बचपन में पकड़ा सांप मां बोली- वाह ये कितना… दिलचस्प है स्नेकमैन की कहानी
बचपन में पकड़ा सांप मां बोली- वाह ये कितना… दिलचस्प है स्नेकमैन की कहानी
रोमुलस व्हिटेकर ने बताया कि जब मेरी मां ने रमा चट्टोपाध्याय से दूसरी शादी की तो हम भारत आ गए. आप कल्पना कर सकते हैं कि एक आठ साल का बच्चा बंबई पहुंचा और फिर भारत के जंगलों में जाने में सक्षम हो? ये वे सपने हैं जो मैंने तब देखे थे जब मैं छोटा बच्चा था.
नई दिल्ली. रोमुलस व्हिटेकर भारत में स्नेकमैन के नाम से मशहूर हैं. वो लोगों को सांप काटने की स्थिति में बचने की शिक्षा देते हैं. न्यूयॉर्क में जन्में व्हिटेकर महज आठ साल की उम्र में मां के साथ भारत आ गए थे. “कोबरा की भूमि” में उन्हें “भारत का स्नेकमैन” उपनाम मिला. उन्होंने वाइल्ड लाइफ रिसर्च और उसके संरक्षण में अपने जीवन के छह दशक समर्पित कर दिए. उन्होंने सांपों पर कई किताबें लिखी. व्हिटेकर ने पूरे देश में कई वाइल्ड लाइफ रिसर्च सेंटर लॉन्च किए हैं.
सीएनएन ने “स्नेक्स, ड्रग्स एंड रॉक ‘एन’ रोल: माई अर्ली इयर्स” के विमोचन के मौके पर व्हाइटेकर से बात की. अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए व्हाइटेकर ने बताया कि उत्तरी न्यूयॉर्क राज्य में रहते हुए जब वो आठ साल के थे तब उन्हें पहली बार एक सांप मिला. मुझे पहली नजर में ही उससे प्यार हो गया. जब मैं पहली बार घर में सांप पकड़कर लेकर आया तो मां ने कहा, ‘वाह कितना सुंदर है.’ भला किसकी मां ऐसा करेगी? सांपों से इतना प्यार करने के लिए मुझे अपनी मां को दोष देना चाहिए या फिर धन्यवाद देना चाहिए.
कोबरा से विशेष प्यार…
रोमुलस व्हिटेकर ने बताया कि जब मेरी मां ने रमा चट्टोपाध्याय से दूसरी शादी की तो हम भारत आ गए. आप कल्पना कर सकते हैं कि एक आठ साल का बच्चा बंबई पहुंचा और फिर भारत के जंगलों में जाने में सक्षम हो? ये वे सपने हैं जो मैंने तब देखे थे जब मैं छोटा बच्चा था, जो सच हो गए. सरीसृपविज्ञानी एक अजीब व्यक्ति होता है जो सरीसृपों का अध्ययन करता है. मैंने अपना अधिकांश काम सांपों और मगरमच्छों पर केंद्रित किया है, लेकिन मुझे कछुए, छिपकलियां और मेंढक में भी दिलचस्पी है. 1960 में मैं अमेरिका में कॉलेज जा रहा था, लेकिन मैं चूक गया. फिर मुझे मियामी सर्पेंटेरियम में नौकरी मिल गई और मैंने बिल हास्ट नामक सज्जन के लिए काम किया, जो किंग कोबरा को बहुत आसानी से संभालते थे और उनका जहर निकालते थे. यह उस प्रेम संबंध का हिस्सा था जो मैंने किंग कोबरा के लिए उत्पन्न किया था, लेकिन मैं हमेशा भारत वापस आने का उत्सुक था क्योंकि मुझे पता चला कि पश्चिमी घाट पर किंग कोबरा अभी भी रहते हैं. मैंने उनका अध्ययन करना शुरू किया.
1969 में खोला पहला स्नेक पार्क…
1969 में मैंने भारत का पहला स्नेक पार्क स्थापित किया, जिसका नाम था ‘मद्रास स्नेक पार्क’. इस दौरान हमने किंग कोबरा के व्यवहार और उनकी अद्भुत जीवनशैली के बारे में इतना अधिक सीखा है जितना पहले कभी किसी ने नहीं जाना था. हम वास्तव में नहीं जानते थे कि सांपों के काटने से कितने लोग मारे जा रहे हैं. सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ रिसर्च और टोरंटो यूनिवर्सिटी ने स्टडी करना शुरू किया. तब पता चला है कि भारत में हर साल लगभग 50,000 लोग वास्तव में सांप के काटने से मारे जाते हैं.
सांप काटने से बचने की दे रहे शिक्षा…
अब जब हमें आंकड़ा पता चल गया है तो हम अभी एक शैक्षिक कार्यक्रम पर बहुत मेहनत कर रहे हैं, जो देशव्यापी है! लोगों को यह सिखाने की कोशिश कर रहा है कि सांपों के काटने से कैसे बचें. यह काफी सरल है. रात में जब आप घूमें तो रोशनी का उपयोग करें. जब आप सोएं तो मच्छरदानी का प्रयोग करें. हम लोगों से कहते हैं कि जब वे खेत में काम कर रहे हों, जब वे खेती कर रहे हों, तो छड़ी का उपयोग करें. अपने नंगे हाथ का प्रयोग न करें क्योंकि वहां सांप हो सकता है.
Tags: Cobra snake, Snake man, Snakebite, Wildlife Conservation in IndiaFIRST PUBLISHED : May 16, 2024, 16:37 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed