सेहत का खजाना होती है हरी मिर्च मोटापा-कोलेस्ट्रॉल को करती है छूंमतर
सेहत का खजाना होती है हरी मिर्च मोटापा-कोलेस्ट्रॉल को करती है छूंमतर
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: खाने को तीखा और स्वादिष्ट बनाने के लिए हरी मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है. भारतीय लोग चटपटा और तीखा खाना पसंद करते हैं. कई लोग इतना तीखा खाते हैं कि वह अलग से भी सलाद के तौर पर हरी मिर्च खाते हैं. गृह विज्ञान की एक्सपर्ट डॉक्टर विद्या गुप्ता ने बताया कि हरी मिर्च खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है.
हाइलाइट्स पूरे देश में जिस तरह से इंडिया गठबंधन ने NDA को टक्कर दी, उसकी भी चर्चा हो रही तमाम उठा-पटक के बावजूद बीजेपी और उसके सहयोगी महज 36 सीट जीत पाए
लखनऊ. संविधान और आरक्षण बचाने बनाम 400 पार नारे के बीच 2024 में लड़े गए लोकसभा चुनाव के नतीजे न सिर्फ दिलचस्प हैं, बल्कि कई सियासी समीकरणों को भी धाराशायी कर दिया. पूरे देश में जिस तरह से इंडिया गठबंधन ने NDA को टक्कर दी, उसकी भी चर्चा हो रही. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां वाराणसी का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनके अलावा 11 मंत्री उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़े, लेकिन सात हार गए. तमाम उठा-पटक के बावजूद बीजेपी और उसके सहयोगी महज 36 सीट जीत पाए, जबकि सपा और कांग्रेस ने 43 और एक सीट चंद्रशेखर आजाद ने जीता .
इतना ही नहीं बीजेपी उन सीटों को भी नहीं बचा पाई, जो उसके लिए सबसे ज्यादा मुफीद थी. इसमें सबसे पहला नाम अयोध्या का है. बीजेपी की सरकार में न सिर्फ राम मंदिर बना, बल्कि विकास की नई योजनाएं भी धरातल पर दिखीं. अयोध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लेकर, वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन, चौड़ी सड़कें, शहरों का सौन्द्रीयकरण के अलावा भव्य और नव्य अयोध्या बसाने का प्लान, नए होटलों और इन्वेस्टमेंट प्रोजेक्ट, इसके बावजूद बीजेपी अयोध्या और फैज़ाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सभी पांच विधानसभाओं में बीजेपी औंधे मुंह गिर गई. और सपा के अवधेश प्रताप ने बीजेपी के लल्लू सिंह को न सिर्फ चारों खाने चित किया, बल्कि यह भी बता दिया कि विकास अपनी जगह है, लेकिन जातिगत समीकरण भी बहुत मायने रखता हैं. उदाहरण अयोध्या नहीं एटा है, जहां से कल्याण सिंह खानदान के राजवीर सिंह हार गए. कल्याण सिंह ने राम मंदिर के लिए सत्ता का त्याग कर दिया था.
बृजभूषण शरण सिंह की चुनावों से दूरी
इन लोकसभा चुनावों में बीजेपी के कैसरगंज से सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को लेकर भी विपक्ष हमलावर रहा, और महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण के मामले में उनके खिलाफ दिल्ली के कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. बृजभूषण शरण के खिलाफ आरोप लगने के बाद से ही बीजेपी बैकफुट पर दिखी, न समर्थन कर पाई और न ही विरोध. हालांकि बृजभूषण ने खुद चुनाव न लड़कर अपने बेटे को लड़वाया, लेकिन सिर्फ कैसरगंज को बचाने में वे बीजेपी के लिए प्रचार नहीं कर पाए. आलम ये रहा कि गोंडा, कैसरगंज, बहराइच, मिश्रिख, हरदोई तो बीजेपी जीत गयी, लेकिन अयोध्या, बाराबंकी, अम्बेडकरनगर, श्रावस्ती, बस्ती, अमेठी, सुल्तानपुर, रायबरेली तक उनका न पहुंच पाना बीजेपी के लिए झटका था.
बृजभूषण बोले-हार की होनी चाहिए समीक्षा
उधर भाजपा के पूर्व सांसद और पूर्व कुश्ती संघ अध्यक्ष ने लोकसभा चुनावों के बाद कहा कि मोदी और भाजपा का कोई विकल्प नहीं है. वहीं भाजपा में भी मोदी का अब तक कोई विकल्प नहीं हैं. विपक्ष पर हमलावर होते हुए कहा कि उनके पास कोई चेहरा नहीं है और न हीं अभी तक उन्होंने कोई नेता तय किया है. नेता चुनने में ही सिर फुटौव्वल होगी. वहीं बृजभूषण ने सीटें और जीत का अंतर कम होने पर कहा कि इसको लेकर समीक्षा होनी चाहिए.
Tags: 2024 Loksabha Election, Loksabha Election 2024FIRST PUBLISHED : June 6, 2024, 10:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed