जस्टिस चंद्रचूड़ आज लेंगे CJI की शपथ खुले दिमाग वाले चीफ जस्टिस से हैं कई उम्मीदें
जस्टिस चंद्रचूड़ आज लेंगे CJI की शपथ खुले दिमाग वाले चीफ जस्टिस से हैं कई उम्मीदें
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बुधवार को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेने के लिए तैयार हैं. 13 मई, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनाए गए जस्टिस चंद्रचूड़ का सीजेआई के रूप में दो साल का कार्यकाल होगा.
हाइलाइट्सजस्टिस चंद्रचूड़ का सीजेआई के रूप में दो साल का कार्यकाल होगा. इस दौरान उन्हें देश के कुछ सबसे विवादास्पद मुद्दों पर फैसला करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा. जस्टिस चंद्रचूड़ CJI के रूप में न्याय व्यवस्था में क्या बदलाव लाएंगे, इस पर अटकलें लग रही हैं.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बुधवार को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेने के लिए तैयार हैं. 13 मई, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनाए गए जस्टिस चंद्रचूड़ का सीजेआई के रूप में दो साल का कार्यकाल होगा. वे 10 नवंबर, 2024 को रिटायर होंगे. इस दौरान उन्हें देश के कुछ सबसे विवादास्पद मुद्दों पर फैसला करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा. जस्टिस चंद्रचूड़ CJI के रूप में भारत की न्याय व्यवस्था में क्या बदलाव लाएंगे, इस पर भी काफी अटकलें लगाई जा रही हैं.
बहरहाल नए चीफ जस्टिस को ‘उदार दृष्टिकोण’ रखने के लिए जाना जाता है. नए सीजेआई को उनकी बौद्धिक क्षमता, सुसंस्कृत होने के लिए सम्मान मिलता है. वकील उनके सामने पेश होना पसंद करते हैं. उदार दृष्टिकोण वाला न्यायाधीश होना एक ऐसा गुण जो उनके फैसलों में दिखता है. खासकर जब महिलाओं और हाशिए के लोगों के अधिकारों से संबंधित मुद्दों की बात आती है तो उनके व्यक्तित्व का उदार नजरिया उभरकर सामने आता है. आधार कार्ड के मामले में अपनी ऐतिहासिक असहमति में उन्होंने कहा था कि एक व्यक्ति की कई पहचानों को केवल 12 अंकों की संख्या तक सीमित नहीं किया जा सकता है.
जबकि भीमा कोरेगांव मामले में उन्होंने कहा कि ‘असहमति’ एक जीवंत लोकतंत्र का प्रतीक है. हादिया मामले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि किसी व्यक्ति का धर्म चुनने और शादी करने का अधिकार उसके सार्थक अस्तित्व का एक हिस्सा है. कई मामलों में उनके रुख की सराहना की गई है. बहरहाल उनके सामने कई चुनौतियां हैं. इनमें कई हाई-प्रोफाइल मामले शामिल हैं. अनुच्छेद 370 को निरस्त करना, नागरिकता संशोधन अधिनियम की वैधता और चुनावी बांड योजना जैसे मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कई दूरगामी राजनीतिक प्रभाव होंगे.
न्यायिक मोर्चे पर जस्टिस चंद्रचूड़ को अन्य बातों के अलावा लंबित मामलों के बढ़ते पहाड़, पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी और फैसलों में देरी जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ेगा. कोविड -19 महामारी के दौरान अनुभव के आधार पर कई लोगों का मानना है कि उनके कार्यकाल के दौरान डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिलेगा. जस्टिस चंद्रचूड़ से कई अपेक्षाएं भी हैं. इनमें लाइव-स्ट्रीमिंग एक बड़ी उम्मीद है. सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के अध्यक्ष के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ ने न्यायिक प्रणाली को और अधिक सुलभ बनाने के लिए अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए मसौदा मॉडल नियमों के प्रकाशन का निरीक्षण किया. वह स्वप्निल त्रिपाठी मामले (2018) में ऐतिहासिक फैसले का हिस्सा थे. जिसने लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति दी.
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कॉलेजियम के प्रमुख के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ से उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में खाली पदों को भरने की भी उम्मीद की जाएगी. 1 अक्टूबर तक 25 उच्च न्यायालयों में 772 न्यायाधीश नियुक्त थे. जबकि कुल स्वीकृत पदों की संख्या 1,108 है और 336 पद खाली थे. जस्टिस चंद्रचूड़ अपने कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में 17 न्यायाधीशों की नियुक्ति करेंगे. जो वर्तमान में 34 न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या के आधे के साथ काम चला रहा है.
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Tags: Chief Justice of India, Justice DY Chandrachud, Supreme Court, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : November 09, 2022, 09:13 IST