हमारे जवान क्‍यों दे रहे हैं जान फिक्रमंद हुआ CISF बनाया गया यह खास प्‍लान

CISF New Initiatives: सीआईएसएफ ने जवानों के जान की फिक्र करते हुए कुछ नई योजनाएं शुरू की है. इस योजना का नतीजा है कि बीते एक साल में 40 फीसदी अधिक जवानों की जान बचाई जा सकी है. सीआईएसएफ की इन तमाम योजनाओं को जानने के लिए पढ़ें आगे...

हमारे जवान क्‍यों दे रहे हैं जान फिक्रमंद हुआ CISF बनाया गया यह खास प्‍लान
CISF NEWS: हमारे जवान जान क्‍यों दे रहे हैं? यह सवाल न केवल सेंट्रल इंटस्ट्रियल सिक्‍योरिटी फोर्स (सीआईएसएफ), बल्कि देश के सभी सुरक्षाबलों को लंबे समय से परेशान करता आ रहा है. अब अपने जवानों की फिक्र में सीआईएसएफ इस सवाल का जवाब जानने के लिए काफी फिक्रमंद नजर आ रही है. इसी का नतीजा है कि सीआईएसएफ ने यूनिट लेबल पर एम्‍स के साथ मेंटल हेल्‍थ स्‍टडी की है. एम्‍स की स्‍टडी और आतंरिक जांच में संयुक्‍त रूप से पाया गया कि लंबे समय से परिवार से अलग रहने, काम का अत्‍यधिक प्रेशन और निजी कारणों के चलते जवान लगातार अपनी जान के साथ खेल रहे हैं. इन तमाम कारणों का अध्‍ययन करने के बाद सीआईएसएफ ने कुछ ऐसे ऐहतियाती कदम उठाए हैं, जिससे सुरक्षाबल में होने वाले खुदकुशी के मामलों को रोका जा सके. अब इन प्रयासों के नतीजे भी दिखने लगे हैं. सीआईएसएफ के डीआईजी और मुख्‍य प्रवक्‍ता दीपक वर्मा ने बताया कि एनसीआरबी के डाटा के अनुसार देश का नेशनल सुसाइड रेट प्रति एक लाख लोगों में 12.4 है. सीआईएसएफ ने अपने प्रयासों से सुरक्षाबल के भीतर इस रेट को कम करके 9.87 प्रति लाख व्‍यक्ति तक पहुंचा दिया है. वहीं, 2023 की तुलना में 2024 में खुदकुशी के मामलो में करीब 40 फीसदी की कमी आई है. पांच साल में यह पहली बार है, जब सुरक्षाबल का सुसाइड रेट नेशनल रेट से नीचे आया हो. यह भी पढ़ें: CISF जवानों की ‘मनमर्जी’ के होंगे 12 साल, चॉइस की नौकरी के लिए मिलेंगे 40 लोकेशन, होंगे मजे ही मजे… नई ट्रांसफर-पोस्टिंग आने के बाद सीआईएसएफ के जवानों और नॉन गजेटेड ऑफिसर्स के लिए मजे ही मजे वाली स्थिति में है. अब इन जवानों और अधिकारियों को 12 साल की नौकरी मनमर्जी की लोकेशन पर करने की चॉइस होगी. इस चॉइस को लेकर क्‍या हैं पूरे नियम, जानने के लिए क्लिक करें. जवानों की जान बनाने के लिए उठाए गए कदम पर्सनलाइज्ड इंगेजमेंट : नो योर मेन एण्‍ड हियर योर मेन (अपने जवानों को जानिए और अपने जवानों को सुनिए) की थीम के तहत सभी कमांडिंग ऑफिसर्स को आदेश दिए गए हैं कि वह नियमित तौर पर ड्यूटी पोस्‍ट पर विजिट करें और जवानों के साथ सीधा संवाद करें. इसके अलावा, कंपनी कमांडर से रोजाना ड्यूटी शुरू होने से पहले ब्रीफिंग और ड्यूटी खत्‍म होने के बाद डिब्रीफिंग करने को कहा गया है. स्‍ट्रेस मैनेजमेंट इनिशिएटिव: वजह कोई भी हो, आखिर में उससे जूझना जवानों को ही पड़ता है. जवानों के स्‍ट्रेस मैनेजमेंट के लिए सीआईएसएफ की सभी यूनिट्स में योग क्‍लासेस कराई जा रही हैं. इसके अलावा, सीआईएसएफ के 650 लोगों को योग इंस्‍ट्रक्‍टर के तौर पर ट्रेंड किया गया है. साथ ही, यह सुनिश्चित किया गया है कि हर यूनिट में कम से कम एक योग इंस्‍ट्रक्‍टर जरूर रहे. ऑनलाइन ग्रीवांस पोर्टल: जवानों की समस्‍याओं के समाधान के लिए ऑन लाइन ग्रीवांस पोर्टल तैयार किया गया है. इस पोर्टल के जरिए कोई भी जवान बिना किसी हस्‍तक्षेप के अपनी शिकायत सीआईएसएफ के महानिदेशक तक सीधे पहुंचा सकते हैं. सीआईएसएफ महानिदेशक न केवल निश्चित समायावधि के भीतर जवानों की शिकायत सुनते हैं, बल्कि उनका समाधान भी करते हैं. यह भी पढ़ें: CISF: कैसे होंगे नौकरी के पहले 10 साल, कहां मिलेगी पोस्टिंग, कब किसकी चलेगी मर्जी, सबकुछ बेहद इंटरेस्टिंग… नई ट्रांसफर पॉलिसी आने के बाद सीआईएसएफ में नौकरी के पहले दस साल कैसे होंगे. इन दस सालों में जवानों को कहां-कहां पोस्टिंग मिल सकती है. पोस्टिंग करने का अधिकार किसके पास है… जानने के लिए क्लिक करें. प्रोजक्‍ट मन: प्रोजेक्‍ट मन के अंतर्गत सीआईएसएफ ने टेली काउंसलिंग सर्विस शुरू की है. इस सुविधा सातों दिन चौबिसों घंटे उपलब्‍ध रहती है. इस टेली काउंसलिंग के जरिए जवान अपने दिल में चल रही उन बातों का समाधान हासिल कर सकते हैं, जो उनके दिमाग में उलझन पैदा कर रहे हैं. सितंबर 2024 से अब तक इस सर्विस का 4200 से अधिक जवान फायदा उठा चुके हैं. न्‍यू पोस्टिंग पॉलिसी: एक स्‍टडी में पाया गया था कि सीआईएसएफ में दो तिहाई जवानों की समस्‍याएं सिर्फ ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ी हुई हैं. सीआईएसएफ की नई ट्रांसफर-पोस्टिंग पॉलिसी के जरिए जवानों से जुड़ी समस्‍याओं का निराकरण करने की कोशिश की गई है. नई पॉलिसी में कोशिश की गई है कि बेहतर वर्क लाइफ और वॉइस बेस्‍ड पोस्टिंग के बीच बेहतर बैलेंस बनाया जा सके. Tags: CISFFIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 16:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed