Opinion: क्यों हमलावर हो जाते हैं पालतू कुत्ते मेटिंग सीजन के अलावा भी हैं अन्य कई वजहें
Opinion: क्यों हमलावर हो जाते हैं पालतू कुत्ते मेटिंग सीजन के अलावा भी हैं अन्य कई वजहें
ज्यादातर लोग कुत्ते पालते हैं, लेकिन उनको बांधकर रखते हैं, जिसके कारण कुत्ते गुस्से में रहते हैं और अंत यह होता है कि वे अंजान लोगों पर हमला कर देते हैं. वहीं, कुछ लोगो का कहना है कि कुत्ते सिर्फ वही लोग पालें, जो उनका समय समय पर सही इलाज करवा सकें. इलाज नहीं होने से कुत्ते आक्रमक होते हैं और फिर लोगों पर हमला करते हैं.
मैं अपने घर पर ड्राइंग रूम में बैठा हुआ था. अचानक मेरी बेटी के चीखने की आवाज आई. वह घबराहट में लगातार चीखे जा रही थी. आवाज सुनकर मैं हड़बड़ाता हुआ बाहर लॉबी में आया तो देखा, मेरे पड़ोसी के कुत्ते ने मेरी बेटी पर झपटने की कोशिश की थी, जिसकी वजह से वह सहमी हुई थी. खैर वक्त रहते मेरे पड़ोसी ने अपने कुत्ते को संभाल लिया और हादसा टल गया. लेकिन इस घटना से मैं उन बच्चों के पेरेंट्स के गुस्से को महसूस कर पा रहा हूं, जिनके बच्चों को कुत्तों ने हमला करके घायल किया है. पहले भी मेरी सोसायटी में कुत्तों को लेकर कई बार विवाद हो चुके हैं. झगड़ा इतना बढ़ जाता है कि मार.पीट की नौबत तक आ जाती है. मैं ही नहीं, शहरों में रहने वाले बहुत से लोग इस खतरे को झेल चुके होंगे या इस तरह के खतरों के गवाह बने होंगे.
नोएडा और गाजियाबाद, फरीदाबाद, लखनऊ या मुंबई, करीब करीब हर शहर में ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिनमें लोगों की जान तक पर बन आई है. इसी हफ्ते गाजियाबाद के संजय नगर में रहने वाले 11 साल के पुष्प त्यागी पर पार्क में खेलते वक्त पिटबुल ब्रीड के डॉग ने जानलेवा हमला कर दिया. बुरी तरह से घायल इस बच्चे के चेहरे पर करीब 150 टांके लगाने पड़े. हालत ऐसी है कि बच्चा अब भी बोल नहीं पा रहा. इस तरह के मामले किसी की भी रूह कंपाने के लिए काफी हैं. इससे ठीक पहले गाजियाबाद के ही राजनगर एक्सटेंशन की चार्म कैसल सोसायटी की लिफ्ट में पालतू कुत्ते ने मासूम बच्चे को काट लिया. बच्चा लिफ्ट में रोता रहा, दर्द से कराहता रहा, लेकिन कुत्ते की मालकिन का दिल नहीं पसीजा. सीसीटीवी की फुटेज में यह साफ दिख रहा था कि उस महिला ने बच्चे को बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.
गाजियाबाद से ही सटे नोएडा में भी लिफ्ट के अंदर ऐसा ही एक हादसा देखने को मिला. सेक्टर 75 की एक सोसायटी में पालतू कुत्ते ने लिफ्ट में युवक पर झपट्टा मार दिया, जिससे युवक वहीं गिर पड़ा. सबसे ज्यादा चौंकाने वाला केस मुंबई के पनवेल की एक सोसायटी में देखने को मिला. जहां 29 अगस्त को जोमैटो के एक डिलीवरी बॉय को लिफ्ट में जर्मन शेफर्ड ब्रीड के कुत्ते ने काट खाया. कुत्ते ने डिलीवरी बॉय के प्राइवेट पार्ट पर हमला किया, जिससे वह लहूलूहान हो गया. दरसअल, पालतू कुत्तों को लेकर बहस, लखनऊ में पिटबुल कुत्ते के अपने मालिक की बुजुर्ग मां को ही मार डालने के बाद छिड़ी. इसी साल जुलाई में लखनऊ में एक पिटबुल कुत्ते ने अपनी 82 साल की मालकिन को नोच.नोचकर मार डाला था. इसके बाद पिटबुल जैसे खतरनाक कुत्तों को पालने को लेकर सवाल खड़े किए जाने लगे. इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और बेल्जियम समेत कई देशों में पिटबुल कुत्तों को पेट के रूप में रखने पर बैन है. हालांकि, भारत में इस पर कोई बैन नहीं लगाया गया है.
