सुप्रीम कोर्ट ने एक अदालती फैसले से ‘लव जिहाद’ शब्द हटाने से इनकार कर दिया है. निचली अदालत के एक फैसले में जज ने ‘लव जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए गंभीर टिप्पणी की गई थी. दरअसल, यह मामला यूपी के बरेली जिले की एक फास्ट कोर्ट से जुड़ा है. फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपने फैसले में ये टिप्पणी डाली थी. इस टिप्पणी में लव जिहाद शब्द का इस्तेमाल किया गया था. इसी के खिलाफ एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
इससे संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भाटी की पीठ ने याचिकाकर्ता अनस से पूछा कि आपको क्या दिक्कत है जबकि अदालती फैसले में साफ कहा गया कि ये टिप्पणी तथ्यों को आधार पर की गई है. अनस ने यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल की थी.
सनसनीखेज क्यों बना रहे हैं?
पीठ ने याचिका कर्ता से पूछा कि आप कौन हैं और आप इस मामले से किस रूप में जुड़े हैं. आप इसे सनसनीखेज बना रहे हैं और यह सही नहीं है. साक्ष्यों के आधार पर कुछ टिप्पणियां की गई हैं. ऐसे में क्या हम इसे हटा सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ली. दरअसल, रेप के एक मामले में सुनवाई करते हुए बरेली की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने कहा था कि ये प्रायोजित तौर पर ‘लव जिहाद’ का मामला है, जिसमें विदेशी फंडिंग से इनकार नहीं किया जा सकता. अक्टूबर 2024 के फैसले में बरेली की फास्ट ट्रैक्ट कोर्ट ने यह टिप्पणी मुस्लिम समुदाय के एक युवक को लेकर की थी. अदालत ने लव जिहाद शब्द को पारिभाषित किया था और दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि इस मामले में महिला अपने बयान से मुकर गई थी.
महिला ने बयान दिया था कि वह कोचिंग सेंटर में एक लड़के से मिली. लड़के ने खुद को आनंद कुमार बताया था. दोनों में प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली. लेकिन, शादी के बाद पता चला कि लड़का मुस्लिम समुदाय से था. उसकी असली नाम आलिम था. इसके बाद लड़के पर रेप और अन्य मामले दर्ज करवाए गए.
Tags: Supreme CourtFIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 14:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed