30% का वो कौन सा आंकड़ा जिसके फेर में बुरी तरह फंस गई BJP गंवानी पड़ी सीटें

पश्च‍िम बंगाल में बड़ी आस लगाए बैठी बीजेपी 30% के फेर में बुरी तरह फंस गई. सीटें बढ़ना तो दूर की बात, उसे अपनी सीटें भी इसकी वजह से गंवानी पड़ गई. आइए जानते हैं आख‍िर 30% का वो कौन सा आंकड़ा है, जो बार-बार बीजेपी के सपने चकनाचूर कर देता है.

30% का वो कौन सा आंकड़ा जिसके फेर में बुरी तरह फंस गई BJP गंवानी पड़ी सीटें
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हुए नुकसान के पीछे राजनीत‍िक विश्लेषक कई वजह बता रहे हैं. कैंडिडेट सलेक्‍शन से लेकर लोगों के गुस्‍से तक को ग‍िनाया जा रहा है. लेकिन 30% फीसदी का एक आंकड़ा ऐसा है, जिसके फेर में बीजेपी बुरी तरह फंस गई और उसे पश्चि‍म बंगाल में अपनी सीटें भी गंवानी पड़ गई. इसी आंकड़े की वजह से तृणमूल कांग्रेस काफी ताकवतर बनकर निकली है और अब उसे कोई टक्‍कर देता नहीं दिख रहा है. बीजेपी ने पश्च‍िम बंगाल में पूरा दांव लगा रखा था. संदेशखाली से लेकर भ्रष्‍टाचार और राज्‍य में लगातार हो रही ह‍िंसा को मुद्दा बनाया. तृणमूल कांग्रेस को घेरा, लेकिन एक जगह उनका दांव उल्‍टा पड़ गया. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मुस्लिम बहुल इलाकों में टीएमसी को अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का भारी समर्थन मिला. यही उसकी प्रचंड जीत की वजह बने. पश्च‍िम बंगाल में लगभग 30 फीसदी मुस्‍ल‍िम आबादी है. 16-18 लोकसभा सीटों पर इनका प्रभाव है. इन सीटों पर मुस्‍ल‍िम जीत-हार तय करने की हैस‍ियत रखते हैं. 07 सीटें तो ऐसी हैं जहां आबादी 40 से 50 फीसदी के करीब है. ऐसे में इनका वोट काफी अहम हो जाता है. दक्ष‍िण बंगाल की ज्‍यादातर सीटें जीतीं पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रायगंज, कूच बिहार, बालुरघाट, मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, मुर्शिदाबाद, डायमंड हार्बर, उलुबेरिया, हावड़ा, बीरभूम, कांथी, तमलुक, मथुरापुर और जॉयनगर में मुस्लिम आबादी काफी है. तृणमूल कांग्रेस (TMC) इनकी पसंदीदा पार्टी रही है. विश्लेषकों का मानना है क‍ि 2024 लोकसभा चुनाव में ज्‍यादातर सीटों पर इनका मुस्‍ल‍िम मतदाताओं का वोट टीएमसी को मिला, इसल‍िए उसने दक्ष‍िण बंगाल की ज्‍यादातर सीटें जीत लीं. हालांकि, उत्‍तर बंगाल में वाम-कांग्रेस गठबंधन और टीएमसी के बीच अल्पसंख्यक वोटों का बंटवारा होने से भाजपा बालुरघाट, रायगंज और मालदा उत्तर सीट बचा पाने में सफल रही. तमलुक और कांथी लोकसभा सीटों को छोड़कर, पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने दक्षिण बंगाल की मुस्लिम-बहुल सीटों पर जीत हासिल की, जहां अल्पसंख्यकों ने भाजपा की बढ़त को रोकने के लिए टीएमसी को वोट दिया. ये मुद्दे भी भारी पड़े बीजेपी ने बंगाल के ल‍िए दो प्रमुख मुद्दे को उछाला. पहला संदेशखाली में मह‍िलाओं के साथ दुर्व्‍यवहार और दूसरा, सीएए कानून, जिससे दूसरे देशों से आए लोगों को नागर‍िकता दी जा रही थी. दोनों उसे फायदा नहीं पहुंचा सके. सीएए कानून का असर फीका नजर आया. संदेशखाली भी हल्‍का रहा. यहां तक क‍ि संदेशखाली में भी उनकी प्रत्‍याशी रेखा पात्रा चुनाव हार गईं. मह‍िला मुस्‍ल‍िमों को यह समझाने में कामयाब रहीं क‍ि एनआरसी आएगा, तो केंद्र सरकार बहुत सारे लोगों को बाहर निकाल फेंकेगा. Tags: West bengalFIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 18:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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