गुजरात में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बीजेपी की महाविजय से हैरान हैं चुनावी विश्लेषक
गुजरात में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बीजेपी की महाविजय से हैरान हैं चुनावी विश्लेषक
गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 156 सीटें जीती हैं. गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद चुनावी विश्लेषक हैरान हैं. भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद सारे अनुमान ध्वस्त हो गए.
नई दिल्ली. गुजरात में बीजेपी की महाविजय की गाथा अपने आप में एक ऐसी कहानी है जिसका विश्लेषण जितना किया जाए उतना कम है. बीजेपी ने गुजरात में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर साबित कर दिया है कि गुजरात में ब्रैंड मोदी सबसे ज्यादा टिकाऊ और भरोसेमंद है और इसकी लोकप्रियता नए मुक़ाम पर है. चुनावी विश्लेषक हैरान है कि गुजरात में बीजेपी लगातार नए रिकॉर्ड बना रही है।
कांग्रेस ने 1985 के चुनाव में माधवसिंह सोलंकी के नेतृत्व में सबसे ज़्यादा 149 सीटें जीती थी. राज्य विधानसभा के चुनाव में किसी भी दल द्वारा जीती गई सीटों की यह सर्वाधिक संख्या थी. जो अभी तक यह एक रिकार्ड था लेकिन बीजेपी ने सभी अनुमानों को ध्वस्त कर नया रिकार्ड बना दिया है.
कांग्रेस 20 के अंदर सिमटी
गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 156 सीटें जीती हैं. उसे 2017 के मुकाबले 58 सीटों का फायदा हुआ है. वहीं, कांग्रेस को सबसे ज्यादा 60 सीटों का नुकसान हुआ है पार्टी ने पिछली बार 77 सीटें जीती थीं. इस बार उसे 17 सीटें ही मिली हैं. अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस या आम आदमी पार्टी को अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल की कमी महसूस हुई. क्या विपक्ष के पास करिश्माई नेताओं की कमी थी. लेकिन पहले व्यक्ति विशेष का विश्लेषण करने की बजाए गुजरात के इतिहास को भी झांकना होगा..
गुजरात में कब-कब किसका राज रहा?
गुजरात में अब तक बनी सरकारों की बात करें, तो 1960 में राज्य बनने के बाद से 1975 तक यहां कांग्रेस की सरकार रही. 1975 में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी, लेकिन अगले ही चुनाव यानी 1980 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी कर ली.
गुजरात में 27 साल से बीजेपी नॉन स्टॉप
गुजरात में 1975 के 15 साल बाद यानी 1990 में एक बार फिर गैर कांग्रेसी सरकार बनी, लेकिन रियल टर्निंग पॉइंट आया 1995 में… जब भाजपा ने पहली बार अपने दम पर सरकार बनाई. तब केशुभाई पटेल राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. 2001 में भाजपा ने पटेल को हटाकर नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया. इसके बाद 2002, 2007 और 2012 में नरेंद्र मोदी की अगुआई में भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीते. हालांकि राज्य में पिछला यानी 2017 का चुनाव भी भाजपा ने मोदी के चेहरे पर ही लड़ा था, लेकिन सरकार बचने के बावजूद उसकी सीटें घट गई थीं. लेकिन इस बार भूपेंद्र पटेल ने ऐसा रिकार्ड बना दिया है जिसे आने वाले समय में किसी भी पार्टी के लिए तोड़ना आसान नहीं होगा.
युवा तिकड़ी की टूट का फ़ायदा
पिछले चुनाव में पाटीदार आंदोलन के अगुवा रहे हार्दिक पटेल इस बार बीजेपी के खेमे में थे. वीरमगाम विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार और पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल चुनाव जीत भी गए. उन्होंने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अमरसिंह आनंद सिंह ठाकोर से करीब 51,707 वोटों से जीत हासिल की. हार्दिक पटेल ने गुजरात में भाजपा की प्रचंड जीत का श्रेय उसके काम को दिया है. वहीं अल्पेश ठाकोर भी इस बार बीजेपी के खेमे में थे और चुनाव जीत चुके हैं. लेकिन दलित नेता जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस में थे और उन्होंने वडगाम से जीत भी हासिल कर ली है. कुल मिलाकर इस बार इस चुनाव में दो युवा नेता बीजेपी के खेमे में थे और एक नेता कांग्रेस के खेमे में था.
आम आदमी पार्टी के हिस्से में क्या आया?
इस बार गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी को 15 प्रतिशत वोट शेयर मिला है जिसके बाद आप को जल्द ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी मिल सकता है. आप ने भी इशुदान गढ़वी को सीएम उम्मीदवार बनाया था हालांकि वो चुनाव हार चुके हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के वोट शेयर को अगर कांग्रेस के वोट शेयर 12.7% से जोड़ दिया जाए तो विपक्ष की कुल विधायकों की संख्या कुछ और होती. लेकिन आम आदमी पार्टी की वजह से कांग्रेस को नुकसान हुआ है ये बात तय है.
क्या आप की वजह से हुआ बीजेपी को फायदा?
गुजरात विधानसभा चुनाव के रुझानों को देखते हुए माना जा रहा है कि कांग्रेस का काम आम आदमी पार्टी ने बिगाड़ा है. जानकारों का कहना है कि कि कांग्रेस का वोट ‘आप’ की ओर शिफ्ट हुआ है और इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला है. यही वजह है कि बीजेपी एक नया रिकार्ड बनाने में सफल हुई है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी|
FIRST PUBLISHED : December 08, 2022, 20:48 IST