Kudhani by-election: उपचुनाव में किसने बिगाड़ा किसका खेल कौन होगा कुढ़नी का किंग

Kudhani assembly by-election: कुढ़नी में उप चुनाव संपन्न हो गए. जदयू और भाजपा के बीच मुख्य रूप से लड़ाई मानी जा रही है. हालांकि, दोनों ही दल छोटी पार्टियों की सेंधमारी से सहमे हुए हैं. कुढ़नी उपचुनाव में भाजपा की ओर से केदार गुप्ता, जदयू से मनोज कुशवाहा, वीआईपी से नीलाभ कुमार और एआईएमआईएम से गुलाम मुर्तजा चुनावी मैदान में हैं. मगर बड़ा सवाल यही है कि कुढ़नी का किला कौन फतह करेगा?

Kudhani by-election: उपचुनाव में किसने बिगाड़ा किसका खेल कौन होगा कुढ़नी का किंग
मुजफ्फरपुर/पटना. कुढ़नी विधान सभा  उपचुनाव के लिए मतदान समाप्त होते ही चुनाव लड़ रही पार्टियों की तरफ से जीत हार के दावे भी शुरू हो गए हैं. इसके साथ ही कुढ़नी चुनाव ने कई ऐसे संकेत दिए हैं जो आने वाले समय में बिहार की सियासत में असर डाल सकता है. दरअसल, माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले ये आखिरी चुनाव है जिसमें बिहार के तमाम राजनीतिक पार्टियों को अपने वोट बैंक के आकलन का मौका मिला है जिसकी तस्वीर कुढ़नी उपचुनाव परिणाम में दिख सकती है. महागठबंधन के लिए क्या हैं मायने?- महागठबंधन ने जदयू की तरफ से मनोज कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया था जिन्हें लेकर कुढ़नी में उनके व्यवहार की वजह से मतदाताओं को मनाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. यह सिलसिला पूरे चुनाव तक चला और पूरे चुनाव मनोज कुशवाहा मतदाताओं से माफी मांगते दिखे. मनोज कुशवाहा के प्रति नाराजगी के बीच महागठबंधन ने संयुक्त रूप से चुनाव प्रचार की शुरुआत की और सबसे पहले अपने कोर वोटर ‘MY’ यामी मुस्लिम यादव और लव कुश यानी कुर्मी-कोयरी वोटर को एकजुट करने की कोशिश की. चुनाव में इसका असर भी काफी हद तक दिखा भी, लेकिन ये समीकरण इतना मजबूत नहीं था कि सिर्फ इसकी बदौलत जीत मिल जाए. महागठबंधन ने बीजेपी के कोर वोटर यानी सवर्ण में भूमिहार और राजपूत को तोड़ने की पूरी कोशिश की और इस जाति के बड़े नेताओं को कैंप भी कराया. इसका कुछ हद तक फायदा भी मिला, लेकिन उतना नहीं जितनी उम्मीद थी. भूमिहार वोट जो कुढ़नी में निर्णायक माना जाता है, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने उन्हें अपनी पार्टी के पाले में करने में पूरी ताकत झोंक दी. इसका असर ये हुआ कि बहुत तो नहीं, लेकिन भूमिहार वोट को जदयू में लाने में कुछ हद तक सफल दिखे. आपके शहर से (पटना) बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तराखंड हरियाणा झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र पंजाब पटना पटना गया मुजफ्फरपुर भागलपुर अररिया अरवल औरंगाबाद कटिहार किशनगंज खगड़िया गोपालगंज जमुई जहानाबाद दरभंगा नवादा नालंदा पश्चिमी चंपारण पूर्णिया पूर्वी चंपारण बक्सर बांका बेगूसराय भोजपुर मधुबनी मधेपुरा मुंगेर मोतिहारी राजगीर रोहतास लखीसराय वैशाली शेखपुरा समस्तीपुर सहरसा सारण सीतामढ़ी सीवान सुपौल कैमूर Madarsa Education: मदरसों के सर्वे पर आखिर संग्राम कैसा? 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AIMIM ने स्थानीय गुलाम मुर्तजा अंसारी को मैदान में उतारा था जो अंसारी बिरादरी से आते हैं. MIM को उम्मीद थी की गोपालगंज वाला खेल कुढ़नी में भी करेंगे, लेकिन वो सफल होती नहीं दिखी. मुस्लिम वोटर बड़ी संख्या में महागठबंधन में जाते दिखे. MIM के उम्मीदवार ने अंसारी वोट काटा और कुछ जगहों पर अन्य मुस्लिम वर्गों के भी वोट मिले. लेकिन, वो उतने नहीं हैं जो महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सके. यहां यह भी बता दें कि मुस्लिम वोटों में बिखराव न हो इसको लेकर महागठबंधन के मुस्लिम नेताओं ने काफी मेहनत भी की थी. हालांकि, यह भी हकीकत है कि कुढ़नी में मुकाबला बेहद कड़ा है और ऐसे में कुछ हजार वोटों का नुकसान भी महागठबंधन की उम्मीदों को झटका लगा सकता है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| FIRST PUBLISHED : December 06, 2022, 10:50 IST