क्यों नहीं मिला IAS पूजा को AIIMS से दिव्यांगता सर्टिफिकेट क्या है प्रोसेस
क्यों नहीं मिला IAS पूजा को AIIMS से दिव्यांगता सर्टिफिकेट क्या है प्रोसेस
Trainee IAS Pooja Khedkar: पूजा खेडकर सिविल सेवा परीक्षा में चुने जाने के लिए कपटपूर्ण तरीके का इस्तेमाल करने के आरोपों का सामना कर रही हैं. उन्होंने खुद को कथित तौर पर शारीरिक रूप से दिव्यांग और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय का बताया था.
नई दिल्ली. अगर कोई व्यक्ति दिव्यांगता के किसी भी श्रेणी में आता है, तो इसके लिए उसे मेडिकल बोर्ड से गुजरना पड़ता है. एम्स के पूर्व निदेशक डॉ एम सी मिश्रा के मुताबिक ये एक प्रोसेस है. उन्होंने कहा कि डॉ को यह बताना पड़ता है कि क्यों किसी व्यक्ति को दिव्यांगता का सर्टिफिकेट दिया जाए. साथ ही अगर व्यक्ति ने दिव्यांगता सर्टिफिकेट के लिए अस्पताल से गुजारिश की है और अस्पताल को ऐसा लगता है वो दिव्यांगता की श्रेणी में नहीं आता है तो ये भी लिखित रुप से अस्पताल को देना पड़ता है.
डॉ एम सी मिश्रा ने कहा कि कई बार अदालत या किसी बोर्ड के अनुरोध पर मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होना होता है. ऐसे में जरूरी है कि समय रहते व्यक्ति मेडिकल बोर्ड के सामने पेश हो. अगर आप ऐसे किसी बोर्ड के सामने नहीं पेश होते हैं तो आपका अनुरोध रिजेक्ट हो जाता है.
कुछ दिव्यांगता बाहर से नहीं दिखती
डॉ एम सी मिश्रा ने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि बाहर से किसी व्यक्ति में कोई दिव्यांगता नहीं दिखती है. उसके लिए खास तरह के टेस्ट की जरूरत होती है. जैसे आंखों की दिव्यांगता बाहर से नहीं पता चलती है, उसके लिए आई टेस्ट की जरूरत होती है. इसी तरह, हड्डी से भी संबंधित कुछ दिव्यांगता होती है जिसमें बाहर से तो कुछ नहीं दिखता, लेकिन जांच से इसका पता चल पाता है.
एम्स में दिव्यांगता सर्टिफिकेट
कोई भी व्यक्ति कई तरह की बीमारियों से पीड़ित हो सकता है. बावजूद इसके दिव्यांगता का सर्टिफिकेट जिन श्रेणियों में दिया जाता है उनमें लोकोमोटर विकलांगता, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, कुष्ठ रोग, बौनापन, सेरेब्रल पाल्सी, एसिड अटैक पीड़ित, कम दृष्टि, अंधापन, बधिर (बोलने में परेशानी), सुनने में कठिनाई, वाणी और भाषा दिव्यांगता, बौद्धिक दिव्यांगता, विशिष्ट सीखने की दिव्यांगता, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम रोग, मानसिक बीमारी, क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल स्थितियां, मल्टीपल स्केलेरोसिस, पार्किंसंस रोग, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया और सिकल सेल रोग शामिल हैं.
पहले क्या था नियम
दिल्ली में केन्द्र सरकार के दो अस्पताल जिसमें एम्स और सफदरजंग शामिल हैं, केवल इन्हीं दोनों अस्पतालों में दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनाने की सुविधा थी. इन अस्पतालों में मेडिकल बोर्ड बनता था, तब कहीं जाकर किसी का नम्बर आता था दिव्यांगता सर्टिफिकेट के लिए. इस प्रक्रिया में काफी समय लगता था. देरी की वजह से कई तरह के सरकारी सुविधाओं से लोग वंचित रह जाते थे. इसे लेकर सामाजिक कार्यकर्ता ने अदालत का रुख किया और फिर अदालत ने दिव्यांगता सर्टिफिकेट के लिए जिले के जिलाधिकारी को भी अधिकार प्रदान किया.
सिंगल विंडो सिस्टम से बन रहा सर्टिफिकेट
जानकारी के मुताबिक इस तरह के सार्टिफिकेट के लिए अगर अदालत से कोई ऑर्डर आता है या किसी आयोग से, तब यह एम्स में बनता है. पहले एम्स में इसके लिए मेडिकल बोर्ड तैयार किया जाता था. साल 2023 में एक ऑर्डर निकालकर दिव्यांगता सर्टिफिकेट के लिए सिंगल विंडो सिस्टम शुरू कर दिया गया है.
Tags: Aiims delhi, IAS Officer, UPSCFIRST PUBLISHED : July 16, 2024, 17:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed