‘देश के लिए काम करने पाकिस्तान गया था’ 28 साल बाद लौटे वतन सरबजीत के साथ जेल में रहे कुलदीप की कहानी

Indian in Pakistan Jail: कुलदीप यादव को सीमा सुरक्षा बल द्वारा रॉ मिलेट्री इंटेलीजेंस के लिए 1991 में अहमदाबाद में नियुक्त किया गया था. उनकी दिल्ली में प्रतिनियुक्ति हुई उसके बाद उन्हें पाकिस्तान भेज दिया गया. वह 22 जून 1994 को पाकिस्तान में गिरफ्तार हुए और 30 महीने की पूछताछ के बाद उन्हें पाकिस्तान की कोर्ट मार्शल सैन्य अदालत ने 25 साल की कैद की सजा सुनाई थी.

‘देश के लिए काम करने पाकिस्तान गया था’ 28 साल बाद लौटे वतन सरबजीत के साथ जेल में रहे कुलदीप की कहानी
हाइलाइट्सपाकिस्तान की जेल में 28 साल बिताने के बाद घर लौटे कुलदीप यादव. मार्च 1991 में पाकिस्तान गए थे, 1996 में मिली थी उम्रकैद की सजा. कुलदीप 2013 से ही अपने परिवार के संपर्क में नहीं थे. अहमदाबाद. 59 साल के कुलदीप यादव स्मार्टफोन को इस तरह घूर रहे हैं जैसे दूसरे ग्रह से नीचे गिरा कोई गैजेट हो. वह उसे उलट पुलट कर यह समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह काम कैसे करता है. जासूसी के आरोप में 28 साल पाकिस्तान की जेल में गुजारने के बाद अब उन्हें घर आए हुए 7 दिन हो चुके हैं. कुलदीप 2013 से ही अपने परिवार के संपर्क में नहीं थे. तब भारतीय नागरिकों के लिए पाकिस्तान की जेलों में अलग नियम थे और उन्हें परिवारों के साथ मिलने की अनुमति नहीं थी. पठानी सूट पहने दुबले पतले यादव अहमदाबाद में अपने घर में बैठे हैं. उनका कहना है कि मैं अभी यहां के माहौल में खुद को ढाल ही रहा हूं. जब मैं अहमदाबाद पहुंचा तो मेरा परिवार मुझे लेने नहीं आ पाया था तो मैं खो गया था. मुझे मेरे घर के बाहर की सड़कें, गलियां पहचान में ही नहीं आ रही थीं. मेरे परिवार में बच्चे हैं जिन्हें मैंने आज तक देखा ही नहीं. 1991 में भेजा गया था पाकिस्तान वहीं कुलदीप का परिवार उनके जेल जाने से पहले के बारे में बात नहीं करना चाहता है. गुजरात हाई कोर्ट में एक याचिका में उनकी बहन द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर यादव को सीमा सुरक्षा बल द्वारा रॉ मिलेट्री इंटेलीजेंस के लिए 1991 में अहमदाबाद में नियुक्त किया गया था. बाद में उनकी प्रतिनियुक्ति दिल्ली में हुई. उसके बाद उन्हें पाकिस्तान भेज दिया गया. वह 22 जून 1994 को पाकिस्तान में गिरफ्तार हुए और 30 महीने की पूछताछ के बाद उन्हें पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 25 साल की कैद की सजा सुनाई थी. यादव कहते हैं कि 27 अक्टूबर, 1996 को उन पर आरोप तय हुआ. उसके हिसाब से उन्हें 26 अक्टूबर 2021 को रिहा हो जाना था. लेकिन पाकिस्तान जेल से भारतीयों की रिहाई के लिए कैदियों को सजा पूरी होने के बाद वापस भारत भेजने के लिए अपने घर का पूरा पता देना होता है. इसके बाद उच्चायोग इसकी जांच करता है. एक बार भारत ने मंजूरी दे दी तो फिर पाकिस्तान सरकार को इसकी जानकारी दी जाती है. फिर पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय में कैदियों को उपस्थित होने की एक तारीख दी जाती है.  24 जून, 2022 को दिया गया था रिहाई का आदेश यादव बताते हैं कि मुझे अदालत में 24 जून, 2022 को पेश किया गया और मेरे रिहाई के आदेश दे दिए गए. आदेश को पाकिस्तान शासन के पास भेजा गया, जिसे फिर भारतीय उच्चायोग को भेजा गया. इस कागजी कार्रवाई की वजह से यादव को 10 महीने ज्यादा जेल में रहना पड़ा. कैदियों के लिए बनाई गई भारत-पाकिस्तान न्यायिक समिति, जिसमें भारत और पाकिस्तान के सेवानिवृत्त न्यायाधीश थे. जिन्होंने 26 अप्रैल से 1 मई 2013 के बीच कराची, रावलपिंडी और लाहौर की जेलों और लाहौर के जिन्ना अस्पताल जहां सरबजीत भर्ती थे, उनका दौरा किया था. यहां पाया गया था कि भारतीय कैदी जो जासूसी के आरोप झेल रहे थे उन्हें जेल के अलग कमरों में रखा गया था. सरबजीत था उनका अच्छा दोस्त यादव कहते हैं कि सरबजीत उनका अच्छा दोस्त था लेकिन हमारे बैरक अलग-अलग थे, क्योंकि उसे मौत की सजा सुनाई गई थी. इससे पहले यह प्रावधान था कि कोई कैदी अनुमति मांग कर 15 दिनों में दूसरे कैदी से मिल सकता था. वह अक्सर मुझसे मिलने की इजाजत मांगता था. हालांकि सरबजीत की मौत के बाद यह सब बदल गया. इसके साथ ही सभी तरह का पत्र व्यवहार बंद कर दिया गया और मैं अपने घर एक चिट्ठी भी नहीं लिख सकता था. दूसरी तरफ खाना और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हुई थीं. मालूम हो कि सरबजीत जिन्हें आतंकवाद और जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी, उन पर जेल के दूसरे कैदियों ने हमला कर दिया था जिसके कुछ दिनों बाद मई 2013 में उनकी मौत हो गई थी. नवंबर 1999 में कुलदीप के पिता नानकचंद की मौत की खबर उन्हें अगस्त 2000 में मिली. इस दौरान कई बार चिट्ठी लिखी गयी लेकिन कुलदीप तक कोई संदेश नहीं पहुंचा. 2007 में कुलदीप की मां मायादेवी और उनके चार भाई-बहनों ने गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और पाकिस्तान की कोट लखपत जेल से कुलदीप की रिहाई और 5 लाख रुपये अंतरिम मुआवजे की विदेश मंत्रालय से मांग की गई. अप्रैल 2008 को गुजरात उच्च न्यायालय ने मुआवजे की घोषणा की और 2014 में पाकिस्तान सरकार को याचिकाकर्ता की अर्जी पर गौर करने के लिए कहा. 2014 में कुलदीप की बहन रेखा ने गुजरात उच्च न्यायालय की ओर रुख करते हुए अनुग्रह राशि और अतिरिक्त 5 लाख मुआवजे की मांग रखी. 2018 को एक खंडपीठ ने सरकार को अपवाद के तौर पर अनुकंपा के आधार पर रेखा की नियुक्ति पर गौर करने के लिए कहा. दिसबंर 2018 को उन्हें नियुक्ति के आदेश मिले अब वह जोधपुर सीमा सुरक्षा बल के साथ नर्स के तौर पर काम कर रही हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Ahmedabad, BSF jawan, Pakistan JailFIRST PUBLISHED : September 02, 2022, 13:07 IST