धार्मिक स्थलों के प्रबंधन के लिए एकसमान कानून वाली याचिका पर सुनवाई 19 सितंबर तक टली अश्वनी उपाध्याय ने की है ये मांग
धार्मिक स्थलों के प्रबंधन के लिए एकसमान कानून वाली याचिका पर सुनवाई 19 सितंबर तक टली अश्वनी उपाध्याय ने की है ये मांग
Supreme court on uniform code for religious places: सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील और बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय की सभी धर्मों के पूजा स्थलों के प्रबंधन में एकसमान कानून की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई 19 सितंबर तक के लिए टाल दिया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वो याचिका में रखी गई दलीलों के समर्थन में ठोस आकंड़े/ सबूत रखें. याचिकाकर्ता ने इसके लिए दो हफ्ते का वक़्त मांगा.अश्विनी कुमार उपाध्याय समेत अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं में कहा गया है कि हिंदुओं, सिख, जैन और बौद्ध धार्मिक संस्थाओं का रखरखाव और प्रबंधन का अधिकार राज्य सरकारों के पास है, लेकिन मुस्लिम, पारसी और ईसाई अपनी संस्थाओं को खुद नियंत्रित करते हैं. याचिका में कहा गया है कि मठ मंदिरों पर नियंत्रण करने के लिए 35 कानून है लेकिन मस्जिद, मजार, दरगाह और चर्च के लिए एक भी कानून नहीं है.
नई दिल्ली. हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध के धार्मिक स्थलों पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 19 सितम्बर तक के लिए टल गई. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वो याचिका में रखी गई दलीलों के समर्थन में ठोस आकंड़े/ सबूत रखें. याचिकाकर्ता ने इसके लिए दो हफ्ते का वक़्त मांगा. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टाल दी. इससे पहले
हिंदू, बौद्ध, जैन और बौद्ध धर्म के संस्थानों पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को ठोस दस्तावेज और डेटा पेश करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित की नेतृत्व वाली पीठ अब वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर इस याचिका पर 19 सितंबर को अगली सुनवाई करेगी.
अश्विनी कुमार उपाध्याय समेत अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं में कहा गया है कि हिंदुओं, सिख, जैन और बौद्ध धार्मिक संस्थाओं का रखरखाव और प्रबंधन का अधिकार राज्य सरकारों के पास है, लेकिन मुस्लिम, पारसी और ईसाई अपनी संस्थाओं को खुद नियंत्रित करते हैं. याचिका में कहा गया है कि मठ मंदिरों पर नियंत्रण करने के लिए 35 कानून है लेकिन मस्जिद, मजार, दरगाह और चर्च के लिए एक भी कानून नहीं है. 4 लाख मठ-मंदिर सरकार के कंट्रोल में हैं लेकिन मस्जिद मजार चर्च दरगाह एक भी नहीं हैं.
याचिका में मांग की गई है कि हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख अपने धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन और प्रशासन बिना राज्य सरकार के हस्तक्षेप के कर सके, इसके लिए आवश्यक निर्देश दिए जाए. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मुसलमानों और ईसाईयों को अपने धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन का अधिकार है, उसी तरह हिन्दू, सिख, जैन और बौद्धों को मिलना चाहिए. याचिकाकर्ता के वकील अरविंद दत्ता ने कोर्ट को बताया कि कर्नाटका, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी, तेलंगाना के कानून को चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा इसको चुनौती क्यों दी गई है, लंबे समय से ऐसे से चल रहा है. वकील दत्ता ने कहा कि सरकार 58 मुख्य मंदिरों को अपने नियंत्रण में लिए हुए है, यह सीधे तौर पर संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है. यह अंग्रेजों के समय का कानून है और अब सरकार चर्च और अन्य धर्मिक स्थलों को अपने नियंत्रण में क्यों नहीं लेना चाहती है.
वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि कर्नाटक में 15 हज़ार मंदिर बंद हो गए, क्योंकि उनके पास मैनेजमेंट के लिए पैसा नहीं था. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि किस आंकड़े के आधार पर 15 हज़ार मंदिरों के बंद होने का दावा कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिरों में आने वाला पैसा आम लोगों का है. वह आम लोगों के पास वापस चला जाता है. आप तिरुपति का उदाहरण ले सकते हैं, उससे स्कूल और कॉलेज खोले गए.
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Tags: Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 01, 2022, 15:23 IST