ा. भारत चाहता है कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले रूस और यूक्रेन का एक साथ एक मंच पर होना जरूरी है. ताकि दुनिया दोनों पक्षों की बात सुनकर अपनी राय या सहमति बनाए. रिपोर्ट की मानें तो रूस को इस समिट में नहीं बुलाया गया था. हालांकि, चीन और पाकिस्तान को इसमें शामिल होने का न्योता मिला था. मगर पाकिस्तान और चीन दोनों ने स्विटजरलैंड समिट में शामिल होने से इनकार कर दिया. भारत की चाल देख चीन-पाक को अफसोस मगर भारत इस मामले में चीन और पाकिस्तान से एक कदम आगे निकला. भारत भी चाहता तो रूस की दोस्ती की खातिर पाकिस्तान और चीन की तरह यूक्रेन शांति समिट से दूर रह सकता था. मगर भारत ने दुनिया की मान भी रख ली और दोस्ती की लाज भी. जब भी कहीं शांति की बात होती है, दुनिया भारत की ओर देखती है. ऐसे में मोदी ने उस परंपरा को कायम रखा और शांति की वकालत करने वाले इस समिट में अपने विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) पवन कपूर को भेजा. भारत के इस स्टैंड से रूस खफा भी हो सकता था. मगर यूक्रेन में शांति दस्तावेज पर भारत के साइन न करने से रूस काफी खुश होगा. वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान और चीन अफसोस कर रहे होंगे कि काश हम भी भारत की तरह ही स्टैंड लेते. वहां जाकर ऐसा करते. भारत ने एक तीर से किए दो निशाने मोदी सरकार ने स्विटजरलैंड में जाकर और यूक्रेन शांति दस्तावेज पर साइन न करके एक तीर से दो निशाने किए हैं. एक तो शांति समिट में जाकर दुनिया के सामने अपनी शांतिदूत वाली छवि को बरकरार रखा है. दूसरा यह कि भारत ने रूस संग अपनी दोस्ती की लाज भी रखी है. यूक्रेन पीस समिट में न जाकर पाकिस्तान और चीन दुनिया की नजर में आ गए हैं. मगर भारत न केवल समिट में शामिल हुआ, बल्कि उसने मजबूती से अपना स्टैंड भी रखा. इससे पुतिन जरूर खुश होंगे. दरअसल, स्विटजरलैंड के स्विस रिसॉर्ट बर्गेनस्टॉक में आयोजित शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) पवन कपूर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया. इस समिट में कई राष्ट्राध्यक्षों सहित 100 से अधिक देशों और संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. पवन कपूर ने बताई वजह समिट में भारत के सीनियर राजनयिक ने कहा कि शांति शिखर सम्मेलन में भारत भागीदारी और यूक्रेन के शांति फार्मूले पर आधारित वरिष्ठ अधिकारियों की कई पूर्व बैठकें हमारे स्पष्ट और सुसंगत दृष्टिकोण के अनुरूप हैं कि स्थायी शांति केवल बातचीत और कूटनीति के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है. शिखर सम्मेलन रविवार को संपन्न हो गया. इसका मुख्य उद्देश्य भविष्य की शांति प्रक्रिया को प्रेरित करना था. रूस को शिखर सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया था, जबकि चीन ने इसमें शामिल नहीं होने का फैसला किया. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन और समापन पूर्ण सत्र में भाग लिया. बता दें कि स्विट्जरलैंड में 83 देशों और संगठनों ने यूक्रेन में शांति पर उच्च स्तरीय सम्मेलन के अंत में संयुक्त बयान को मंजूरी दी. भारत ने क्या दलील दी? भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने इस शिखर सम्मेलन से जारी होने वाले किसी भी विज्ञप्ति या दस्तावेज से खुद को संबद्ध नहीं किया है. सम्मेलन में भारत की भागीदारी, साथ ही यूक्रेन के शांति फार्मूले पर आधारित पूर्ववर्ती एनएसए या राजनीतिक निदेशक स्तर की बैठकों में भागीदारी, संवाद और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान को सुगम बनाने के हमारे सतत दृष्टिकोण के अनुरूप है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत का मानना ​​है कि इस तरह के समाधान के लिए संघर्ष में शामिल दोनों पक्षों के बीच ईमानदारी और व्यावहारिक भागीदारी की आवश्यकता है. इस संबंध में भारत सभी हितधारकों के साथ-साथ दोनों पक्षों के साथ बातचीत जारी रखेगा, ताकि शीघ्र और स्थायी शांति लाने के लिए सभी गंभीर प्रयासों में योगदान दिया जा सके. Tags: India russia, Russia, Russia News, Russia ukraine war, Ukraine NewsFIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 06:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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