आखिर पालतू कुत्ते इतने हिंसक क्यों हो जाते हैं? इस पर डॉक्टरों का कहना कि कुत्तों के प्रजनन का टाइम जून के आखिरी सप्ताह से लेकर 15 सितंबर तक होता है. इस दौरान नर या मादा कुत्ते, दोनों एक्साइटिंग और इरिटेटिंग मोड में होते हैं, जिसके कारण इन्हें अपने मालिक के अलावा बाकी लोगों से डर बना रहता है. इन्हें ऐसा लगता है कि लोग इनके मेटिंग टाइम में अवरोध बन रहे हैं, जिस कारण ये अंजान शख्स पर हमला कर देते हैं. इसके अलावा कुत्तों पर उनके मालिकों का कमांड नहीं होना भी दुर्घटना की वजह बनती है. हालांकि, डॉग लवर्स की मानें तो, कुत्ते पालना गलत नहीं है. लेकिन उनका समय पर वैक्सीनेशन कराना जरूरी होता है, जिससे कि वे खूंखार ना हो पाएं. ज्यादातर लोग कुत्ते पालते हैं, लेकिन उनको बांधकर रखते हैं, जिसके कारण कुत्ते गुस्से में रहते हैं और अंत यह होता है कि वे अंजान लोगों पर हमला कर देते हैं. वहीं, कुछ लोगो का कहना है कि कुत्ते सिर्फ वही लोग पालें, जो उनका समय समय पर सही इलाज करवा सकें. इलाज नहीं होने से कुत्ते आक्रमक होते हैं और फिर लोगों पर हमला करते हैं.
कुत्तों की समस्या सिर्फ पालतू होने तक ही नहीं है. आवारा कुत्तों की संख्या भी दिन.प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. एक बड़े वर्ग का ये भी मानना है कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वाली आदत की वजह से भी ये घरों में घुसते हैं, जिससे बच्चों को काटने का खतरा बढ़ जाता है. वैसे देखा जाए तो कुत्ते हमारी संस्कृति से भी जुड़े रहे हैं. आदिकाल से मनुष्यों के जीवन में कुत्तों का एक विशेष स्थान रहा है. कुत्तों को वफादारी का प्रतीक भी माना जाता है. जरूरत पड़ने पर चे अपने मालिक के लिए जान तक कुर्बान कर देते हैं. धार्मिक तौर पर भी देखा जाए तो, पंडित, पुजारी भी ग्रहों को शांत करने या विपत्ति दूर करने के लिए कुत्तों को खाना खिलाने की सलाह देते हैं. कई बार तो खाने के चक्कर में कुत्ते लोगों पर हमला कर देते हैं. इसके अलावा नगर निगमों के द्वारा कुत्तों की नसबंदी नहीं होने से भी इनकी तादाद बढ़ती जा रही है. एक आंकड़े के मुताबिक अकेले नोएडा में रोजाना 100 से ज्यादा लोग सरकारी अस्पताल में रैबीज के इंजेक्शन लगवाने आते हैं. कुत्तों के लगातार हमलों के बाद एक बार फिर से पेट्स के लिए नियम कानून की मांग उठने लगी है. कुछ जगह पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है, तो कहीं लिफ्ट में कुत्तों को ले जाने पर रोक लगाई गई है. कुत्तों को बाहर ले जाते वक्त मुंह बांधने वाली जाली लगाने के भी निर्देश दिए गए हैं. कुत्ते पालने वालों की भी नैतिक जिम्मेदारीबनती है कि वे अपने पड़ोस, सोसायटी में रहने वाले दूसरे लोगों का ख्याल रखें.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी |
Tags: Attack of stray dogs, DogsFIRST PUBLISHED : September 10, 2022, 10:53 IST