LAC पर गोला बारूद ड्रोन के जरिए होगा डिलिवर हाईटेक हो रही है भारतीय सेना
LAC पर गोला बारूद ड्रोन के जरिए होगा डिलिवर हाईटेक हो रही है भारतीय सेना
Army logistic drone : तकनीक के दौर में भारतीय सेना बड़ी तेजी खुद को अपग्रेड कर रही है. ड्रोन आज के दौर का सबसे सस्ता और खरतनाक हथियार बन चुका है. इसका पूरा फायदा भारतीय सेना उठाना चाहती है. खास तौर पर हाई एल्टीटियूड के इलाके के लिए नए साजो सामान की खरीद की जा रही है.
Army logistic drone : भारत चीन के बीच LAC पर तो तनाव कम हुआ है. फिर से ऐसा नहीं होगा ये कहना मुश्किल है. लेहाजा भारतीय सेना ने हाई एल्टीट्यूड वॉर जोन के लिए अपनी तैयारियों और तेज कर दिया है. तनाव के बाद से कई एसी सामरिक जरूरतों पर तेजी से घ्यान दिया जा रहा है. खास बात तो यह है कि जो भी आधुनिक तकनीक के हथियार लिए जा रहे है वह सभी स्वदेशी कंपनियों से लिए जा रहे है. हाई एल्टीट्यूड में तैनात भारतीय सैनिको के लिए अब सेना खास तौर के ड्रोन की खरीद करने जा रही है. यह है लॉजेस्टिक ड्रोन. भारतीय सेना ने 570 लॉजेस्टक ड्रोन की खरीद प्रक्रिया को शुरू करते हुए रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन (RFI) जारी किया है. सेना से स्वदेशी कंपनियों को अपनी हाई एल्टीट्यूड मीडियम एल्टीट्यूड लॉजेस्टिक ड्रोन जरूरत को बताया है.
भारतीय सेना को गोलाबारूद ड्रोन के जरिए होगा डिलिवर
भारतीय सेना पिछले साढ़े चार साल से हर मौसम में LAC के उंची उंची पोस्ट पर डटी है. यह पोस्ट 12000 से 18000 फिट की उंचाई पर स्थित है. बर्फबारी के चलते ज्यादातर पोस्ट बेस से कई हफ्तों तक पूरी तरह से कट जाती है. अब इन पोस्ट पर ड्रोन के जरिए जरूरी साजों सामान पहुंचाने का काम शुरु करना है. चीन ने बड़ी तादाद में ऐसे ड्रोन का इसेतमाल करना शुरू किया है. ऊंची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के लिए रसद गोलाबारूद और अन्य सामग्री को पहुंचा रहा है. अब भारतीय सेना ने भी अपनी तैयारियों में तेज़ी लाते हुए 570 लॉजेस्टक ड्रोन की खरीद प्रक्रिया को शुरू कर दी है. यह लॉजेस्टक ड्रोन हिमालय के हाई एल्टीट्यूड और मीडियम एल्टीट्यूड में इस्तेमाल में लाए जाने के मकसद से जारी किया गया है.
सुपर हाई एल्टीट्यूड पर होना है कारगर
दोनो तरह के ड्रोन मेड़ इन इंडिया होंगे. हाइ एल्टीट्यूड से लॉंच करने पर 20 से 40 किलो तक का वजन आसानी से उठा सके. मीडियम एल्टीट्यूड से लॉंच करने पर 40 से 80 किलो तक का वजन उठा सके. सेना को ड्रोन में कलर डे विडियो कैमेरा, मोनोक्रोमोटिक नाईट थर्मल सेंसर के साथ चाहिए. यह ड्रोन हाई एल्टीट्यूड इलाके में चलने वाली तेज हवाओं का सामना आसानी से अपने ऑपरेशन को अंजाम दे सके. हाई एल्टीट्यूड के लिए लिए जाने वाले ड्रोन को 12000 फिट से 18000 फिट की उंचाई तक तो स्टैंडर्ड ड्रोन 500 फिट से 12000 फिट तक काम करने में सक्षम हो. ड्रोन 40 डिग्री से -20 डिग्री के बीच के तापमान में आसानी से ऑप्रेट हो सके
5000 से 10000 बार उड़ान भरना जरूरी
ठंडे इलाके में बैटरी का सबसे ज्यादा सम्साय होती है. ऐसे में सेना को बेहतर बैटरी बैकअप वाला ड्रोन चाहिए. ड्रोन की रेंज 10 से 20 किलोमीटर से हो और वह सेना के मैप आसानी से ऑप्रेट कर सके. हर एक ड्रोन की शेल्फ लाइफ तकरीबन 5000 लैंडिंग यानी का एक ड्रोन कम से कम 5000 बार लॉजेस्टक जिनमें रसद, दवाएं, पानी, हथियार जैसे अन्य सामग्री को लेकर उड़ान भर सके. सेना के पोस्ट पर सामान छोडकर वापस ऑप्रेटिंग बेस पर वापस आ सके. मीडियम ड्रोन की शेल्फ लाइफ तक़रीब 10000 लैंडिंग रखी गई है. चूकी पूर्वी लद्दाख में LAC पर अभी सिर्फ डिसएंगेजमेंट हुआ है डीएस्किलेशन और डीइंडक्शन अभी बाकी है. इससे एक बात तो साफ है कि तैनाती आगे भी लगातार बनी रहेगी और एसे से ये लॉजेस्टक ड्रोन भविष्य में भारतीय सेना की हाई एल्टीट्यूड में दिक्कतों को आसान बनाएगा.
Tags: Indian Army latest news, LAC Indian Army, Ladakh Indian ArmyFIRST PUBLISHED : January 3, 2025, 20:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed