PFI पर क्यों लगाया गया प्रतिबंध- 10 प्वाइंट्स में समझें

Popular Front of India Banned: टेरर लिंक के सबूत मिलने के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. सरकार ने पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया है. टेरर लिंक को लेकर केंद्रीय एजेंसियों को PFI के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं. आइए 10 पॉइंट्स में समझते हैं PFI पर क्यों लगाया गया है प्रतिबंध-

PFI पर क्यों लगाया गया प्रतिबंध- 10 प्वाइंट्स में समझें
हाइलाइट्सटेरर लिंक को लेकर केंद्रीय एजेंसियों को PFI के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं. केंद्र सरकार ने पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया है.देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के बाद PFI पर बैन की मांग होती रही है. नई दिल्ली. टेरर लिंक के सबूत मिलने के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. सरकार ने पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया है. टेरर लिंक को लेकर केंद्रीय एजेंसियों को PFI के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं. इसी के आधार पर गृह मंत्रालय ने पीएफआई और उसके 8 सहयोगी संगठनों पर पांच साल का बैन लगाया है. मालूम हो कि PFI को लेकर पहले से ही बैन की मांग होती रही है. आइए 10 पॉइंट्स में समझते हैं PFI पर क्यों लगाया गया है प्रतिबंध- PFI का देश में कई जगहों पर हिंसा, दंगा और हत्याओं में नाम आता रहा है. PFI देश में एक दशक से सक्रिय है. युवाओं को भड़काने का काम और एक खास समुदाय को भड़काने का काम इसकी ओर से किया जा रहा था. भारत विरोधी कई गतिविधियों में भी PFI की संलिप्तता सामने आई है. अन्य देशों के प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के साथ भी इसकी संलिप्तता पाई गई है. कई देशों से इसे फंडिंग भी मिल रही थी. इसके द्वारा युवाओं को टारगेट करने की कोशिश थी और 2047 तक का एक बड़ा प्लान भी PFI की ओर से तैयार किया गया था. मुसलमानों को सोशल मीडिया के जरिए PFI भड़काने का काम कर रहा था. देश के किसी भी बड़े मुद्दे पर यह सोशल मीडिया के जरिए मुसलमानों को भड़काने का काम करता था. पीएफआई अफवाह और झूठ के सहारे खास समुदाय को उकसाने का भी काम करता था. छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिसमें देश के खिलाफ बड़े साजिश रचने के सबूत मिले हैं. छापेमारी के दौरान गिरफ्तार सदस्यों ने कई और खुलासे किए जिसके बाद अन्य जगहों पर छापेमारी की गई. पहले फेज में लोगों को PFI बैनर के तहत एकजुट करने का काम किया जाता था. इसके साथ ही अफवाह और झूठ के सहारे उन्हें उकसाने का काम किया जाता था. PFI इस बात पर जोर देता था कि मुसलमानों तक यह संदेश जाए कि यह उनका इकलौता हितैषी संगठन है. PFI संगठन में नए सदस्यों की भर्ती करता था और उन्हें हिंसा की ट्रेनिंग देता था. ट्रेनिंग के बाद पीएफआई दूसरा फेज शुरु करता था. इसमें देश में रह रहे मुसलमानों से जुड़ी परेशानी को विदेशों में ले जाने का काम किया जाता था. हर फेज में इस बात पर जोर होता था कि सारा काम PFI के नेतृत्व में ही रहे. साथ ही वक्त-वक्त पर हिंसा से जुड़े वीडियो दिखाकर उकसाने का काम भी किया जाता था. इसके बाद तीसरा फेज शुरू होता था. तीसरे फेज में SC/ST समाज के लोगों को संरक्षण देने पर जोर दिया जाता था. PFI का अपना एक बिजनेस मॉडल भी है. यह सऊदी अरब और UAE में कंपनी भी चलाता है. कंपनी के जरिए लोगों को भारत से खाड़ी देश भेजा जाता है. PFI अब तक करीब 30 हजार लोगों को खाड़ी देश भेज चुका है. UP, तमिलनाडु, केरल सहित देश के कई राज्यों से लोगों को पीएफआई UAE भेजता है. साथ ही UAE में काम करने वाले भारतीयों से पैसा लिया जाता है. भारतीयों के वेतन से हर महीने 2200 रुपये PFI लेता है. PFI सोशल मीडिया से भारत सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने का काम करता है. यह सोशल मीडिया पर कोई भी पोस्ट करता है तो उसे पहले कई बार जांचता है. हर बार भड़काऊ पोस्ट के लिए नया सोशल मीडिया अकाउंट बनाया जाता है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: India news, PFIFIRST PUBLISHED : September 28, 2022, 12:01 IST