20 साल पहले की सुनामी जब नागलोक में गूंजी थी किलकारी कहां है वह बच्चा

सुनामी के 20 साल गुजर गए हैं. लेकिन आज भी उसका दहशत लोगों के दिलों में है. मगर हम यहां पर सुनामी की बात नहीं कर रहे- उस काली रात में पैदा हुए एक बालक की, जो आज 20 साल का हो गया है. अंडमान के टापू पर उसकी में ने विकट परिस्थियों में उसे जन्म दिया था.

20 साल पहले की सुनामी जब नागलोक में गूंजी थी किलकारी कहां है वह बच्चा
हाइलाइट्स 2004 में भूकंप के बाद 14 देशों में सुनामी आई थी. इसी सुनामी में एक बालक का जन्म हुआ था. यह बालक 20 साल का हुआ है, वह समंदर की स्टडी करना चाहता है. पोर्ट ब्लेयर. 2004 का सुनामी याद है आपको कैसे इंडोनेशिया में आए भूंकप ने भारत और श्रीलंका जमकर तबाही मचाई थी. भारत में अकेले 16 हजार से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि हजारों की तदाद में लोग लापता हो गए थे. वहीं, 14 देशों में अपनी चपेट में लेने वाले ताबही ने 2 लाख से अधिक लोगों को लील गया था. लेकिन, इसी तबाही में बीच महासागर के बीचों-बीच किलकारी गूंजी थी. उस बालक का नाम भी ‘सुनामी’ रखा गया. आज वह बालक अपना सुनामी के 20 बरस पूरा होने पर अपना बर्थ-डे मना रहा है. वह अब कहां रह रहा है और क्या कर रहा है? नमिता रॉय और उनका परिवार शायद ही कभी 2004 में भूकंप के बाद आई सुनामी की खौफनाक यादों को भूल पाएगा. मूलरूप से अंडमान-निकोबार के हट-बे द्वीप की निवासी नमिता ने सुनामी के बीच ही सांपों से भरे जंगल में अपने बेटे ‘सुनामी’ को जन्म दिया था जहां उन्हें तथा उनके परिवार को प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए शरण लेनी पड़ी थी. बीस साल बाद, वह उस दिन को याद करके आज भी सिहर उठती हैं. मां ने याद किया दर्दनाक रात उस काली रात को याद करते हुए नमिता ने बताया, ‘मैं उस खौफनाक दिन को याद नहीं करना चाहती. मैं गर्भवती थी और रोजाना के घरेलू कामकाज में लगी थी. अचानक, मैंने भयानक सन्नाटा महसूस किया और समुद्र की लहरों को तट से मीलों दूर जाता देख मैं हैरान रह गई। पक्षियों में अजीब सी बेचैनी थी.’ उन्होंने कहा, ‘कुछ सेकंड बाद, एक डरावनी सरसराहट की आवाज आई और हमने देखा कि समुद्र की ऊंची लहरें हट बे द्वीप की ओर बढ़ रही थीं और उसके बाद भूकंप के तेज झटके भी महसूस किए गए. मैंने लोगों को चिल्लाते हुए एक पहाड़ी की ओर भागते देखा. मुझे घबराहट होने लगी और मैं बेहोश हो गई.’ बारिश-तूफान में सुनामी का जन्म नमिता ने नम आंखों और भरे गले से कहा, ‘घंटों बाद जब मुझे होश आया तो मैंने खुद को जंगल में पाया जहां हजारों स्थानीय लोग भी थे. अपने पति और बड़े बेटे को देखकर थोड़ा सुकून मिला. समुद्री लहरों ने हमारे द्वीप के ज्यादातर हिस्सों को अपनी आगोश में ले लिया था. लगभग सभी संपत्तियां तबाह हो चुकी थीं. अब वह अपने दो बेटों सौरभ और सुनामी के साथ पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में रहती हैं। ‘कोविड-19’ महामारी के दौरान उनके पति लक्ष्मीनारायण की मौत हो गई. चट्टान पर बेटे का जन्म रॉय ने कहा, ‘रात 11 बजकर 49 मिनट पर मुझे प्रसव पीड़ा हुई, लेकिन वहां कोई चिकित्सक नहीं था. मैं वहीं एक बड़े पत्थर पर लेट गई और मदद के लिए चिल्लाने लगी. मेरे पति ने पूरी कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई चिकित्सीय मदद नहीं मिल पाई. फिर उन्होंने जंगल में शरण ले रही कुछ अन्य महिलाओं से मदद मांगी. उनकी सहायता से, मैंने बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में ‘सुनामी’ को जन्म दिया… जंगल में हर तरफ सांप थे.’ दो बेटे सौरभ और सुनामी रॉय का बड़ा बेटा सौरभ एक निजी कंपनी में काम करता है, जबकि सुनामी अंडमान-निकोबार प्रशासन में सेवा देने के लिए समुद्र विज्ञानी बनना चाहता है. सुनामी रॉय ने कहा, ‘मेरी मां मेरे लिए सब कुछ है. मैंने उनसे मजबूत व्यक्ति आज तक नहीं देखा. मेरे पिता के निधन के बाद, उन्होंने हमारे भरण-पोषण के लिए कड़ी मेहनत की और अपनी खाद्य आपूर्ति सेवा शुरू की जिसका नाम उन्होंने ‘सुनामी किचन’ रखा. मैं समुद्र विज्ञानी बनना चाहता हूं.’ (पीटीआई इनपुट) Tags: Cyclone updatesFIRST PUBLISHED : December 27, 2024, 15:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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