मंकीपॉक्स बीमारी का नाम बदलने की तैयारी में WHO ये है वजह

Monkey Pox: मई के बाद से वैश्विक स्तर पर मंकीपॉक्स के 31,000 से अधिक मामलों की पहचान की गई है, जिनमें से अधिकांश अफ्रीका से बाहर के हैं. मंकीपॉक्स दशकों से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के कुछ हिस्सों में फैलता थे. लेकिन इस साल मई के बाद दुनिया के कई हिस्सों से इसके केस आने लगे.

मंकीपॉक्स बीमारी का नाम बदलने की तैयारी में WHO ये है वजह
हाइलाइट्स मई के बाद से वैश्विक स्तर पर मंकीपॉक्स के 31,000 से अधिक केसइसी महीने अमेरिका के न्यूयॉर्क में मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया दिल्ली में अब तक मंकीपॉक्स के 5 केस मिले हैं लंदन. मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले तीन महीनों के दौरान अब तक ये वायरस सौ से ज्यादा देशों में फैल चुका है. साथ ही इसके 31 हज़ार से ज्यादा केस मिले हैं. इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि इस बीमारी का नाम बदला जाएगा. जल्द ही इसको लेकर एक बैठक बुलाई जाएगी. साथ ही नए नाम को लेकर आमलोगों के सुझाव भी लिए जाएंगे. दरअसल हाल के दिनों में कुछ आलोचकों ने इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि इस नाम का अर्थ अपमानजनक या नस्लवादी हो सकता है. 13 अगस्त को एक बयान में, संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि उसने ऐसे विवादों से बचने के लिए भौगोलिक क्षेत्रों के बजाय रोमन अंकों का उपयोग करते हुए, वायरस के दो परिवारों, या समूहों का नाम बदल दिया है. पहले कांगो बेसिन के रूप में जाना जाने वाले बीमारी को अब क्लैड वन या आई के रूप में जाना जाएगा. इसके अलावा पश्चिम अफ्रीका क्लैड को क्लैड टू या II के रूप में जाना जाएगा. नाम बदलने की तैयारी डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस सप्ताह वैज्ञानिकों की एक बैठक के बाद इन बीमारियों का नामकरण किया गया. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इसका उद्देश्य ‘किसी भी सांस्कृतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, पेशेवर या जातीय समूहों को ठेस पहुंचाने से बचाना है’. बता दें कि जापानी इंसेफेलाइटिस, मारबर्ग वायरस, स्पैनिश इन्फ्लूएंजा और मिडिल ईस्टर्न रेस्पिरेटरी सिंड्रोम सहित कई अन्य बीमारियों का नाम उन भौगोलिक क्षेत्रों के नाम पर रखा गया है जहां वे पहली बार पैदा हुए थे या उनकी पहचान की गई थी. डब्ल्यूएचओ ने सार्वजनिक रूप से इनमें से किसी भी नाम को बदलने का सुझाव नहीं दिया है. मंकीपॉक्स का बढ़ता खतरा मंकीपॉक्स का नाम पहली बार 1958 में रखा गया था. दरअसल डेनमार्क में रिसर्च के दौरान बंदरों में ‘पॉक्स जैसी’ बीमारी देखी गई थी. बीमारी के नए नाम का ऐलान कब किया जाएगा इसको लेकर फिलहाल कुछ भी नहीं कहा गया है. लेकिन डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इसको लेकर लोगों से राय भी मांगी जाएगी. बता दें कि मई के बाद से वैश्विक स्तर पर मंकीपॉक्स के 31,000 से अधिक मामलों की पहचान की गई है, जिनमें से अधिकांश अफ्रीका से बाहर के हैं. मंकीपॉक्स दशकों से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के कुछ हिस्सों में फैलता थे. लेकिन इस साल मई के बाद दुनिया के कई हिस्सों से इसके केस आने लगे. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: MonkeypoxFIRST PUBLISHED : August 14, 2022, 07:09 IST